छत्तीसगढ़ के बिलासपुर की 21 वर्षीय युवती के यौन शोषण मामले में जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी कौशलेंद्र प्रपन्नाचार्य फलाहारी बाबा को अलवर पुलिस ने शनिवार को गिरफ्तार कर लिया। बाबा का दावा था कि अलवर शहर सहित देश में उसके लाखों शिष्य हैं। लेकिन यौन शोषण का आरोप लगने के बाद शिष्यों ने भी उससे किनारा कर लिया। निजी अस्पताल से लेकर जेल यात्रा तक बाबा के साथ कोई शिष्य नहीं दिखा।
गिरफ्तारी से बचने के लिए बाबा चार दिन से बसंत विहार स्थित निजी अस्पताल एक्सांन सेंटर ऑफ साइंसेज हॉस्पिटल में भर्ती थे। पुलिस गिरफ्तारी से पहले बाबा को सरकारी अस्पताल ले गई। वहां चार डॉक्टरों के मेडिकल बोर्ड से जांच कराई गई।
अस्पताल में ही अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पारस जैन ने बाबा की गिरफ्तारी की जानकारी दी। इसके बाद गिरफ्तार बाबा को एसीजेएम -3 प्रवीण कुमार मिश्रा की कोर्ट में पेश किया गया। जहां से उन्हें 15 दिन के लिए न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया।
क्या है मामला
बाबा पर बिलासपुर के शिष्य की 21 वर्षीय बेटी ने आरोप लगाया कि 7 अगस्त को अलवर स्थित मधुसूदन सेवाआश्रम में यौन शोषण किया। 20 सितंबर को अलवर में केस दर्ज। तभी से बाबा अस्पताल में भर्ती हो गए।
बाबा की दलील: तबीयत खराब है, जमानत दे दीजिए
बाबा की ओर सेतीन वकीलों नेजमानत के लिए प्रार्थना पत्र लगाया। इसमें युवती की ओर देरी से एफआईआर दर्ज कराने एवं बाबा की तबीयत खराब होने का तर्क देकर जमानत पर रिहा करने का आग्रह किया गया। अदालत ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद बाबा को 6 अक्टूबर तक जेल भेज दिया।
बाबा के एडवोकेट अशोक कुमार नेफैसले के बाद कहा- बाबा की आंत व लीवर में संक्रमण है। ऐसे में उन्हें चिकित्सा सुविधा मुहैया कराई जाए।
मेडिकल जांच रिपोर्ट शारीरिक-मानसिक रूप से बाबा स्वस्थ
राजीव गांधी सामान्य अस्पताल के चार डॉक्टरों के मेडिकल बोर्ड की जांच में फलाहारी सभी 4 जांचों में फिट साबित हुआ। बाबा पुरुषत्व, शारीरिक, सर्जिकल व मानसिक रूप सेफिट मिला। निजी अस्पताल की जांच में पेट में अल्सर बताया गया। युवती से क्रास मैच के लिए बाबा का सलाइवा व ब्लड सैंपल एफएसएल भेजे हैं।
कोर्ट ने कहा: आस्था से खिलवाड़, बेल नहीं दे सकते
एसीजेएम-3 के जज प्रवीण कुमार मिश्रा ने आदेश में लिखा कि अभियुक्त पर जिस प्रकार का आरोप है, उससे संतों, बाबा व संन्यासियों के प्रति धार्मिक आस्था को आघात पहुंचना स्वाभाविक है। ऐसे अपराध में अभियुक्त को जमानत की सुविधा दी जाती तो निश्चित रूप से समाज में विपरीत संदेश प्रसारित होगा।
30 साल पहले संत बने, सिर्फ फल खाते हैं, इसलिए फलाहारी
फलाहारी बाबा उत्तरप्रदेश में इलाहाबाद के पास कौशांबी के डकशरीरा (महेवाघाट) गांव के रहने वाले हैं। नाम शिव पूजन मिश्रा था। करीब 30 साल पहले घर छोड़ा, संत बनेतो जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी कौशलेंद्र प्रपन्नाचार्य नाम हो गया।
सिर्फ फल खाते हैं और गंगाजल पीते हैं, इसलिए फलाहारी महाराज भी नाम में जुड़ गया। अलवर में आकर रम गए। आश्रम बना लिया। इंटरमीडियट में थे, तभी घरवालों ने शादी कर दी थी। एक बेटी भी है, जिसकी शादी कर चुके। छोटा भाई रामनारायण गांव में ही रहते हैं।
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गिरफ्तारी से बचने के लिए बाबा चार दिन से बसंत विहार स्थित निजी अस्पताल एक्सांन सेंटर ऑफ साइंसेज हॉस्पिटल में भर्ती थे। पुलिस गिरफ्तारी से पहले बाबा को सरकारी अस्पताल ले गई। वहां चार डॉक्टरों के मेडिकल बोर्ड से जांच कराई गई।
अस्पताल में ही अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पारस जैन ने बाबा की गिरफ्तारी की जानकारी दी। इसके बाद गिरफ्तार बाबा को एसीजेएम -3 प्रवीण कुमार मिश्रा की कोर्ट में पेश किया गया। जहां से उन्हें 15 दिन के लिए न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया।
क्या है मामला
बाबा पर बिलासपुर के शिष्य की 21 वर्षीय बेटी ने आरोप लगाया कि 7 अगस्त को अलवर स्थित मधुसूदन सेवाआश्रम में यौन शोषण किया। 20 सितंबर को अलवर में केस दर्ज। तभी से बाबा अस्पताल में भर्ती हो गए।
बाबा की दलील: तबीयत खराब है, जमानत दे दीजिए
बाबा की ओर सेतीन वकीलों नेजमानत के लिए प्रार्थना पत्र लगाया। इसमें युवती की ओर देरी से एफआईआर दर्ज कराने एवं बाबा की तबीयत खराब होने का तर्क देकर जमानत पर रिहा करने का आग्रह किया गया। अदालत ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद बाबा को 6 अक्टूबर तक जेल भेज दिया।
बाबा के एडवोकेट अशोक कुमार नेफैसले के बाद कहा- बाबा की आंत व लीवर में संक्रमण है। ऐसे में उन्हें चिकित्सा सुविधा मुहैया कराई जाए।
मेडिकल जांच रिपोर्ट शारीरिक-मानसिक रूप से बाबा स्वस्थ
राजीव गांधी सामान्य अस्पताल के चार डॉक्टरों के मेडिकल बोर्ड की जांच में फलाहारी सभी 4 जांचों में फिट साबित हुआ। बाबा पुरुषत्व, शारीरिक, सर्जिकल व मानसिक रूप सेफिट मिला। निजी अस्पताल की जांच में पेट में अल्सर बताया गया। युवती से क्रास मैच के लिए बाबा का सलाइवा व ब्लड सैंपल एफएसएल भेजे हैं।
कोर्ट ने कहा: आस्था से खिलवाड़, बेल नहीं दे सकते
एसीजेएम-3 के जज प्रवीण कुमार मिश्रा ने आदेश में लिखा कि अभियुक्त पर जिस प्रकार का आरोप है, उससे संतों, बाबा व संन्यासियों के प्रति धार्मिक आस्था को आघात पहुंचना स्वाभाविक है। ऐसे अपराध में अभियुक्त को जमानत की सुविधा दी जाती तो निश्चित रूप से समाज में विपरीत संदेश प्रसारित होगा।
30 साल पहले संत बने, सिर्फ फल खाते हैं, इसलिए फलाहारी
फलाहारी बाबा उत्तरप्रदेश में इलाहाबाद के पास कौशांबी के डकशरीरा (महेवाघाट) गांव के रहने वाले हैं। नाम शिव पूजन मिश्रा था। करीब 30 साल पहले घर छोड़ा, संत बनेतो जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी कौशलेंद्र प्रपन्नाचार्य नाम हो गया।
सिर्फ फल खाते हैं और गंगाजल पीते हैं, इसलिए फलाहारी महाराज भी नाम में जुड़ गया। अलवर में आकर रम गए। आश्रम बना लिया। इंटरमीडियट में थे, तभी घरवालों ने शादी कर दी थी। एक बेटी भी है, जिसकी शादी कर चुके। छोटा भाई रामनारायण गांव में ही रहते हैं।