इस भारतीय ने 500 वर्ष पूर्व ही लिख डाली थी कंप्यूटर प्रोग्रामिंग, जानें कौन था यह शख्स

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आज का युग कंप्यूटर का युग है, पर क्या आप जानते हैं कि आज से 500 वर्ष पहले भारत में ही कंप्यूटर प्रोग्रामिंग लिख दी गई थी? यदि नहीं, तो आज हम आपको इसी के बारे में वह सत्य बता रहें हैं जिसको बहुत ही कम लोग जानते होंगे। सबसे पहले हम आपको बता दें कि वर्तमान में JAVA, C , C++ आदि लैंग्वेज कंप्यूटर की प्रोग्रामिंग करने के लिए छात्र पढ़ते हैं।


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इन भाषाओं से कंप्यूटर में किसी भी प्रोग्राम को बनाने के लिए कोड को तैयार किया जाता है और इस कोड को प्रोसेसर बाईनरी लैंग्वेज (Binary Language) में परिवर्तित कर देता है। इस प्रकार से कंप्यूटर Computation पर निर्भर करता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इसी Computation पर आज से करीब 500 वर्ष पहले कंप्यूटर प्रोग्रामिंग पर ग्रन्थ लिखने वाले शख्स कोई और नहीं महर्षि पाणिनि ही थे।



इस भारतीय ने 500 वर्ष पूर्व ही लिखने वाले शख्स कौन थे। 

महर्षि पाणिनि का जन्म उत्तर पश्चिम भारत में गांधार में हुआ था। महर्षि पाणिनि संस्कृत व्याकरण के बहुत ही प्रखर विद्वान थे। महर्षि पाणिनि ने संस्कृत भाषा में अष्टाध्यायी नामक ग्रंथ की रचना की थी। इस ग्रंथ में आठ अध्याय हैं तथा लगभग 4 हजार सूत्र हैं।


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Franz Bopp नामक एक भाषा विज्ञानी ने 19वीं में महर्षि पाणिनि के ग्रंथों पर कार्य किया था, तथा इन ग्रंथों में छिपे सूत्रों तथा संस्कृत को आधुनिक भाषा में बदलने के मार्ग निकाले थे। इनके बाद कई अन्य लोगों ने भी महर्षि पाणिनि के ग्रंथों में रूचि दिखाई थी। जिनमें Leonard Bloomfield (1887 – 1949) और Frits Staal (1930 – 2012) जैसे लोग रहें हैं।

इसी क्रम को आगे बढ़ाया Friedrich Ludwig Gottlob Frege (8 नवम्बर 1848 – 26 जुलाई 1925 ) ने जो कि एक जर्मन वैज्ञानिक थे। इन्होंने इस क्षेत्र में कई प्रयोग और कार्य किए जिसके बाद में इनको विश्व का पहला लॉजिक मैन कहा जानें लगा, पर सत्य यह है कि इनसे 2400 वर्ष पहले ही महर्षि पाणिनि ने Computation पर पूरा ग्रंथ लिख डाला था।

अमेरिका की Iowa State University ने महर्षि पाणिनि के नाम पर "पाणिनि प्रोग्रामिंग लैंग्वेज" बनाई है। इस प्रकार से देखा जाए तो भारत प्राचीन काल से न सिर्फ धन में बल्कि विद्या में भी विश्व में सबसे आगे था। आज जरूरत है कि फिर से उन प्राचीन महान लोगों के ग्रंथों की ओर लौटा जाए और फिर से उनके दिए ज्ञान को आत्मसात् किया जाए।


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