Neem Ka Thana News: भ्रूण लिंग जांच करने वाले गिरोह के सरगना को पीसीपीएनडीटी ने जेल की सलाखों के पीछे भिजवा दिया है। पीसीपीएनडीटी टीम ने मंगलवार को उसे न्यायालय में पेश किया, जहां से न्यायाधीश ने जेल भिजवाने के आदेश दिए। पीसीपीएनडीटी टीम ने सरगना को सोमवार दोपहर को रींगस कस्बे से गिरफ्तार किया था। वह किसानों द्वारा लगाए जाम पर फंस गया था।
पीसीपीएनडीटी टीम के सीआई उमेश निठारवाल के मुताबिक कि सरगना रविसिंह ने पूछताछ में चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। वह और उसके साथी हर साल भ्रूण लिंग जांच कर 2 करोड़ रुपए से ज्यादा कमाते थे। भ्रूण लिंग जांच की काली काली कमाई से रविसिंह और उसके साथी महँगे होटलो में जाकर मौज मस्ती उड़ाते थें।
महंगी होटलों में रूकना और बढ़िया क्वालिटी की शराब पीना उनका शौक बन गया था। रविसिंह कमाई का ज्यादातर हिस्सा उड़ा चुका है। दो तीन माह पहले टीम को गच्चा देकर फरार हुआ रविसिंह भटकता रहा। मदद के लिए साथियों से गुहार लगाई लेकिन उसे कोई मदद नहीं मिली। वह जगह-जगह भटकता रहा।
पूछताछ में आरोपी ने स्वीकार किया गया कि 2008 से ही लिंग जांच व बेटी होने पर गर्भपात कराने के काम से जुड़ा। इसके लिए दिल्ली के डॉ. योगेश कुमार का सहयोग मिला। योगेश से उसने सोनोग्राफी जांच सीखी। इसके बाद सिंघाना की डॉ. संतोष चौधरी, महेंद्र चौधरी, खेतड़ी के अवधेष पांडे के साथ काम किया। कई भ्रूण लिंग जांचे की।
22 जून 2014 को डॉ. योगेश कुमार व महेंद्र चौधरी पकड़े गए। इसके बाद वे अलग-अलग हो गए। रविसिंह ने इसके बाद रामावतार डूडी, प्यारेलाल डूडी के साथ गिरोह बना दिया। इसके बाद अलग-अलग जगह पहुंचकर भ्रूण लिंग करने लगे। जानकारी गर्भवती से 10 हजार और और अनजान गर्भवती महिला से 30 हजार रुपए की वसूली करते थे।
रविसिंह ने ढूंढा पहचान छुपाने का नायाब तरीका
रविसिंह अलग-अलग जगह पहुंचकर गाड़ी में गर्भवती महिला की जांच करता था। जांच के दौरान वह हेलमेट का इस्तेमाल करता था। जब वह किसी गर्भवती स्त्री की जाँच करता था तो हेलमेट लगा लेता था ताकि कोई गर्भवती महिला उसका चेहरा नहीं पहचान सके।
हेलमेट ना होने पर रूमाल और तौलिया भी मुंह ढकने के लिए काम लेता था। आरोपी रविसिंह दलालों को अपने नाम की सिम देता था। मोबाइल भी उपलब्ध कराता था। इसके जरिए वह दलालों पर भी नजर रखता था कि कहीं वे पकड़वा न दे। पीसीपीएनडीटी टीम ने तीन माह पहले खेतड़ी कस्बे में कार्रवाई की। वह टीम को गच्चा देकर भाग निकला। टीम ने उसके दो दलाल गिरफ्तार किए थे। सोनोग्राफी मशीन भी जब्त की थी।
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पीसीपीएनडीटी टीम के सीआई उमेश निठारवाल के मुताबिक कि सरगना रविसिंह ने पूछताछ में चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। वह और उसके साथी हर साल भ्रूण लिंग जांच कर 2 करोड़ रुपए से ज्यादा कमाते थे। भ्रूण लिंग जांच की काली काली कमाई से रविसिंह और उसके साथी महँगे होटलो में जाकर मौज मस्ती उड़ाते थें।
महंगी होटलों में रूकना और बढ़िया क्वालिटी की शराब पीना उनका शौक बन गया था। रविसिंह कमाई का ज्यादातर हिस्सा उड़ा चुका है। दो तीन माह पहले टीम को गच्चा देकर फरार हुआ रविसिंह भटकता रहा। मदद के लिए साथियों से गुहार लगाई लेकिन उसे कोई मदद नहीं मिली। वह जगह-जगह भटकता रहा।
पूछताछ में आरोपी ने स्वीकार किया गया कि 2008 से ही लिंग जांच व बेटी होने पर गर्भपात कराने के काम से जुड़ा। इसके लिए दिल्ली के डॉ. योगेश कुमार का सहयोग मिला। योगेश से उसने सोनोग्राफी जांच सीखी। इसके बाद सिंघाना की डॉ. संतोष चौधरी, महेंद्र चौधरी, खेतड़ी के अवधेष पांडे के साथ काम किया। कई भ्रूण लिंग जांचे की।
22 जून 2014 को डॉ. योगेश कुमार व महेंद्र चौधरी पकड़े गए। इसके बाद वे अलग-अलग हो गए। रविसिंह ने इसके बाद रामावतार डूडी, प्यारेलाल डूडी के साथ गिरोह बना दिया। इसके बाद अलग-अलग जगह पहुंचकर भ्रूण लिंग करने लगे। जानकारी गर्भवती से 10 हजार और और अनजान गर्भवती महिला से 30 हजार रुपए की वसूली करते थे।
रविसिंह ने ढूंढा पहचान छुपाने का नायाब तरीका
रविसिंह अलग-अलग जगह पहुंचकर गाड़ी में गर्भवती महिला की जांच करता था। जांच के दौरान वह हेलमेट का इस्तेमाल करता था। जब वह किसी गर्भवती स्त्री की जाँच करता था तो हेलमेट लगा लेता था ताकि कोई गर्भवती महिला उसका चेहरा नहीं पहचान सके।
हेलमेट ना होने पर रूमाल और तौलिया भी मुंह ढकने के लिए काम लेता था। आरोपी रविसिंह दलालों को अपने नाम की सिम देता था। मोबाइल भी उपलब्ध कराता था। इसके जरिए वह दलालों पर भी नजर रखता था कि कहीं वे पकड़वा न दे। पीसीपीएनडीटी टीम ने तीन माह पहले खेतड़ी कस्बे में कार्रवाई की। वह टीम को गच्चा देकर भाग निकला। टीम ने उसके दो दलाल गिरफ्तार किए थे। सोनोग्राफी मशीन भी जब्त की थी।