रक्षाबंधन हिन्दुओ का एक बड़ा ही पावन उत्सव है। यह पर्व हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा को भाई-बहिन में प्यार बाँटता है। अपने प्यारे भाई की कलाई पर राखी बांधने के लिये बहन रक्षाबंधन के दिन का बेसब्री से इंतजार करती है। इस वर्ष भी रक्षाबंधन उत्सव आने की खुशी पहले ही झलक रही है। बाजारों में भी रौनक बढ़ने लगी है। यह भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को और भी गहरा करने वाला पर्व है।
रक्षाबंधन का यह पावन त्यौहार हर वर्ष श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। हिन्दू धर्म में मान्यता है कि किसी भी काम का शुभारंम अच्छे मुहूर्त में ही करना चाहिए। शुभ मुहूर्त में किया गया कार्य मंगलमय और पूर्ण रूप से संपन्न होता है। रक्षाबंधन के मंगल मुहूर्त में भाई की कलाई पर राखी बाँधने से भाई की उन्नति, आयु व आय में वृद्धि होती है।
रक्षाबंधन का वार - सोमवार
रक्षाबंधन शुभ महूर्त समय - सुबह 11:07 मिनट से लेकर दोपहर 1.43 बजे तक
चद्र गृहण लगने का समय - रात के 10.52 से शुरू होकर सुबह के 11:06 तक
रक्षाबंधन राखी वाले दिन चंद्र ग्रहण रात में 10.52 से शुरू होकर सुबह के 11:06 तक रहेगा। लेकिन चंद्र ग्रहण से 9 घंण्टे पहले ही सूतक लग जायेंगे। सूतक में राखी बांधना अशुभ रहता है इसलिए इस बार सुबह 11:07 मिनट से लेकर दोपहर 1.43 बजे के बीच में ही राखी बांधे।
यह भी पढ़ें - रक्षाबंधन का अर्थ और ये क्यों मनाया जाता है।
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रक्षाबंधन का यह पावन त्यौहार हर वर्ष श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। हिन्दू धर्म में मान्यता है कि किसी भी काम का शुभारंम अच्छे मुहूर्त में ही करना चाहिए। शुभ मुहूर्त में किया गया कार्य मंगलमय और पूर्ण रूप से संपन्न होता है। रक्षाबंधन के मंगल मुहूर्त में भाई की कलाई पर राखी बाँधने से भाई की उन्नति, आयु व आय में वृद्धि होती है।
रक्षाबंधन की तारीख पूजन विधि और शुभ महूर्त
आइये रक्षा बंधन पूजन विधि, शुभ मुहूर्त 2017 (Raksha Bandhan Shubh Muhurat) और रक्षाबंधन के महत्व के बारे में विस्तार पूर्वक जाने।रक्षाबंधन का शुभ महूर्त समय
रक्षाबंधन की तारीख़ - 7 अगस्त 2017रक्षाबंधन का वार - सोमवार
रक्षाबंधन शुभ महूर्त समय - सुबह 11:07 मिनट से लेकर दोपहर 1.43 बजे तक
चद्र गृहण लगने का समय - रात के 10.52 से शुरू होकर सुबह के 11:06 तक
रक्षाबंधन राखी वाले दिन चंद्र ग्रहण रात में 10.52 से शुरू होकर सुबह के 11:06 तक रहेगा। लेकिन चंद्र ग्रहण से 9 घंण्टे पहले ही सूतक लग जायेंगे। सूतक में राखी बांधना अशुभ रहता है इसलिए इस बार सुबह 11:07 मिनट से लेकर दोपहर 1.43 बजे के बीच में ही राखी बांधे।
रक्षाबंधन पूजा थाली व पूजन विधि -
- प्रातः काल में स्नानादि कर भाई-बहन तैयार हो जाएँ।
- रोली, चावल, घी का दिया, मिष्ठान और राखी से थाल सजाएँ।
- थाली में घी का दिया जला कर भाई की आरती उतारें।
- आरती उतारने के बाद में भाई के मस्तक पर तिलक करें।
- अब निम्न मंत्र का जाप करते हुए भाई की दाहिनी कलाई पर राखी बाँधें और उनकी लंबी उम्र की कामना करें।
“येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥”
रक्षाबंधन का महत्व
रक्षा बंधन वाले दिन एक ओर जहां भाई अपनी बहन के प्रति रक्षा का दायित्व निभाने का वचन बहन को देता है, तो दूसरी ओर बहन भी भाई की लंबी उम्र के लिये उपवास रखती है। इस दिन भाई की कलाई पर जो राखी बहन बांधती है वह सिर्फ रेशम की डोर या धागा मात्र नहीं होती बल्कि वह बहन-भाई के अटूट और पवित्र प्रेम का बंधन होता है साधरण से दिखने वाले इस धागे में भाई बहिन का सम्मान और अपार शक्ति निहित होती है।यह भी पढ़ें - रक्षाबंधन का अर्थ और ये क्यों मनाया जाता है।
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