नई दिल्ली: संसद के दोनों सदनों में आज भारत छोडो आंदोलन के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य पर विशेष चर्चा हो रही है। चर्चा के दौरान सोनिया गांधी ने कहा कि मुझे इस बात का गर्व रहेगा कि आज मैं सदन में खडी होकर इस आंदोलने के बारे में बोल रही हूं। उन्होंने बलिदान की बात करते हुए कहा कि कांग्रेस के कई कार्यकर्ताओं ने इस आंदोलन में अपने प्राणो की आहुति दी। सोनिया ने संसद में आज मोदी सरकार पर जमकर बरसी। जिससे सदन के दोनों सदनों में जमकर बहस हुई।
सोनिया ने महात्मा जी के "करो या मरो" नारे के बारे में अवगत कराते हुए कहा कि जब यह नारा दिया गया था तो गाँधीजी के शब्दों ने पूरे देश में जोश भर दिया था। 8 अगस्त 1972 को महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में कांग्रेस से संकल्प पारित हुआ था, और अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन की शपथ ली थी।
उस दौरान कई कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को जेलों में ठूस दिया गया। जवाहर लाल नेहरू ने भी जीवन का समय जेल में ही बिताया। सोनिया गांधी ने कहा कि अंग्रेजी हुकुमत ने हर बार कांग्रेसी कार्यकर्ताओं पर ही गोलियां बरसाईं और चल रहे राष्ट्रवादी अखबारों पर पांबदी लगाई।
मोदी सरकार और आरएसएस पर भी साधा निशाना :
सोनिया ने अपने संबोधन में इशारों-इशारों में मोदी सरकार और आर.एस.एस पर खूब निशाना साधा। सोनिया ने कहा कि भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान कुछ लोगों और संगठनों ने इस आंदोलन का विरोध भी किया था। साथ ही उन्होंने कहा की इन तत्वों का हमारे देश को आजादी दिलाने में कोई योगदान नहीं रहा। सोनिया के ऐसा कहने पर तुरंत कुछ सदस्यों पर शोर भी मचाया।
सोनिया गांधी ने कहा कि अब अंधकार की शक्तियां दोबारा पनप रही हैं। आजादी के माहौल में दोबारा लोगो के जहन भय छा रहा है, जनतंत्र को नष्ट करने की पुरजोर कोशिश की जा रही है। नफरत की राजनीति के बादल हर तरफ छाए हुए हैं।
बीजेपी की तरफ से दिया गया माकूल जवाब
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस बहस का जवाब देते हुए कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का मंत्र था 'करो या मरो, और हमारा मंत्र है- करेंगे, और करके रहेंगे' .
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने तीन संकल्प बताए -
देश के सामने कई बड़ी बड़ी चुनौतियां मुँह बाएं खड़ी हैं। हमें मिलकर सकारात्मक बदलाव लाने की जरूरत है। 1947 में देश की आजादी सिर्फ भारत के लिए नहीं थी, बल्कि यह विश्व के दूसरे हिस्सों में उपनिवेशवाद के खात्मे में एक निर्णायक क्षण था।
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सोनिया ने महात्मा जी के "करो या मरो" नारे के बारे में अवगत कराते हुए कहा कि जब यह नारा दिया गया था तो गाँधीजी के शब्दों ने पूरे देश में जोश भर दिया था। 8 अगस्त 1972 को महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में कांग्रेस से संकल्प पारित हुआ था, और अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन की शपथ ली थी।
उस दौरान कई कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को जेलों में ठूस दिया गया। जवाहर लाल नेहरू ने भी जीवन का समय जेल में ही बिताया। सोनिया गांधी ने कहा कि अंग्रेजी हुकुमत ने हर बार कांग्रेसी कार्यकर्ताओं पर ही गोलियां बरसाईं और चल रहे राष्ट्रवादी अखबारों पर पांबदी लगाई।
मोदी सरकार और आरएसएस पर भी साधा निशाना :
सोनिया ने अपने संबोधन में इशारों-इशारों में मोदी सरकार और आर.एस.एस पर खूब निशाना साधा। सोनिया ने कहा कि भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान कुछ लोगों और संगठनों ने इस आंदोलन का विरोध भी किया था। साथ ही उन्होंने कहा की इन तत्वों का हमारे देश को आजादी दिलाने में कोई योगदान नहीं रहा। सोनिया के ऐसा कहने पर तुरंत कुछ सदस्यों पर शोर भी मचाया।
सोनिया गांधी ने कहा कि अब अंधकार की शक्तियां दोबारा पनप रही हैं। आजादी के माहौल में दोबारा लोगो के जहन भय छा रहा है, जनतंत्र को नष्ट करने की पुरजोर कोशिश की जा रही है। नफरत की राजनीति के बादल हर तरफ छाए हुए हैं।
बीजेपी की तरफ से दिया गया माकूल जवाब
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस बहस का जवाब देते हुए कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का मंत्र था 'करो या मरो, और हमारा मंत्र है- करेंगे, और करके रहेंगे' .
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने तीन संकल्प बताए -
- पहला संकल्प - हम गरीबी दूर करेंगे और दूर करके रहेंगे।
- दूसरा संकल्प - हम अशिक्षा और कुपोषण को दूर करेंगे और करके रहेंगे।
- तीसरा संकल्प - हम भ्रष्टाचार दूर करेंगे और दूर करके रहेंगे।
देश के सामने कई बड़ी बड़ी चुनौतियां मुँह बाएं खड़ी हैं। हमें मिलकर सकारात्मक बदलाव लाने की जरूरत है। 1947 में देश की आजादी सिर्फ भारत के लिए नहीं थी, बल्कि यह विश्व के दूसरे हिस्सों में उपनिवेशवाद के खात्मे में एक निर्णायक क्षण था।