सीकर- 13 दिन से चल रहा किसानों का आंदोलन बुधवार आधी रात को खत्म हो गया। किसानों और सरकार के बीच 11 मांगों को लेकर बुधवार देर रात सहमति बनी। तीन दिन के चक्का जाम के बाद मंत्री समूह और किसान नेताओं के बीच जयपुर में हुई। वार्ता में मंत्रियों ने रात करीब 12.30 बजे कर्ज माफी सहित 11 मांगों पर सहमति जताई।
50 हजार रुपए तक का कर्ज माफ करने के निर्णय के लिए अन्य राज्यों द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया का अध्ययन के लिए कमेटी गठित की जाएगी। यह कमेटी एक महीने में रिपोर्ट पेश करेगी। मांगों पर सरकार से सहमति बनने के बाद किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमराराम ने रात 12.50 बजे किसान कमेटियों से चक्का जाम खोलने का आह्वान किया।
जयपुर रोड पर किसानों द्वारा महापड़ाव हटा लिया गया। पुलिस ने भी रोड से बेरिकेड्स हटा लिए। इसके अलावा जिले सहित प्रदेशभर में हाईवे से किसानों ने चक्काजाम हटाना शुरू कर दिया। इसी के साथ 13 दिन से चल रहे किसान आंदोलन का भी समापन हो गया।
ज्ञातव्य है कि कर्ज माफी सहित विभिन्न मागों को लेकर अखिल भारतीय किसान सभा द्वारा कृषि उपज मंडी में एक सितंबर को महापड़ाव शुरू किया गया था। 10 दिन महापड़ाव के बाद किसानों ने 11 सितंबर से चक्काजाम शुरू किया। इसके बाद सरकार ने किसानों को वार्ता के लिए बुलाया। दो दिन की वार्ता के बाद मांगों पर सहमति बनी।
दबाव की राजनीति : सहमति नहीं बनती देख पुलिस को किया अलर्ट दूसरे दौर की वार्ता में भी सहमति नहीं बनती देख भाजपा सरकार ने भी दबाव की राजनीति शुरू की। सीकर में पुलिस फोर्स को अलर्ट कर दिया गया। चक्का जाम से पहले लगाए गए बैरिकेडिंग तक पुलिस की गाडिय़ां चक्कर लगाने लगी।
पुलिस लाइन में फोर्स को अलर्ट कर दिया गया। यह मैसेज चक्का जाम पर बैठे किसानों तक पहुंचा। वक्ताओं ने किसी तरह की अफवाह पर ध्यान नहीं देने की अपील की। किसानों को वर्दी पहने जवानों से दूरी बनाए रखने की घोषणा भी कर दी गई। यह सूचना भी वार्ता में बैठे अमराराम तक पहुंची।
11.30 घंटे की वार्ता में 4.20 घंटे का ब्रेक
किसानों के साथ दोपहर 1.15 बजे से लेकर रात करीब 12.30 बजे तक वार्ता के चार दौर चले। इस दौरान चार घंटे 20 मिनट का ब्रेक भी हुआ। सूत्रों के अनुसार सरकार कर्ज माफी के मामले पर सिर्फ कमेटी गठित करना चाह रही थी। लेकिन किसान नेता कर्जा माफी की घोषणा पर अड़े हुए थे। अखिरकार उच्च स्तरीय कमेटी के निर्णय के आधार 50 हजार रुपए तक का कर्ज माफ करने का प्रस्ताव रखा गया।
कर्ज माफी के मुद्दे पर हुई लंबी वार्ता किसानों के लिए पहली जीत की राह आसान नहीं थी। 13 दिन बाद किसानों और सरकार के बीच मांगों पर सहमति बनी। आंदोलन के 11 वें दिन किसानों ने चक्का जाम शुरू कर दिया। इसके बाद सरकार ने किसानों की जयपुर में वार्ता बुलाई। मंगलवार को वार्ता बेनतीजा रही।
सरकार ने बुधवार दोपहर एक बजे मीटिंग बुलाई। चार दौर की वार्ता हुई। दो दौर की वार्ता में किसानों के मांग पत्र की 10 मांगों पर किसान नेताओं और मंत्री समूह के बीच जल्द ही सहमति बन गई। लेकिन कर्ज माफी के मुद्दे पर सहमति नहीं बनी। इसलिए वार्ता का तीसरा और चौथा दौर भी चला।
50 हजार रुपए तक का कर्ज माफ करने के निर्णय के लिए अन्य राज्यों द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया का अध्ययन के लिए कमेटी गठित की जाएगी। यह कमेटी एक महीने में रिपोर्ट पेश करेगी। मांगों पर सरकार से सहमति बनने के बाद किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमराराम ने रात 12.50 बजे किसान कमेटियों से चक्का जाम खोलने का आह्वान किया।
जयपुर रोड पर किसानों द्वारा महापड़ाव हटा लिया गया। पुलिस ने भी रोड से बेरिकेड्स हटा लिए। इसके अलावा जिले सहित प्रदेशभर में हाईवे से किसानों ने चक्काजाम हटाना शुरू कर दिया। इसी के साथ 13 दिन से चल रहे किसान आंदोलन का भी समापन हो गया।
ज्ञातव्य है कि कर्ज माफी सहित विभिन्न मागों को लेकर अखिल भारतीय किसान सभा द्वारा कृषि उपज मंडी में एक सितंबर को महापड़ाव शुरू किया गया था। 10 दिन महापड़ाव के बाद किसानों ने 11 सितंबर से चक्काजाम शुरू किया। इसके बाद सरकार ने किसानों को वार्ता के लिए बुलाया। दो दिन की वार्ता के बाद मांगों पर सहमति बनी।
दबाव की राजनीति : सहमति नहीं बनती देख पुलिस को किया अलर्ट दूसरे दौर की वार्ता में भी सहमति नहीं बनती देख भाजपा सरकार ने भी दबाव की राजनीति शुरू की। सीकर में पुलिस फोर्स को अलर्ट कर दिया गया। चक्का जाम से पहले लगाए गए बैरिकेडिंग तक पुलिस की गाडिय़ां चक्कर लगाने लगी।
पुलिस लाइन में फोर्स को अलर्ट कर दिया गया। यह मैसेज चक्का जाम पर बैठे किसानों तक पहुंचा। वक्ताओं ने किसी तरह की अफवाह पर ध्यान नहीं देने की अपील की। किसानों को वर्दी पहने जवानों से दूरी बनाए रखने की घोषणा भी कर दी गई। यह सूचना भी वार्ता में बैठे अमराराम तक पहुंची।
11.30 घंटे की वार्ता में 4.20 घंटे का ब्रेक
किसानों के साथ दोपहर 1.15 बजे से लेकर रात करीब 12.30 बजे तक वार्ता के चार दौर चले। इस दौरान चार घंटे 20 मिनट का ब्रेक भी हुआ। सूत्रों के अनुसार सरकार कर्ज माफी के मामले पर सिर्फ कमेटी गठित करना चाह रही थी। लेकिन किसान नेता कर्जा माफी की घोषणा पर अड़े हुए थे। अखिरकार उच्च स्तरीय कमेटी के निर्णय के आधार 50 हजार रुपए तक का कर्ज माफ करने का प्रस्ताव रखा गया।
कर्ज माफी के मुद्दे पर हुई लंबी वार्ता किसानों के लिए पहली जीत की राह आसान नहीं थी। 13 दिन बाद किसानों और सरकार के बीच मांगों पर सहमति बनी। आंदोलन के 11 वें दिन किसानों ने चक्का जाम शुरू कर दिया। इसके बाद सरकार ने किसानों की जयपुर में वार्ता बुलाई। मंगलवार को वार्ता बेनतीजा रही।
सरकार ने बुधवार दोपहर एक बजे मीटिंग बुलाई। चार दौर की वार्ता हुई। दो दौर की वार्ता में किसानों के मांग पत्र की 10 मांगों पर किसान नेताओं और मंत्री समूह के बीच जल्द ही सहमति बन गई। लेकिन कर्ज माफी के मुद्दे पर सहमति नहीं बनी। इसलिए वार्ता का तीसरा और चौथा दौर भी चला।