बच्चो की बढ़ती पोर्न एक्टिविटी को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट को केंद्र सरकार ने बताया है कि पिछले महीने 3500 चाइल्ड पॉर्नाग्रफी साइट्स को परमानेंटली बंद कर दिया गया है। केंद्र ने कहा, 'चाइल्ड पॉर्नाग्रफी से निपटने के लिए तमाम तरह के कदम उठाए जा रहे हैं। सीबीएसई को कहा गया है कि पॉर्न तक बच्चों की पहुंच रोकने के लिए स्कूलों के आसपास जैमर लगाने पर विचार करे।'
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चाइल्ड पॉर्नाग्रफी मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता कमलेश वासवानी की ओर से दलील दी गई, ' भारत में पॉर्न को बैन किया जाए। इसे बच्चों की पहुंच से दूर रखा जाए। इसके लिए स्कूल परिसर से लेकर स्कूल बसों तक में जैमर लगाए जाने चाहिए।' इसके जवाब में केंद्र सरकार की ओर से अडिशनल सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद ने कहा, 'बसों में जैमर लगाना संभव नहीं है। हमने सीबीएसई से स्कूल परिसरों में जैमर लगाने पर विचार करने को कहा है।' सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा है कि वह इस पूरे मामले में दो दिनों में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे।
पॉर्न मामले में 2013 में याचिका दाखिल की गई थी। इसमें कहा गया था कि इंटरनेट से जुड़े कानूनों के अभाव में पॉर्न विडियोग्राफी तेजी से बढ़ रहा है। याचिकाकर्ता कमलेश वासवानी ने बताया, 'मार्केट में 20 लाख पॉर्न विडियो उपलब्ध हैं। इंटरनेट से इन्हें सीधे डाउनलोड किया जा सकता है। बच्चे आसानी से इन्हें देख सकते हैं। इस कारण उनके दिमाग पर बुरा असर पड़ रहा है। पूरी सोसायटी खतरे में है।'
जब याचिका दायर की गई तब यह केवल चाइल्ड पॉर्नाग्रफी रोकने के लिए थी। लेकिन बाद में इसमें सभी तरह की पॉर्न बंद करने की गुहार जोड़ दी गई। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को भरोसा दिया था कि पॉर्न साइट्स को ब्लॉक करने के लिए हर संभव कोशिश की जाएगी। हालांकि एक सुनवाई में केंद्र यह भी कह चुका है कि सभी तरह की पॉर्न वेबसाइट्स को रोकना संभव नहीं है।
जैमर क्या होता है
मोबाइल फोन जैमर एक ऐसा यंत्र है, जो मोबाइल फोन को बेस स्टेशन से सिग्नल लेने से रोकता है. इसका इस्तेमाल करने पर मोबाइल फोन काम करना बंद कर देता है।
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चाइल्ड पॉर्नाग्रफी मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता कमलेश वासवानी की ओर से दलील दी गई, ' भारत में पॉर्न को बैन किया जाए। इसे बच्चों की पहुंच से दूर रखा जाए। इसके लिए स्कूल परिसर से लेकर स्कूल बसों तक में जैमर लगाए जाने चाहिए।' इसके जवाब में केंद्र सरकार की ओर से अडिशनल सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद ने कहा, 'बसों में जैमर लगाना संभव नहीं है। हमने सीबीएसई से स्कूल परिसरों में जैमर लगाने पर विचार करने को कहा है।' सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा है कि वह इस पूरे मामले में दो दिनों में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे।
पॉर्न मामले में 2013 में याचिका दाखिल की गई थी। इसमें कहा गया था कि इंटरनेट से जुड़े कानूनों के अभाव में पॉर्न विडियोग्राफी तेजी से बढ़ रहा है। याचिकाकर्ता कमलेश वासवानी ने बताया, 'मार्केट में 20 लाख पॉर्न विडियो उपलब्ध हैं। इंटरनेट से इन्हें सीधे डाउनलोड किया जा सकता है। बच्चे आसानी से इन्हें देख सकते हैं। इस कारण उनके दिमाग पर बुरा असर पड़ रहा है। पूरी सोसायटी खतरे में है।'
जब याचिका दायर की गई तब यह केवल चाइल्ड पॉर्नाग्रफी रोकने के लिए थी। लेकिन बाद में इसमें सभी तरह की पॉर्न बंद करने की गुहार जोड़ दी गई। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को भरोसा दिया था कि पॉर्न साइट्स को ब्लॉक करने के लिए हर संभव कोशिश की जाएगी। हालांकि एक सुनवाई में केंद्र यह भी कह चुका है कि सभी तरह की पॉर्न वेबसाइट्स को रोकना संभव नहीं है।
जैमर क्या होता है
मोबाइल फोन जैमर एक ऐसा यंत्र है, जो मोबाइल फोन को बेस स्टेशन से सिग्नल लेने से रोकता है. इसका इस्तेमाल करने पर मोबाइल फोन काम करना बंद कर देता है।