नीमकाथाना न्यूज़- फुलेरा-रेवाड़ी ट्रैक के विधुतीकरण का कार्य अब गति पकड़ने लगा है। नीमकाथाना, श्रीमाधोपुर और रींगस जैसे जिले के बड़े रेलवे स्टेशन इसके दायरे में आते है। विधुत पोल लगाने के बाद तारों की खिंचाई रेलवे मैनेजमेंट द्वारा लगभग पूरी कर ली गई है। इसके लिए रोज पचास से ज्यादा मजदूर काम पर लगे हुए है।
मार्च, 2018 के अंत तक इस रेलवे मार्ग पर विधुत रेल संचालन की पूरी संभावना है। इलेक्ट्रॉनिक ट्रैन आ जाने के बाद ट्रैक पर 110 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से ट्रेने दौड़ेंगी। इस इलेक्ट्रॉनिक ट्रैक की दूरी 215 किमी है।
फिलहाल डीजल वाली ट्रेन की औसत गति 60 किमी प्रतिघंटा ही है। यह प्रोजेक्ट पूरा होन के बाद सीकर जिला पूरी तरह रेलवे कनेक्टिविटी वाला हो जाएगा। रेवाड़ी के बाद खोरी, अटेली, नारनौल, नीमकाथाना, रींगस, भगगा, कांवट, श्रीमाधोपुर, रेनवाल और फुलेरा आते हैं।
यह रूट फुलेरा से आगे अजमेर होते हुए अहमदाबाद से जुड़ता है। विधुतीकरण के इस प्रोजेक्ट पर करीब 100 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इलेक्ट्रॉनिक ट्रैक के बाद इस लाइन पर 110 की स्पीड सेट्रेन चलेंगी। जिससे 1 घंटे में तय होने वाला सफर मात्र 35 मिनट में पूरा हो जाएगा।
कौन-कौन से बड़े फ़ायदे मिलेंगे
सबसे बड़ा फायदा इससे सुरक्षा बढ़ेगी और इंजन फेल होने जैसी दिक्कत नहीं होगी। डिब्बे ज्यादा लगने से यात्रीभी सहज महसूस करेंगे । पॉल्यूशन फ्री ट्रैक होगा क्योंकि डीजल का इंजन भारी धुआं छोड़ता है। हर टेक्नॉलॉजी तुरंत आ जाएंगी। क्योंकि बिजली ट्रैक पर यह आसान होता है।
यात्रियों के सफर में समय की बचत होगी। इलेक्ट्रॉनिक ट्रैन आ जाने के बाद आपके सफर में लगने वाला समय तक़रीबन आधा हो जाएगा।
मार्च, 2018 के अंत तक इस रेलवे मार्ग पर विधुत रेल संचालन की पूरी संभावना है। इलेक्ट्रॉनिक ट्रैन आ जाने के बाद ट्रैक पर 110 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से ट्रेने दौड़ेंगी। इस इलेक्ट्रॉनिक ट्रैक की दूरी 215 किमी है।
फिलहाल डीजल वाली ट्रेन की औसत गति 60 किमी प्रतिघंटा ही है। यह प्रोजेक्ट पूरा होन के बाद सीकर जिला पूरी तरह रेलवे कनेक्टिविटी वाला हो जाएगा। रेवाड़ी के बाद खोरी, अटेली, नारनौल, नीमकाथाना, रींगस, भगगा, कांवट, श्रीमाधोपुर, रेनवाल और फुलेरा आते हैं।
यह रूट फुलेरा से आगे अजमेर होते हुए अहमदाबाद से जुड़ता है। विधुतीकरण के इस प्रोजेक्ट पर करीब 100 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इलेक्ट्रॉनिक ट्रैक के बाद इस लाइन पर 110 की स्पीड सेट्रेन चलेंगी। जिससे 1 घंटे में तय होने वाला सफर मात्र 35 मिनट में पूरा हो जाएगा।
कौन-कौन से बड़े फ़ायदे मिलेंगे
सबसे बड़ा फायदा इससे सुरक्षा बढ़ेगी और इंजन फेल होने जैसी दिक्कत नहीं होगी। डिब्बे ज्यादा लगने से यात्रीभी सहज महसूस करेंगे । पॉल्यूशन फ्री ट्रैक होगा क्योंकि डीजल का इंजन भारी धुआं छोड़ता है। हर टेक्नॉलॉजी तुरंत आ जाएंगी। क्योंकि बिजली ट्रैक पर यह आसान होता है।
यात्रियों के सफर में समय की बचत होगी। इलेक्ट्रॉनिक ट्रैन आ जाने के बाद आपके सफर में लगने वाला समय तक़रीबन आधा हो जाएगा।