खेतड़ी कॉपर: खेतड़ी कॉपर खदान एशिया की पहली भूमिगत खदान है। जो कि खेतड़ी में जमीन के निचे समुद्र तल 370 मीटर अंदर बनी हुई है । यहां
समुद्र तल से भी माइनस 120 मीटर नीचे ताँबे का खनन किया जा रहा है।
इस खदान से पिछले 50 साल से तांबा निकाला जा रहा है। खनन से सालाना 11 लाख टन कच्चा माल निकाला जाता है। इसकी शुद्धिकरण की प्रोसेस के बाद 11 हजार टन तांबा प्राप्त हो जाता है।
भूकंपरोधी है सभी टनल
इस भूमिगत खदान में 200 टनल हैं। अधिकारियों के मुताबिक यह टनल भूकंपराेधी तकनीक से बनाई गई है, इसलिए खदान भूकंप से पूरी तरह सुरक्षित है। यहां सबसे ज्यादा तांबा (कॉपर) खनन होता है।
तांबा पहुंचाने के लिए रेलवे लाइन की तरह पटरियां बिछी हुई हैं। खनन वालेस्थान सेक्रेशर पॉइंट तक लोडर लगी ट्रॉली से पत्थरों को लाते हैं। क्रेशर में पत्थर के टुकड़े कर कच्चे माल को बाहर भेजते हैं। मुख्य टनल जमीन के अंदर ही अंदर 10 किमी तक फैली है। सभी सुरंगों को मिलाया जाये तो तो क्षेत्रफल के हिसाब से इनकी कुल दूरी 200 किमी से ज्यादा है। यहां 75 साल तक खनन किया जा सकता है।
खदान में इतनी बड़ी लिफ्ट लगी है कि 84 लोग एक साथ उतर सकते हैं। खदान में एक सिफ्ट में 50 से 80 मजदूर काम करते हैं।
30 दिन प्रयासों के बाद मिली अनुमति
खेतड़ी कॉपर खदान पर रिपोर्ट बनाने और फोटो क्लिक करने की अनुमति 30 दिन बाद मिल पाई। क्यूंकि यहां जाना मना है। इसलिए 50 साल में पहली बार फोटो क्लिक हो पाए। बॉन्ड भी भराया गया इसमें लिखा-किसी भी हादसे के लिए खुद जिम्मेदार होंगे।
20 दिनों की कोशिशों के बाद इकाई प्रमुख आरके शाह ने लिखित में अनुमति चाहने का पत्र लिया। दो दिन बाद की अनुमति मिली। इतना समय इसलिए लगा क्योंकि सुरक्षा कारणों से यहां प्रवेश मना है। अनुमति के बाद भास्कर टीम को सुरक्षा सामग्री (हेलमेट, टॉर्च व जूते) उपलब्ध करवाएं और यूनिट के अमित को खदान में साथ भेजा। अंदर गहरे अंधेरे में दो घंटे कड़ी मशक्कत के बाद फोटो क्लिक किए।
इस खदान से पिछले 50 साल से तांबा निकाला जा रहा है। खनन से सालाना 11 लाख टन कच्चा माल निकाला जाता है। इसकी शुद्धिकरण की प्रोसेस के बाद 11 हजार टन तांबा प्राप्त हो जाता है।
भूकंपरोधी है सभी टनल
इस भूमिगत खदान में 200 टनल हैं। अधिकारियों के मुताबिक यह टनल भूकंपराेधी तकनीक से बनाई गई है, इसलिए खदान भूकंप से पूरी तरह सुरक्षित है। यहां सबसे ज्यादा तांबा (कॉपर) खनन होता है।
तांबा पहुंचाने के लिए रेलवे लाइन की तरह पटरियां बिछी हुई हैं। खनन वालेस्थान सेक्रेशर पॉइंट तक लोडर लगी ट्रॉली से पत्थरों को लाते हैं। क्रेशर में पत्थर के टुकड़े कर कच्चे माल को बाहर भेजते हैं। मुख्य टनल जमीन के अंदर ही अंदर 10 किमी तक फैली है। सभी सुरंगों को मिलाया जाये तो तो क्षेत्रफल के हिसाब से इनकी कुल दूरी 200 किमी से ज्यादा है। यहां 75 साल तक खनन किया जा सकता है।
खदान में इतनी बड़ी लिफ्ट लगी है कि 84 लोग एक साथ उतर सकते हैं। खदान में एक सिफ्ट में 50 से 80 मजदूर काम करते हैं।
30 दिन प्रयासों के बाद मिली अनुमति
खेतड़ी कॉपर खदान पर रिपोर्ट बनाने और फोटो क्लिक करने की अनुमति 30 दिन बाद मिल पाई। क्यूंकि यहां जाना मना है। इसलिए 50 साल में पहली बार फोटो क्लिक हो पाए। बॉन्ड भी भराया गया इसमें लिखा-किसी भी हादसे के लिए खुद जिम्मेदार होंगे।
20 दिनों की कोशिशों के बाद इकाई प्रमुख आरके शाह ने लिखित में अनुमति चाहने का पत्र लिया। दो दिन बाद की अनुमति मिली। इतना समय इसलिए लगा क्योंकि सुरक्षा कारणों से यहां प्रवेश मना है। अनुमति के बाद भास्कर टीम को सुरक्षा सामग्री (हेलमेट, टॉर्च व जूते) उपलब्ध करवाएं और यूनिट के अमित को खदान में साथ भेजा। अंदर गहरे अंधेरे में दो घंटे कड़ी मशक्कत के बाद फोटो क्लिक किए।
Photo- Manoj Rathore
Content- Dharmendra Nathavat
Source- Bhaskar News Network