देश के जाने माने वैज्ञानिक प्रोफसेर यशपाल का निधन हो गया है। सोमवार की बीती रात 3 बजे नोएडा के एक निजी अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। वैज्ञानिक यशपाल जी को 2013 में देश के दूसरे सर्वोच्च सम्मान पद्म विभूषण से नवाजा गया था । यशपाल 90 साल के थे। जिन्होंने विज्ञान को नए आविष्कार दिए। यशपाल को कौसमिक किरणों पर अपने गहरे अध्ययन के लिए भी जाना जाता है।
देश के शीर्ष वैज्ञानिकों में प्रमुख स्थान रखने वाले प्रोफेसर यशपाल का जन्म 26 नवंबर 1926 को हरियाणा में हुआ था। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत मुंबई हैदराबाद के टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च से की थी। 1973 में सरकार ने उन्हें स्पेस ऐप्लीकेशन सेंटर का पहला डायरेक्टर नियुक्त किया गया। अपनी उपलब्धियों के चलते उन्होंने 1976 में पद्म भूषण का सम्मान पाया ।
1983-84 में वह प्लानिंग कमिशन के चीफ कंसल्टेंट भी रहे। 1986 से 1991 के बीच यशपाल को यूजीसी का चेयरमैन नियुक्त किया गया।
प्रोफेसर यशपाल वर्ष 2007 से लेकर 2012 तक नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के वाइस चांसलर भी रहे। साल 2009 में विज्ञान को बढ़ावा देने और उसे लोकप्रिय बनाने में अहम भूमिका निभाने की वजह से उन्हें UNESCO ने कलिंग सम्मान से नवाजा था। 25 जुलाई 2017 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह पंचतत्व में विलीन हो गए।
source- google images
देश के शीर्ष वैज्ञानिकों में प्रमुख स्थान रखने वाले प्रोफेसर यशपाल का जन्म 26 नवंबर 1926 को हरियाणा में हुआ था। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत मुंबई हैदराबाद के टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च से की थी। 1973 में सरकार ने उन्हें स्पेस ऐप्लीकेशन सेंटर का पहला डायरेक्टर नियुक्त किया गया। अपनी उपलब्धियों के चलते उन्होंने 1976 में पद्म भूषण का सम्मान पाया ।
1983-84 में वह प्लानिंग कमिशन के चीफ कंसल्टेंट भी रहे। 1986 से 1991 के बीच यशपाल को यूजीसी का चेयरमैन नियुक्त किया गया।
प्रोफेसर यशपाल वर्ष 2007 से लेकर 2012 तक नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के वाइस चांसलर भी रहे। साल 2009 में विज्ञान को बढ़ावा देने और उसे लोकप्रिय बनाने में अहम भूमिका निभाने की वजह से उन्हें UNESCO ने कलिंग सम्मान से नवाजा था। 25 जुलाई 2017 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह पंचतत्व में विलीन हो गए।