नीमकाथाना: जिले में दूसरे नंबर पर आने वाले राजकीय कपिल अस्पताल में जननी वार्ड में प्रसूताओं को बेड नहीं मिलने की सुविधा से दो चार होना पड़ रहा है। इसको देखते हुए अस्पताल प्रशासन द्वारा जननियों को अच्छी स्वास्थ्य सुविधा देने के दावे खोखले नजर आ रहे हैं।
इसका उदाहरण शनिवार को उस समय देखने को मिला जब गर्भवती महिलाओं को बैंच पर बिठाकर ड्रीप चढ़ाई जा रही थी। डिलीवरी रुम के सामने जननी वार्ड में प्रसूताओं की बेंच पर लेटी हुई थी। इसके अलावा प्रसूताओं के परिजन भी सामने की बेंच पर बैठे थे। ऐसे में साफ नजर आ रहा था, कि एक कोने में अपने मासूम बच्चे को साथ लेकर जननी को कितनी परेशानी सहन करनी करनी पड़ रही थी।
लोगो कहना है कि जब चिकित्सा मंत्री बंशीधर बाजिया का गृह जिला व सैनिक कल्याण बोर्ड अध्यक्ष स्थानीय विधायक प्रेम सिंह बाजोर की संविधान सभा के अस्पताल की ये हालत हो रही है। तो बाकी जिलों के क्या हाल होंगे।
कपिल अस्पताल में इन दिनों पर प्रसूता वार्ड की हालत खराब होती जा रही है कि वार्ड में बेड की क्षमता मात्र 20 की है। लेकिन हालात यह हैं कि अस्पताल में प्रतिदिन 35-40 प्रसूताएं वार्ड में रहती हैं। बेड नहीं मिलने के कारण तो कई बार प्रसूताओं के परिजन अस्पताल स्टाफ से झगड़े को उतारू हो जाते हैं। इसके बावजूद चिकित्सा विभाग इस तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है।
48 घंटे प्रसूता को रखना अनिवार्य
अस्पताल प्रशासन को भी डिलीवरी के बाद प्रसूता को कम से कम 48 घंटे अस्पताल में भर्ती रखना जरूरी होता है। हालांकि अस्पताल प्रशासन व्यवस्था बनाए रखने के लिए हर रोज प्रसुताओं को डिस्चार्ज करने में भी कमी नहीं छोड़ रहा लेकिन अस्पताल में सीकर जिले को छोड़ राज्य हरियाणा के सीमावर्ती इलाके व झुंझुनू जिले की प्रसूताएं भी इसी अस्पताल पर निर्भर रहती हैं।
source-sikar patrika |
लोगो कहना है कि जब चिकित्सा मंत्री बंशीधर बाजिया का गृह जिला व सैनिक कल्याण बोर्ड अध्यक्ष स्थानीय विधायक प्रेम सिंह बाजोर की संविधान सभा के अस्पताल की ये हालत हो रही है। तो बाकी जिलों के क्या हाल होंगे।
कपिल अस्पताल में इन दिनों पर प्रसूता वार्ड की हालत खराब होती जा रही है कि वार्ड में बेड की क्षमता मात्र 20 की है। लेकिन हालात यह हैं कि अस्पताल में प्रतिदिन 35-40 प्रसूताएं वार्ड में रहती हैं। बेड नहीं मिलने के कारण तो कई बार प्रसूताओं के परिजन अस्पताल स्टाफ से झगड़े को उतारू हो जाते हैं। इसके बावजूद चिकित्सा विभाग इस तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है।
48 घंटे प्रसूता को रखना अनिवार्य
अस्पताल प्रशासन को भी डिलीवरी के बाद प्रसूता को कम से कम 48 घंटे अस्पताल में भर्ती रखना जरूरी होता है। हालांकि अस्पताल प्रशासन व्यवस्था बनाए रखने के लिए हर रोज प्रसुताओं को डिस्चार्ज करने में भी कमी नहीं छोड़ रहा लेकिन अस्पताल में सीकर जिले को छोड़ राज्य हरियाणा के सीमावर्ती इलाके व झुंझुनू जिले की प्रसूताएं भी इसी अस्पताल पर निर्भर रहती हैं।