नीमकाथाना: रेलवे स्टेशन पर कुछ सालो में रेल से कटकर आत्महत्या करने वालो में इजाफा हुआ है। इसे आप रेलवे प्रशासन की अनदेखी कहें या फिर लोगो की लापरवाही। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक क्षेत्र में वर्ष 2015 से लेकर जुलाई 2017 तक कुल 36 लोगो ने रेल से कटकर आत्महत्या की है।
आत्महत्या करने वालो में 25 पुरुष बाकी 4 महिलाएं हैं। यह आकड़ा तब तक बढ़ता जाएगा जब तक रेलवे प्रशासन इस और कोई कदम नहीं उठता। विशेषज्ञों की माने तो रेलवे प्रशासन को शहरी व आबादी क्षेत्र में गुजर रही लाइन के दोनों और जालियाँ लगा देनी चाहिए।
नीमकाथाना रेलवे स्टेशन पर भी आत्महत्या का प्रयास
नीमकाथाना रेलवे स्टेशन को भी लोगो ने सुसाइड की कोशिश कर इसको सुसाइड पॉइंट बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। ये तो गनीमत है कि स्टेशन पर यात्री और स्टाफ के कारण यहाँ सुसाइड करने वालो को मौके पर रोका गया।
पिछले 6 दिनों में 2 हादसे।
पिछले 6 दिनों की बात करें तो यहाँ 2 हादसे हो चुके है जिनमें 1 पुरुष और 1 महिला ने आत्महत्या कर ली। जिसमें पुरुष की तो पहचान नहीं हो पाई और महिला सिरोही की रहने वाली थी।
सबसे ज्यादा हादसे बुगदा के पास
बुगदा और गोडावास रेलवे फाटक के पास सुसाईड की घटना ज्यादा देखने को मिली हैं। ये दोनों ही जगह ऐसी है जहां पाइलेट को भी पता नहीं चल पाता कि ट्रेन के सामने कब कोई आकर छलाँग लगा दे। रेलवे प्रशासन को पुरे एतिहात बरतने होंगे ताकि सुसाइड करने वालो की जिंदगी बचाई जा सके और बढ़ रहे आकड़ो पर लगाम कसी जा सके।
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आत्महत्या करने वालो में 25 पुरुष बाकी 4 महिलाएं हैं। यह आकड़ा तब तक बढ़ता जाएगा जब तक रेलवे प्रशासन इस और कोई कदम नहीं उठता। विशेषज्ञों की माने तो रेलवे प्रशासन को शहरी व आबादी क्षेत्र में गुजर रही लाइन के दोनों और जालियाँ लगा देनी चाहिए।
नीमकाथाना रेलवे स्टेशन पर भी आत्महत्या का प्रयास
नीमकाथाना रेलवे स्टेशन को भी लोगो ने सुसाइड की कोशिश कर इसको सुसाइड पॉइंट बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। ये तो गनीमत है कि स्टेशन पर यात्री और स्टाफ के कारण यहाँ सुसाइड करने वालो को मौके पर रोका गया।
पिछले 6 दिनों में 2 हादसे।
पिछले 6 दिनों की बात करें तो यहाँ 2 हादसे हो चुके है जिनमें 1 पुरुष और 1 महिला ने आत्महत्या कर ली। जिसमें पुरुष की तो पहचान नहीं हो पाई और महिला सिरोही की रहने वाली थी।
सबसे ज्यादा हादसे बुगदा के पास
बुगदा और गोडावास रेलवे फाटक के पास सुसाईड की घटना ज्यादा देखने को मिली हैं। ये दोनों ही जगह ऐसी है जहां पाइलेट को भी पता नहीं चल पाता कि ट्रेन के सामने कब कोई आकर छलाँग लगा दे। रेलवे प्रशासन को पुरे एतिहात बरतने होंगे ताकि सुसाइड करने वालो की जिंदगी बचाई जा सके और बढ़ रहे आकड़ो पर लगाम कसी जा सके।