किसान देश का वो वर्ग है जो अगर काम करना बंद कर दे तो शायद नेता और अभिनेता सभी की अक्ल ठिकाने आ जाए। हाल ही में एक नई बात देखने को मिली है, जिसमें किसान लोग अपने खेतों में त्रिशूल स्थापना करने लगे हैं। जी हां, यह देखने सुनने में काफी अजीब लगता है, कि त्रिशूल किसी भी प्रकार के संकट को खत्म करने के लिए क्या काफी है, पर छत्तीसगढ़ के किसानों की मानें तो त्रिशूल वर्तमान में उनकी जान तथा आर्थिक हानि के डर को दूर करने के लिए एक आवश्यक वस्तु बना हुआ है। किसानो का दावा भी है कि त्रिशूल स्थापना से उन्हें वास्तविक रूप से फायदा भी हुआ है।
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आपको हम बता दें कि छत्तीगढ़ के जगदलपुर क्षेत्र के किसान वर्तमान में अपने खेतों में त्रिशूल स्थापना करने लगे हैं। इसके लिए वे लंबी लोहे की छड़ का त्रिशूल बनवा कर अपने खेतों में गाड़ने लगें हैं। हालांकि इसको कई राजनीति करने वाले लोगों ने धर्म प्रचार से जोड़ने की कोशिश भी की है, पर किसानो ने इस बात को साफ़ साफ़ नकारा है। किसानों का कहना है कि दरअसल खेत में त्रिशूल लगाने यह असल में “तड़ित चालक” का कार्य करता है। इसलिए उनके खेत में आकाशीय बिजली के गिरने से होने वाली आर्थिक हानि का खतरा नहीं रहता है। तथा खेत में काम करते हुए किसान भी अपने को सुरक्षित महसूस करते हैं।
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इस संबंध में पोड़ागुड़ा तथा चितापदर आदि आसपास के गावों के किसानों का कहना है कि पहले किसानों को सघन खेती के प्रति ज्यादा जानकारी नहीं थी। पर अब वे इसके प्रति जागरूक हो रहें हैं। पहले जब खेती के समय बारिश होती थी और आकाशीय बिजली कड़कती थी, तब किसान को खेत में बनाई झोपड़ी में किसी पेड़ या के निचे आसरा लेना पड़ता था, पर अब किसान अपने खेतों में त्रिशूल लगा कर निश्चिंत हो गए हैं।
इस प्रकार से किसान त्रिशूल लगा कर खेतों की आकाशीय बिजली से रक्षा कर रहें हैं। कुरंदी गांव के किसान इस बारे में बताते हुए कहते हैं कि खेतों में त्रिशूल लगाने का यह प्रचलन आज से लगभग 4 से 5 वर्ष पहले शुरू हुआ था, पर अब यह ज्यादा बढ़ गया है इसलिए अब यह मामला प्रकाश में आया है। साथ ही उनका कहना है कि जब से उन्होंने अपने खेतों में त्रिशूल लगाने शुरू किए हैं तब से खेत में आकाशीय बिजली से मरने वाले किसानों की खबरें आनी बंद हो गई हैं तथा किसान जंगली पशुओं की ओर से भी खुद को सुरक्षित महसूस करने लगें हैं।
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आपको हम बता दें कि छत्तीगढ़ के जगदलपुर क्षेत्र के किसान वर्तमान में अपने खेतों में त्रिशूल स्थापना करने लगे हैं। इसके लिए वे लंबी लोहे की छड़ का त्रिशूल बनवा कर अपने खेतों में गाड़ने लगें हैं। हालांकि इसको कई राजनीति करने वाले लोगों ने धर्म प्रचार से जोड़ने की कोशिश भी की है, पर किसानो ने इस बात को साफ़ साफ़ नकारा है। किसानों का कहना है कि दरअसल खेत में त्रिशूल लगाने यह असल में “तड़ित चालक” का कार्य करता है। इसलिए उनके खेत में आकाशीय बिजली के गिरने से होने वाली आर्थिक हानि का खतरा नहीं रहता है। तथा खेत में काम करते हुए किसान भी अपने को सुरक्षित महसूस करते हैं।
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इस संबंध में पोड़ागुड़ा तथा चितापदर आदि आसपास के गावों के किसानों का कहना है कि पहले किसानों को सघन खेती के प्रति ज्यादा जानकारी नहीं थी। पर अब वे इसके प्रति जागरूक हो रहें हैं। पहले जब खेती के समय बारिश होती थी और आकाशीय बिजली कड़कती थी, तब किसान को खेत में बनाई झोपड़ी में किसी पेड़ या के निचे आसरा लेना पड़ता था, पर अब किसान अपने खेतों में त्रिशूल लगा कर निश्चिंत हो गए हैं।
इस प्रकार से किसान त्रिशूल लगा कर खेतों की आकाशीय बिजली से रक्षा कर रहें हैं। कुरंदी गांव के किसान इस बारे में बताते हुए कहते हैं कि खेतों में त्रिशूल लगाने का यह प्रचलन आज से लगभग 4 से 5 वर्ष पहले शुरू हुआ था, पर अब यह ज्यादा बढ़ गया है इसलिए अब यह मामला प्रकाश में आया है। साथ ही उनका कहना है कि जब से उन्होंने अपने खेतों में त्रिशूल लगाने शुरू किए हैं तब से खेत में आकाशीय बिजली से मरने वाले किसानों की खबरें आनी बंद हो गई हैं तथा किसान जंगली पशुओं की ओर से भी खुद को सुरक्षित महसूस करने लगें हैं।