रोहित वेमुला सुसाइड केस पर एक नया खुलासा हुआ है है। कांग्रेस और वामपंथियों तो राजनितिक रोटियों के लिए और मीडिया TRP के लिए देश को धार्मिक खेमे में बाँटती आई है। इनकी सोच हमेशा खुद तक ही सीमित है। देश चाहे जाए भाड़ में इनको कोई मतलब नहीं बस इनका उल्लू सीधा होना चाहिए। आपको याद तो होगा ही रोहित वेमुला सुसाइड पर इन्होने अपना एक अलग ही माहौल खड़ा कर देश को जमकर बदनाम किया था।
गौरतलब हो की रोहित वेमुला ने 17 January 2016 को हैदराबाद यूनिवर्सिटी में सुसाइड किया था। जिसके बाद राजनितिक धुरंधरों ने देश को बट्टे लगाते हुए खूब राजनितिक रोटियां सेंकी और अपना राजनितिक सफर चमकाया।
रोहित वेमुला सुसाइड पर जांच कमीशन ने अपनी रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी है। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय की ओर से गठित हुए कमीशन ने रिपोर्ट में बताया गया है कि रोहित की मौत के जिम्मेदार कोई और नहीं बल्कि उसकी अपनी घर की परेशानी थी। वह घर की परेशानियों से घिरा रहता था और वो इन हालातों से नाखुश था।
यहाँ तक कि रोहित के सुसाइड नोट ने भी इस बात की पुष्टि की है कि वो पारिवारिक समस्याओं की वजह से नरवश चल रहा था जिससे उसका मानसिक प्रेशर बढ़ गया था। सार्वजनिक की गई इस रिपोर्ट में लिखा है कि "अगर रोहित यूनिवर्सिटी के फैसले से नाराज होते तो वो जरूर इसके बारे में लिखकर इशारा देते। रोहित वेमुला ने सुसाइडल नोट में लिखा था की वो बचपन से अकेला था, जिससे भी उसे निराशा होती थी। उसने लिखा था कि उसके इस कदम के लिए कोई जिम्मेदार नहीं है।"
रोहित वेमुला सुसाइड पर गठित कमीशन का कहना है कि इस कदम के पीछे निजी कारण जिम्मेदार थे, नाकि कोई और। सार्वजनिक हुए इस सच से विपक्ष और वामपंथ खेमे में बौखलाहट का साफ़ अंदाजा लगाया जा सकता है, क्यूंकि राहुल गाँधी से लेकर केजरीवाल जैसे लोग हैदराबाद अपने राजनितिक फायदे के लिए गए थे।
जांच कमीशन द्वारा सौपी गई इस रिपोर्ट से साफ़ जाहिर होता है कि वेमुला अपनी पारिवारिक और व्यक्तिगत दिक्कतों से परेशान चल रहा था। रिपोर्ट में इस बात की भी पुष्टि की गई है कि रोहित ने यूनिवर्सिटी की ओर से लिए जाने वाले एक्शन के चलते सुसाइड नहीं की थी, बल्कि ऐसा उसने अपनी खुद की इच्छा से किया था।
रोहित वेमुला जो कि दलित भी नहीं था उसे जबरन दलित बताकर खूब राजनीती कर देश का सौहाद्र बिगाड़ा था। साथ ही साथ कहा था कि मोदी सरकार की नीतियों ने ने एक दलित को मार डाला पर जांच में ये सामने आ गया हैँ कि न रोहित वेमुला दलित था और न ही उसने यूनिवर्सिटी के कारण सुसाइड किया था। जाँच आयोग ने यूनिवर्सिटी को क्लीन चिट दे दी है।
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गौरतलब हो की रोहित वेमुला ने 17 January 2016 को हैदराबाद यूनिवर्सिटी में सुसाइड किया था। जिसके बाद राजनितिक धुरंधरों ने देश को बट्टे लगाते हुए खूब राजनितिक रोटियां सेंकी और अपना राजनितिक सफर चमकाया।
रोहित वेमुला सुसाइड पर जांच कमीशन ने अपनी रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी है। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय की ओर से गठित हुए कमीशन ने रिपोर्ट में बताया गया है कि रोहित की मौत के जिम्मेदार कोई और नहीं बल्कि उसकी अपनी घर की परेशानी थी। वह घर की परेशानियों से घिरा रहता था और वो इन हालातों से नाखुश था।
यहाँ तक कि रोहित के सुसाइड नोट ने भी इस बात की पुष्टि की है कि वो पारिवारिक समस्याओं की वजह से नरवश चल रहा था जिससे उसका मानसिक प्रेशर बढ़ गया था। सार्वजनिक की गई इस रिपोर्ट में लिखा है कि "अगर रोहित यूनिवर्सिटी के फैसले से नाराज होते तो वो जरूर इसके बारे में लिखकर इशारा देते। रोहित वेमुला ने सुसाइडल नोट में लिखा था की वो बचपन से अकेला था, जिससे भी उसे निराशा होती थी। उसने लिखा था कि उसके इस कदम के लिए कोई जिम्मेदार नहीं है।"
रोहित वेमुला सुसाइड पर गठित कमीशन का कहना है कि इस कदम के पीछे निजी कारण जिम्मेदार थे, नाकि कोई और। सार्वजनिक हुए इस सच से विपक्ष और वामपंथ खेमे में बौखलाहट का साफ़ अंदाजा लगाया जा सकता है, क्यूंकि राहुल गाँधी से लेकर केजरीवाल जैसे लोग हैदराबाद अपने राजनितिक फायदे के लिए गए थे।
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रोहित वेमुला जो कि दलित भी नहीं था उसे जबरन दलित बताकर खूब राजनीती कर देश का सौहाद्र बिगाड़ा था। साथ ही साथ कहा था कि मोदी सरकार की नीतियों ने ने एक दलित को मार डाला पर जांच में ये सामने आ गया हैँ कि न रोहित वेमुला दलित था और न ही उसने यूनिवर्सिटी के कारण सुसाइड किया था। जाँच आयोग ने यूनिवर्सिटी को क्लीन चिट दे दी है।