नीमकाथाना: ग्रामीण जल योजना खादरा व नीमोद में चार की जगह तीन नलकूप लगे। सप्लाई व राइजिंग पाइप लाइन नहीं डाली गई। टेस्टिंग के दौरान पाइप लाइन जगह-जगह से टूट गई। खेतों से होकर राइजिंग व सप्लाई पाइप लाइन डाल दी गई। योजना में तकनीकी खामियों व बिना काम पूरा किए ही जलदाय विभाग के अफसरों ने अंतिम भुगतान कर दिया।
इतना ही नहीं चार साल से सरपंच व ग्रामीणों की शिकायतों को भी दबाया गया। अधिकारियों की मिलीभगत से संवेदक ने 75 लाख की राशि उठा ली। योजना में टेस्टिंग के दौरान पाइप लाइन टूट गई। टंकी तक पानी नहीं पहुंचा।
चौंकाने वाला मामला है कि अधिकारियों ने उस वक्त भी सुधार नहीं कराया। नलकूपों को सीधे पुरानी लाइन से जोड़कर पानी सप्लाई शुरू करवा दी। 15-20 दिन लोगों को पानी दिया गया। उसके बाद योजना बंद हो गई। चार साल से ग्रामीण पानी को तरस रहे हैं।
कलेक्टर की रात्रि चौपाल, अधीक्षण अभियंता, अधिशाषी अभियंता, सहायक अभियंता तक शिकायतें दी। योजना का पानी नहीं मिलने पर ग्रामीणों ने लोकायुक्त में मामला दर्ज कराया है। अधीक्षक अभियंता भी योजना में हुए घोटाले की जांच करवा रहे हैं।
ग्रामीणों की माँग घोटाले में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए
खादरा सरपंच ग्यारसीदेवी, किसान कांग्रेस जिला सचिव ग्यारसीलाल सैनी व शंकरलाल सैनी ने पेयजल योजना में घोटाला करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग उठाई है। ग्रामीणों ने लोकायुक्त में मामला दर्ज कराया है। दर्जनों लोगों ने कहा चार साल से पानी देने की मांग उठा रहे हैं। अधिकारी मामले को दबाते रहे।
95 लाख की ग्रामीण जल योजना में घोटाला
जलदाय विभाग द्वारा मै. मांगीलाल विश्नोई को ग्रामीण जलयोजना खादरा का कार्य आठ अगस्त 2013 को 75 लाख की स्वीकृति सेदिया गया था। योजना 18 अगस्त 2013 से शुरू होकर 17 फरवरी 2014 को पूर्ण होनी थी, लेकिन रिकॉर्ड में योजना को 25 अप्रैल 2015 को पूरा होना बताया गया। इसका संचालन व संधारण भी संवेदक को पांच साल तक करना है।
जांच में चौंकाने वाले तथ्य मिले कि काम पूरा नहीं होने के बावजूद योजना के अंतिम बिल को भुगतान के लिए भेजा गया। अधिकारियों नेबिना किसी जांच व रिपोर्ट के अंतिम भुगतान भी कर दिया।
फाइल फोटो - नीमकाथाना भास्कर
इतना ही नहीं चार साल से सरपंच व ग्रामीणों की शिकायतों को भी दबाया गया। अधिकारियों की मिलीभगत से संवेदक ने 75 लाख की राशि उठा ली। योजना में टेस्टिंग के दौरान पाइप लाइन टूट गई। टंकी तक पानी नहीं पहुंचा।
चौंकाने वाला मामला है कि अधिकारियों ने उस वक्त भी सुधार नहीं कराया। नलकूपों को सीधे पुरानी लाइन से जोड़कर पानी सप्लाई शुरू करवा दी। 15-20 दिन लोगों को पानी दिया गया। उसके बाद योजना बंद हो गई। चार साल से ग्रामीण पानी को तरस रहे हैं।
कलेक्टर की रात्रि चौपाल, अधीक्षण अभियंता, अधिशाषी अभियंता, सहायक अभियंता तक शिकायतें दी। योजना का पानी नहीं मिलने पर ग्रामीणों ने लोकायुक्त में मामला दर्ज कराया है। अधीक्षक अभियंता भी योजना में हुए घोटाले की जांच करवा रहे हैं।
ग्रामीणों की माँग घोटाले में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए
खादरा सरपंच ग्यारसीदेवी, किसान कांग्रेस जिला सचिव ग्यारसीलाल सैनी व शंकरलाल सैनी ने पेयजल योजना में घोटाला करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग उठाई है। ग्रामीणों ने लोकायुक्त में मामला दर्ज कराया है। दर्जनों लोगों ने कहा चार साल से पानी देने की मांग उठा रहे हैं। अधिकारी मामले को दबाते रहे।
95 लाख की ग्रामीण जल योजना में घोटाला
- जांच में मिली खामियां : जांच रिपोर्ट में सामने आया कि चार नलकूप की जगह तीन नलकूप ही बनाए गए। राइजिंग व लाइन को खेतों व रास्तों से होकर डाला गया। बार-बार लीकेज से लाइन टूट गई। तकनीकी खामियों के कारण 400 केएल उच्च जलाशय को भरा नहीं जा सका।
उच्च जलाशय की ऊंचाई 18 मीटर है। पानी नहीं पहुंचने पर राइजिंग लाइन को सीधे पुरानी लाइन से जोड़ा गया। ग्रामीणों ने जांच में योजना का पानी नहीं मिलने की शिकायत की। तीनों नलकूपों के बिजली के बिल का भुगतान ग्राम पंचायत द्वारा किया जा रहा है। तत्कालीन एईएन रामकुमार चाहिल ने तीन अक्टूबर 2016 को अंतिम बिल तैयार कर एक्सईएन ऑफिस भेजा। बिना जांच के अंतिम भुगतान कर दिया। - लाइन शिफ्ट करेंगे, दोषियों पर होगी कार्रवाई : एक्सईएन मदनलाल मीणा ने बताया कि लोकायुक्त के यहां प्रकरण दर्ज हुआ है। संवेदक को पूरा भुगतान कर दिया गया है। इसकी जांच करवा रहे हैं। योजना में तकनीकी खामियों के कारण गड़बड़ी हुई। अब लाइन शिफ्ट कराने के लिए प्लान बना रहे हैं। इससे लोगों को पानी मिल सके। मामले में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी।
जलदाय विभाग द्वारा मै. मांगीलाल विश्नोई को ग्रामीण जलयोजना खादरा का कार्य आठ अगस्त 2013 को 75 लाख की स्वीकृति सेदिया गया था। योजना 18 अगस्त 2013 से शुरू होकर 17 फरवरी 2014 को पूर्ण होनी थी, लेकिन रिकॉर्ड में योजना को 25 अप्रैल 2015 को पूरा होना बताया गया। इसका संचालन व संधारण भी संवेदक को पांच साल तक करना है।
जांच में चौंकाने वाले तथ्य मिले कि काम पूरा नहीं होने के बावजूद योजना के अंतिम बिल को भुगतान के लिए भेजा गया। अधिकारियों नेबिना किसी जांच व रिपोर्ट के अंतिम भुगतान भी कर दिया।