Neem Ka Thana- नीमकाथाना के कपिल अस्पताल में सामान की खरीद में बड़ी गड़बड़ी उजागर हुई है। यह गड़बड़-झाला जिले के दूसरे नंबर पर आने वाले अस्पताल में हुआ है, जो अपने आप में एक शर्म की बात है। अस्पताल में इलाज संबंधी उपकरण या सामान खरीद कमेटी को बिना सूचित किये ही खरीदे जा रहे है।
अस्पताल में पेशाब व ब्लड की जांच के लिए खरीदी गई ट्यूब टेंडर में दिखाई गई गुणवत्ता के मुताबिक नहीं है। जो ट्यूब लैब के लिए खरीदी गई है, वह भी टेंडर में वर्णित अच्छी कंपनी की ना होकर, निम्न कम्पनी की है। यह सस्ती भी आती है। इनमें करीब एक रुपए का अंतर है।
यह मामला कई बार खरीद कमेटी के सामने भी उठा, लेकिन अधिकारी कार्रवाई से कन्नी काटते हुए नजर आ रहे हैं। कपिल अस्पताल में सामान खरीद के नियमों की अनदेखी के आरोप पहले भी कई बार लग चुके हैं।
खरीद कमेटी सदस्य डॉ. अनिल मीणा ने 2016 में सामान खरीद में गड़बड़ी के आरोप लगाते हुए पद से इस्तीफा दे दिया था। मीणा ने तत्कालीन पीएमओ आरपी यादव को लिखे पत्र में आरोप लगाए थे कि यहां खरीद कमेटी की अनुमति के बगैर ही सामान खरीदा जा रहा है।
अस्पताल प्रशासन ने मामले में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई, और मामले को गम्भीरता से ना लेकर अनदेखी की। इसी के चलते सामान खरीद में गड़बड़ी हो रही है।
अस्पताल में हरियाणा तक के मरीज आते हैं
कपिल अस्पताल में प्रतिदिन 1400 मरीजों का आउटडोर रहता है। यहां हरियाणा एवं झुंझुनूं जिले तक के मरीज इलाज के लिए आते हैं। प्रतिदिन करीब 300 मरीजों की जांच की जाती है।
डॉ. एलएन जाटोलिया को जानकारी ही नहीं है
इस मामले पर डॉ. एलएन जाटोलियाने बयान दिया है कि "सामान टेंडर के अनुसार ही खरीद रहे हैं। दूसरी कंपनी की जांच ट्यूब खरीदने की जानकारी मुझे नहीं है। यदि कोई मामला है तो उसे दिखा लेंगे। परचेजिंग कमेटी निगरानी रखती है। वहीं खरीदा गया सामान स्टाेर द्वारा ही लैब में भेजते हैं।" डॉ. एलएन जाटोलिया, पीएमओ, कपिल अस्पताल
सामान टेंडर के मुताबिक नहीं, तो इसका उपयोग क्यों ?
मामले में स्टोर इंचार्ज का आरोप है कि ब्लड व पेशाब जांच का सामान टेंडर के अनुसार नहीं आया है, तो उसे काम में क्यों लिया जा रहा है। स्टोर इंचार्ज को लैब के लिए सामान जारी ही नहीं करना चाहिए।
मामले में स्टोर इंचार्ज से लेकर पीएमओ तक गंभीर नहीं है। ऐसे में अब अस्पताल की जांच रिपोर्ट पर कई सवाल खड़े होने लगे हैं। चिकित्सा विभाग के एक्सपर्ट की मानें तो हल्की क्वालिटी की ट्यूब द्वारा जांच रिपोर्ट सही नहीं मिलती है। इसके लिए अच्छी कंपनी की ट्यूब का उपयोग लेना चाहिए।
इस तरह से हो रही है गड़बड़ी
अप्रशिक्षित प्रयोगशाला सहायक से बनवाई स्लाइड सामान खरीद में गड़बड़ी के मामले पर जब भास्कर टीम ने पड़ताल की तो सामने आया कि लैब में खून व पेशाब व जांच के लिए जो ट्यूब उपयोग में ली जा रही है। वह टेंडर के अनुसार है ही नहीं ।
17 मई 2017 को अस्पताल प्रशासन ने ईडेटा के3 ट्यूब के 60 पैकेट खरीदे जो खरीदी टेंडर के नियम शर्तों के अनुरूप नहीं है। इसी तरह 14 जून 2017 को 50 पैकेट यूरिस्टिक्स खरीदी गई। इनके भुगतान के बिल टेंडर की दर पर आए तो स्टोर इचार्ज दिनेश कुमावत ने बिलों पर रिमार्क लगा दिया।
अप्रशिक्षित प्रयोगशाला सहायक से बनवाई स्लाइड
प्रयोगशाला सहायक सुभाषचंद्र गुर्जर से स्पूटम स्लाइड बनवाकर जिम्मेदारों ने मरीजों की सेहत के साथ खिलवाड़ किया गया है। मामले पर में प्रमुख चिकित्सा अधिकारी ने 27 दिसंबर 2016 को पत्र क्रमांक 1530 लिखा।
मामले में चेताया भी और लिखा कि इससे मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ हो रहा है। प्रयोगशाला सहायक ने स्पष्टीकरण दिया कि उसने लैब इंचार्ज के कहने पर ही स्लाइड बनाई। उन्होंने नौकरी से निकालने के लिए धमकाया था।
अस्पताल में पेशाब व ब्लड की जांच के लिए खरीदी गई ट्यूब टेंडर में दिखाई गई गुणवत्ता के मुताबिक नहीं है। जो ट्यूब लैब के लिए खरीदी गई है, वह भी टेंडर में वर्णित अच्छी कंपनी की ना होकर, निम्न कम्पनी की है। यह सस्ती भी आती है। इनमें करीब एक रुपए का अंतर है।
यह मामला कई बार खरीद कमेटी के सामने भी उठा, लेकिन अधिकारी कार्रवाई से कन्नी काटते हुए नजर आ रहे हैं। कपिल अस्पताल में सामान खरीद के नियमों की अनदेखी के आरोप पहले भी कई बार लग चुके हैं।
खरीद कमेटी सदस्य डॉ. अनिल मीणा ने 2016 में सामान खरीद में गड़बड़ी के आरोप लगाते हुए पद से इस्तीफा दे दिया था। मीणा ने तत्कालीन पीएमओ आरपी यादव को लिखे पत्र में आरोप लगाए थे कि यहां खरीद कमेटी की अनुमति के बगैर ही सामान खरीदा जा रहा है।
अस्पताल प्रशासन ने मामले में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई, और मामले को गम्भीरता से ना लेकर अनदेखी की। इसी के चलते सामान खरीद में गड़बड़ी हो रही है।
अस्पताल में हरियाणा तक के मरीज आते हैं
कपिल अस्पताल में प्रतिदिन 1400 मरीजों का आउटडोर रहता है। यहां हरियाणा एवं झुंझुनूं जिले तक के मरीज इलाज के लिए आते हैं। प्रतिदिन करीब 300 मरीजों की जांच की जाती है।
डॉ. एलएन जाटोलिया को जानकारी ही नहीं है
इस मामले पर डॉ. एलएन जाटोलियाने बयान दिया है कि "सामान टेंडर के अनुसार ही खरीद रहे हैं। दूसरी कंपनी की जांच ट्यूब खरीदने की जानकारी मुझे नहीं है। यदि कोई मामला है तो उसे दिखा लेंगे। परचेजिंग कमेटी निगरानी रखती है। वहीं खरीदा गया सामान स्टाेर द्वारा ही लैब में भेजते हैं।" डॉ. एलएन जाटोलिया, पीएमओ, कपिल अस्पताल
सामान टेंडर के मुताबिक नहीं, तो इसका उपयोग क्यों ?
मामले में स्टोर इंचार्ज का आरोप है कि ब्लड व पेशाब जांच का सामान टेंडर के अनुसार नहीं आया है, तो उसे काम में क्यों लिया जा रहा है। स्टोर इंचार्ज को लैब के लिए सामान जारी ही नहीं करना चाहिए।
मामले में स्टोर इंचार्ज से लेकर पीएमओ तक गंभीर नहीं है। ऐसे में अब अस्पताल की जांच रिपोर्ट पर कई सवाल खड़े होने लगे हैं। चिकित्सा विभाग के एक्सपर्ट की मानें तो हल्की क्वालिटी की ट्यूब द्वारा जांच रिपोर्ट सही नहीं मिलती है। इसके लिए अच्छी कंपनी की ट्यूब का उपयोग लेना चाहिए।
इस तरह से हो रही है गड़बड़ी
अप्रशिक्षित प्रयोगशाला सहायक से बनवाई स्लाइड सामान खरीद में गड़बड़ी के मामले पर जब भास्कर टीम ने पड़ताल की तो सामने आया कि लैब में खून व पेशाब व जांच के लिए जो ट्यूब उपयोग में ली जा रही है। वह टेंडर के अनुसार है ही नहीं ।
17 मई 2017 को अस्पताल प्रशासन ने ईडेटा के3 ट्यूब के 60 पैकेट खरीदे जो खरीदी टेंडर के नियम शर्तों के अनुरूप नहीं है। इसी तरह 14 जून 2017 को 50 पैकेट यूरिस्टिक्स खरीदी गई। इनके भुगतान के बिल टेंडर की दर पर आए तो स्टोर इचार्ज दिनेश कुमावत ने बिलों पर रिमार्क लगा दिया।
अप्रशिक्षित प्रयोगशाला सहायक से बनवाई स्लाइड
प्रयोगशाला सहायक सुभाषचंद्र गुर्जर से स्पूटम स्लाइड बनवाकर जिम्मेदारों ने मरीजों की सेहत के साथ खिलवाड़ किया गया है। मामले पर में प्रमुख चिकित्सा अधिकारी ने 27 दिसंबर 2016 को पत्र क्रमांक 1530 लिखा।
मामले में चेताया भी और लिखा कि इससे मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ हो रहा है। प्रयोगशाला सहायक ने स्पष्टीकरण दिया कि उसने लैब इंचार्ज के कहने पर ही स्लाइड बनाई। उन्होंने नौकरी से निकालने के लिए धमकाया था।