पाकिस्तान को एक बार फिर अमेरिका की तरफ से झटका लगा है। अमेरिका ने आतंकवाद के मुद्दे पर बेहद पाकिस्तान करारा जवाब दिया है। आपको तो पता ही है कि पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति काफी बुरी है और वह शुरू से ही दुसरो के डाले गए टुकड़ो पर पलता आया है। अमेरिकी सरकार ने शुक्रवार रात को पाकिस्तान को दी जाने वाली 350 मिलियन डॉलर (इंडियन करंसी में 2250 और पाकिस्तानी करंसी में 3680 करोड़ रुपए) की मदद पर रोक लगा लगा कर सख्त मैसेज दिया कि यदि अपना भला चाहता है तो आतंकी गतिविधियों पर रोक लगा ले।
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भारतीय मानक समय के अनुसार, यह फैसला अमेरिका ने फैसला रात करीब 9 बजे लिया। इसकी घोषणा अमेरिकी डिफेंस मिनिस्ट्री के स्पोक्सपर्सन ने की । साथ ही साथ अमेरिका का आरोप भी लगाया कि पाकिस्तान ने हक्कानी नेटवर्क पर जरूरी एक्शन नहीं लिया।
पूरा मामला क्या है।
अमेरिका कई बार पब्लिक प्लेटफॉर्म से पाकिस्तान को ये कह चुका है कि हक्कानी नेटवर्क को पाकिस्तान आर्मी और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई पूरी सुविधाएं देते हैं ताकि वो अफगानिस्तान में हमला करके अमेरिका और अफगानिस्तान को ब्लैकमेल कर सके। अमेरिका लंबे समय से इस्लामाबाद से ये मांग करता रहा है कि वो पाकिस्तान में एक्टिव और वहीं पनाह लेने वाले आतंकी संगठन हक्कानी नेटवर्क को खत्म करे।
अमेरिका के तत्कालीन प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रम्प पहले ही साफ कह चुके हैं कि वो आतंकवाद के मसले पर कोई समझौता नहीं करेंगे। ट्रम्प से डरकर ही पाकिस्तान ने हाफिज सईद जैसे आतंकी को नजरबंद कर दिया।
हक्कानी आतंकवादी नेटवर्क ।
यहाँ पर हम आपको बता दें कि नेटवर्क की सारी गतिविधियाँ पाकिस्तान में होती है। हक्कानी नेटवर्क के आतंकवादी अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों और अफगानी ठिकानों पर हमले करतें है। अमेरिका की तरफ से कई बार चेतावनी देने के बावजूद भी पाकिस्तान ने हक्कानी नेटवर्क पर कोई एक्शन नहीं लिया। इसके बाद अमेरिका ने पाकिस्तान को सबक सिखाने का फैसला किया।
अमेरिका के डिफेंस सेक्रेटरी (रक्षा मंत्री) जेम्स मैटिस ने शुक्रवार को देश के सांसदों को मदद पर रोक लगाने की जानकारी दी। कहा- पाकिस्तान को हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ जो कार्रवाई करनी चाहिए थी, वो उसने नहीं की। लिहाजा, उसकी ये मदद यहीं पर रोकी जाती है।
अमेरिका ने एक कोएलिशन फंड बनाया था। इसी फंड के तहत पाकिस्तान को अमेरिका से 2250 करोड़ रुपए की मदद मिलनी थी। ये रकम पाकिस्तान आर्मी दी को जाती लेकिन अमेरिका ने अब इस पर साफ़ तौर से रोक लगा दी है।
पेंटागन का ये फैसला ऐसे वक्त आया है जब ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन अफगानिस्तान और पाकिस्तान को लेकर पॉलिसी रिव्यू कर रहा है। इसका मतलब ये है कि अमेरिका पाकिस्तान पर और भी कड़े फैसले ले सकता है।
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भारतीय मानक समय के अनुसार, यह फैसला अमेरिका ने फैसला रात करीब 9 बजे लिया। इसकी घोषणा अमेरिकी डिफेंस मिनिस्ट्री के स्पोक्सपर्सन ने की । साथ ही साथ अमेरिका का आरोप भी लगाया कि पाकिस्तान ने हक्कानी नेटवर्क पर जरूरी एक्शन नहीं लिया।
पूरा मामला क्या है।
अमेरिका कई बार पब्लिक प्लेटफॉर्म से पाकिस्तान को ये कह चुका है कि हक्कानी नेटवर्क को पाकिस्तान आर्मी और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई पूरी सुविधाएं देते हैं ताकि वो अफगानिस्तान में हमला करके अमेरिका और अफगानिस्तान को ब्लैकमेल कर सके। अमेरिका लंबे समय से इस्लामाबाद से ये मांग करता रहा है कि वो पाकिस्तान में एक्टिव और वहीं पनाह लेने वाले आतंकी संगठन हक्कानी नेटवर्क को खत्म करे।
अमेरिका के तत्कालीन प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रम्प पहले ही साफ कह चुके हैं कि वो आतंकवाद के मसले पर कोई समझौता नहीं करेंगे। ट्रम्प से डरकर ही पाकिस्तान ने हाफिज सईद जैसे आतंकी को नजरबंद कर दिया।
हक्कानी आतंकवादी नेटवर्क ।
यहाँ पर हम आपको बता दें कि नेटवर्क की सारी गतिविधियाँ पाकिस्तान में होती है। हक्कानी नेटवर्क के आतंकवादी अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों और अफगानी ठिकानों पर हमले करतें है। अमेरिका की तरफ से कई बार चेतावनी देने के बावजूद भी पाकिस्तान ने हक्कानी नेटवर्क पर कोई एक्शन नहीं लिया। इसके बाद अमेरिका ने पाकिस्तान को सबक सिखाने का फैसला किया।
अमेरिका के डिफेंस सेक्रेटरी (रक्षा मंत्री) जेम्स मैटिस ने शुक्रवार को देश के सांसदों को मदद पर रोक लगाने की जानकारी दी। कहा- पाकिस्तान को हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ जो कार्रवाई करनी चाहिए थी, वो उसने नहीं की। लिहाजा, उसकी ये मदद यहीं पर रोकी जाती है।
अमेरिका ने एक कोएलिशन फंड बनाया था। इसी फंड के तहत पाकिस्तान को अमेरिका से 2250 करोड़ रुपए की मदद मिलनी थी। ये रकम पाकिस्तान आर्मी दी को जाती लेकिन अमेरिका ने अब इस पर साफ़ तौर से रोक लगा दी है।
पेंटागन का ये फैसला ऐसे वक्त आया है जब ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन अफगानिस्तान और पाकिस्तान को लेकर पॉलिसी रिव्यू कर रहा है। इसका मतलब ये है कि अमेरिका पाकिस्तान पर और भी कड़े फैसले ले सकता है।
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