श्रीनगर: CRPF के शहीद कमांडेंट प्रमोद कुमार पिछले वर्ष अपने कैम्प में तिरंगा फहराने के कुछ देर बाद ही शहीद हो गए थे। 15 अगस्त को ठीक उसी जगह एक साल बाद उनकी पत्नी ने अपनी छह साल की बेटी साथ राष्ट्रीय ध्वज फहराया। बेटी अपने बहादुर शहीद पिता को सैल्यूट किया। इस नजारे को देखकर कैम्प में हर किसी की आँख डबडबा गई। अवगत करा दें कि प्रमोद कुमार को इस वर्ष भारत सरकार ने कीर्ति चक्र से सम्मानित किया है।
शहीद प्रमोद कुमार की छह साल की बिटिया का नाम आर्ना और पत्नी का नाम नेहा त्रिपाठी है। शहीद प्रमोद को सोमवार को ही सरकार ने कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया था।
न्यूज एजेंसी से बातचीत के दौरान नेहा ने कहा कि मेरे यहाँ आने से मेरी बेटी अपने पिता की शहादत को समझेगी और जानेगी। उन्होंने अपने प्यारे देश के लिए अपनी कुर्बानी दी है। इसलिए मैं चाहती हूं कि देश की आजादी के दिन वहीं रहें, जहां आखिरी बार मेरे पति ने तिरंगा फहराकर उसे सैल्यूट किया था। पहली बरसी मैं ऐसे ही मनाना चाहती हूं।
आखिर क्या हुआ था शरीद प्रमोद के साथ?
पिछले साल 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के दिन सुबह 8.30 का वक्त था जब वो अपनी बटालियन के साथियों के साथ तिरंगा फहरा रहे थे। इसके बाद उन्होंने जवानो का हौसला बढ़ाते हुए भाषण दिया। कश्मीर में उस वक्त हालात काफी खराब चल रहे थे। तभी खबर मिली कि नौहट्टा इलाके में कुछ आतंकी फायरिंग कर रहे हैं।
प्रमोद ने बिना समय गंवाए अपनी एके-47 राइफल ली और आतंकियों को मार गिराने के लिए घटनास्थल की तरफ रवाना हो गए। उन्होने आतंकियों का सामना कर दो को मार गिराया। लेकिन, इसी दौरान एक गोली उनके माथे पर लगी और वो शहीद हो गए।
उनके कुछ साथी भी घायल हुए। प्रमोद 2014 से कश्मीर में तैनात थे। झारखंड के जामताड़ा जिले के रहने वाले प्रमोद को हाल ही में प्रमोशन मिला था।
source- dainik bhaskar
शहीद प्रमोद कुमार की छह साल की बिटिया का नाम आर्ना और पत्नी का नाम नेहा त्रिपाठी है। शहीद प्रमोद को सोमवार को ही सरकार ने कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया था।
न्यूज एजेंसी से बातचीत के दौरान नेहा ने कहा कि मेरे यहाँ आने से मेरी बेटी अपने पिता की शहादत को समझेगी और जानेगी। उन्होंने अपने प्यारे देश के लिए अपनी कुर्बानी दी है। इसलिए मैं चाहती हूं कि देश की आजादी के दिन वहीं रहें, जहां आखिरी बार मेरे पति ने तिरंगा फहराकर उसे सैल्यूट किया था। पहली बरसी मैं ऐसे ही मनाना चाहती हूं।
आखिर क्या हुआ था शरीद प्रमोद के साथ?
पिछले साल 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के दिन सुबह 8.30 का वक्त था जब वो अपनी बटालियन के साथियों के साथ तिरंगा फहरा रहे थे। इसके बाद उन्होंने जवानो का हौसला बढ़ाते हुए भाषण दिया। कश्मीर में उस वक्त हालात काफी खराब चल रहे थे। तभी खबर मिली कि नौहट्टा इलाके में कुछ आतंकी फायरिंग कर रहे हैं।
प्रमोद ने बिना समय गंवाए अपनी एके-47 राइफल ली और आतंकियों को मार गिराने के लिए घटनास्थल की तरफ रवाना हो गए। उन्होने आतंकियों का सामना कर दो को मार गिराया। लेकिन, इसी दौरान एक गोली उनके माथे पर लगी और वो शहीद हो गए।
उनके कुछ साथी भी घायल हुए। प्रमोद 2014 से कश्मीर में तैनात थे। झारखंड के जामताड़ा जिले के रहने वाले प्रमोद को हाल ही में प्रमोशन मिला था।