नई दिल्ली: राम जन्मभूमि अयोध्या में अगर मंदिर नहीं बनेगा तो आखिर बनेगा क्या ? लेकिन कुछ चुनिंदे मुसलमान बाबरी मस्जिद का अपना अलग ही राग अलाप रहें है। राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद मामले की सुनवाई में आज एक नया मोड़ आया है। इस मामले में शिया वक्फ बोर्ड ने उच्चतम न्यायालय में हलफनामा दायर करते हुए कहा कि सालो से चली आ रही विवादित जमीन पर राम मंदिर ही बनना चाहिए और उससे थोड़ी दूर मुस्लिम बाहुल्य इलाके में बाबरी मस्जिद बनाई जानी चाहिए।
शिया वक्फ बोर्ड की और से दावा यह भी किया गया कि बाबरी मस्जिद शिया वक्फ थी। इसलिए इस मामले में दूसरे पक्षकारों के साथ शांतिपूर्ण समाधान और बातचीत करने का अधिकार केवल उसी के पास है। उधर बाबरी मस्जिद ऐक्शन कमेटी की ओर से कहा गया है कि कानून की नजर से देखा जाए तो इस हलफनामे की कोई अहमियत नहीं है।
शिया वक्फ बोर्ड का कहना है कि अगर मंदिर-मस्जिद का निर्माण हो गया तो इस बड़े विवाद और रोज-रोज की अशांति से लोगों को शांति मिल जाएगी। मंदिर-मस्जिद का निर्माण जल्द होना चाहिए ताकि लोगो में विरोधाभाष ना बढे।
उधर, अयोध्या विवाद मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय बेंच का गठन किया गया है। यह बेंच 11 अगस्त ने इन याचिकाओं की सुनवाई करेगी।
source- google images
शिया वक्फ बोर्ड की और से दावा यह भी किया गया कि बाबरी मस्जिद शिया वक्फ थी। इसलिए इस मामले में दूसरे पक्षकारों के साथ शांतिपूर्ण समाधान और बातचीत करने का अधिकार केवल उसी के पास है। उधर बाबरी मस्जिद ऐक्शन कमेटी की ओर से कहा गया है कि कानून की नजर से देखा जाए तो इस हलफनामे की कोई अहमियत नहीं है।
source- google images
शिया वक्फ बोर्ड का कहना है कि अगर मंदिर-मस्जिद का निर्माण हो गया तो इस बड़े विवाद और रोज-रोज की अशांति से लोगों को शांति मिल जाएगी। मंदिर-मस्जिद का निर्माण जल्द होना चाहिए ताकि लोगो में विरोधाभाष ना बढे।
उधर, अयोध्या विवाद मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय बेंच का गठन किया गया है। यह बेंच 11 अगस्त ने इन याचिकाओं की सुनवाई करेगी।