नीमकाथाना: थोई में सकराय की ग्राम पंचायत पिछले साल से एक पेड़ के नीचे चल रही है। यहीं पर बैठकर सरपंच व ग्राम सेवक लोगों की समस्याओ का निस्तारण करते है। दिलचस्प बात तो यह है सकराय पंचायत ने सर्वाधिक पट्टे (251) जारी किए है, जो कि जिले में एक रिकॉर्ड है। सकराय पंचायत ने लगभग दो करोड़ के विकास कार्य भी करवाए है।
दरअसल 2015 में सकराय पंचायत चीपलाटा से अलग होकर बनी। जिसका संचालन आज भी स्कूल के एक जर्जर भवन होता है। इस मामले में ग्राम पंचायत ने एक खाली भूखंड पर पंचायत भवन निर्माण का प्रस्ताव लेकर पंचायत समिति को दिया। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो सकी।
जर्जर भवन कभी भी गिर सकता है इसलिए ग्राम पंचायत पेड़ के नीचे ही लगती है। यहां पंचायत भवन में केवल कंप्यूटर कार्य ही किया जाता है।
सचिव जगदेव कुमावत के अनुसार बैठक वाले भवन की पट्टी टूटी हुई है। इससे हादसे की आशंका बनी रहती है। इसलिए ज्यादातर कार्य पंचायत भवन के बाहर पेड़ के नीचे बैठकर करते है।
सकराय के चार वार्डों में कोई वार्ड पंच नहीं
सकराय पंचायत के चार वार्डों के लोगों ने चुनावों का बहिष्कार कर रखा है। ऐसे में यहां वार्ड पंच ही नहीं है। ग्रामीणों के मुताबिक मांगो को लेकर वार्ड 4,5,6 व 7 के लोगों ने चुनावों का बहिष्कार किया था। जो अब भी बरकरार है।
इस संबंध में रजनी कुमार धानका, सरपंच सकराय का कहना है कि सकराय पंचायत को जो भवन मिला है, वह जर्जर हालात में है। यहां हर समय हादसे की आशंका बनी रहती है। इसके चलते पेड़ के नीचे पंचायत लगाते है। मामले में भवन निर्माण के लिए प्रस्ताव भेजा हुआ है।
पंचायत ने सर्वाधिक पट्टे जारी किए
सकराय पंचायत ने जिले में सर्वाधिक पट्टे जारी करने का रिकॉर्ड भी बनाया है। जिसके लिए हाल ही में पंचायत को जिला स्तरीय सम्मान भी मिला। यहां ढाई साल में करीब दो करोड़ के विकास कार्य हुए।
सरपंच के मुताबिक जल संरक्षण के लिए ढाई लाख की लागत से सोखते गड्ढो का निर्माण करवाया गया। मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन के तहत 20 लाख के कार्य किए। वहीं जल ग्रहण योजना में एक करोड़ के कार्य हुए।
दरअसल 2015 में सकराय पंचायत चीपलाटा से अलग होकर बनी। जिसका संचालन आज भी स्कूल के एक जर्जर भवन होता है। इस मामले में ग्राम पंचायत ने एक खाली भूखंड पर पंचायत भवन निर्माण का प्रस्ताव लेकर पंचायत समिति को दिया। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो सकी।
जर्जर भवन कभी भी गिर सकता है इसलिए ग्राम पंचायत पेड़ के नीचे ही लगती है। यहां पंचायत भवन में केवल कंप्यूटर कार्य ही किया जाता है।
सचिव जगदेव कुमावत के अनुसार बैठक वाले भवन की पट्टी टूटी हुई है। इससे हादसे की आशंका बनी रहती है। इसलिए ज्यादातर कार्य पंचायत भवन के बाहर पेड़ के नीचे बैठकर करते है।
सकराय के चार वार्डों में कोई वार्ड पंच नहीं
सकराय पंचायत के चार वार्डों के लोगों ने चुनावों का बहिष्कार कर रखा है। ऐसे में यहां वार्ड पंच ही नहीं है। ग्रामीणों के मुताबिक मांगो को लेकर वार्ड 4,5,6 व 7 के लोगों ने चुनावों का बहिष्कार किया था। जो अब भी बरकरार है।
इस संबंध में रजनी कुमार धानका, सरपंच सकराय का कहना है कि सकराय पंचायत को जो भवन मिला है, वह जर्जर हालात में है। यहां हर समय हादसे की आशंका बनी रहती है। इसके चलते पेड़ के नीचे पंचायत लगाते है। मामले में भवन निर्माण के लिए प्रस्ताव भेजा हुआ है।
पंचायत ने सर्वाधिक पट्टे जारी किए
सकराय पंचायत ने जिले में सर्वाधिक पट्टे जारी करने का रिकॉर्ड भी बनाया है। जिसके लिए हाल ही में पंचायत को जिला स्तरीय सम्मान भी मिला। यहां ढाई साल में करीब दो करोड़ के विकास कार्य हुए।
सरपंच के मुताबिक जल संरक्षण के लिए ढाई लाख की लागत से सोखते गड्ढो का निर्माण करवाया गया। मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन के तहत 20 लाख के कार्य किए। वहीं जल ग्रहण योजना में एक करोड़ के कार्य हुए।