धोखाधड़ी व फिरौती मांगने के आरोप में गैंगस्टर ठेहट को किया बरी
नीमकाथाना: जमीन के सौदे में जेल से फिरौती मांगने के मामले में एसीजेएम क्रम-1 ने गैंगस्टर राजू ठेहट सहित दो लोगों को दोषमुक्त किया है। शिकायतकर्ता ने आरोपियों से राजीनामा कर लिया था, जबकि चार आरोपियों को पूर्व में कोर्ट ने संदेह का लाभ देकर दोषमुक्त किया था।
पुलिस ने यह मामला सुभाष गुर्जर की रिपोर्ट पर 2015 में दर्ज किया था। रिपोर्ट में सुभाष ने बताया कि उसके ताऊ रूणमल व पोखरमल ने अपने हिस्से की जमीन बेची थी। पैसा व कमीशन दिलाने के लिए सुभाष ने ठेहट गिरोह से संपर्क कर 25 लाख का ऑफर दिया था। इसी सौदे में राशि मिलने पर आरोपियों ने 25 लाख की फिरौती मांगते हुए जान से मारने की धमकियां दी।
पुलिस ने श्यामनगर तन पुजारी का बास श्रीमाधोपुर निवासी सुभाष मंगावा, धोद रोड वार्ड 21 निवासी छगनलाल सेवदा, नीमकाथाना निवासी अमित जाखड़ व श्रीमाधोपुर के पुजारी का बास निवासी विजयपाल को गिरफ्तार किया था। धोखाधड़ी व जबरन उगाही के मामले में पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ चालान पेश किया। आरोपी मनोज ओला व राजू ठेहट के खिलाफ धारा 173(8) सीआरपीसी में मामला लंबित रखा था।
सुनवाई के बाद न्यायाधीश ने आरोपियों को संदेह का लाभ देकर दोषमुक्त किया था।
नीमकाथाना: जमीन के सौदे में जेल से फिरौती मांगने के मामले में एसीजेएम क्रम-1 ने गैंगस्टर राजू ठेहट सहित दो लोगों को दोषमुक्त किया है। शिकायतकर्ता ने आरोपियों से राजीनामा कर लिया था, जबकि चार आरोपियों को पूर्व में कोर्ट ने संदेह का लाभ देकर दोषमुक्त किया था।
पुलिस ने यह मामला सुभाष गुर्जर की रिपोर्ट पर 2015 में दर्ज किया था। रिपोर्ट में सुभाष ने बताया कि उसके ताऊ रूणमल व पोखरमल ने अपने हिस्से की जमीन बेची थी। पैसा व कमीशन दिलाने के लिए सुभाष ने ठेहट गिरोह से संपर्क कर 25 लाख का ऑफर दिया था। इसी सौदे में राशि मिलने पर आरोपियों ने 25 लाख की फिरौती मांगते हुए जान से मारने की धमकियां दी।
पुलिस ने श्यामनगर तन पुजारी का बास श्रीमाधोपुर निवासी सुभाष मंगावा, धोद रोड वार्ड 21 निवासी छगनलाल सेवदा, नीमकाथाना निवासी अमित जाखड़ व श्रीमाधोपुर के पुजारी का बास निवासी विजयपाल को गिरफ्तार किया था। धोखाधड़ी व जबरन उगाही के मामले में पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ चालान पेश किया। आरोपी मनोज ओला व राजू ठेहट के खिलाफ धारा 173(8) सीआरपीसी में मामला लंबित रखा था।
सुनवाई के बाद न्यायाधीश ने आरोपियों को संदेह का लाभ देकर दोषमुक्त किया था।