जिलेभर में विभिन्न संगठनों ने स्कूलों को पीपीपी मोड पर देने का विरोध जताया, सीकर में शिक्षकों का कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन
नीमकाथाना न्यूज़- सरकारी स्कूलों को पीपीपी मोड पर देने के विरोध में शिक्षक सड़क पर उतरने लगे हैं। राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत ने बुधवार को रैली निकालकर प्रदर्शन किया। डाक बंगले में हुई सभा में शिक्षकों ने सरकार के फैसले का विरोध किया। इसके बाद रैली निकालकर कलेक्ट्रेट पहुंचे और यहां प्रदर्शन कर विरोध जताया।
उपशाखा मंत्री सुभाष ढाका ने बताया कि वक्ताओं नेशिक्षा के निजीकरण से समाज में होने वाले भावी संकट से आगाह किया। शिक्षकों ने चेताया कि जब तक सरकार फैसला वापस नहीं लेती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। प्रदर्शन में किसान सभा, एसएफआई, पेंशनधारी संयुक्त कर्मचारी महासंघ ने समर्थन देने की घोषणा की।
राजस्थान शिक्षक संघ (शेखावत) उपशाखा नीमकाथाना ने उपखंड अधिकारी जेपी गौड़ को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। प्रवक्ता सुरेन्द्र सैनी ने बताया कि ज्ञापन देने वालो में बाबूलाल गुर्जर, बहादुरमल सैनी, मदनलाल, मुकेश कुमार, प्रेमचंद गुर्जर, प्रमोद कुमार, विकास मीणा, हरफूल आदि शामिल थे।
पीपीपी मोड वाले स्कूलों में हर कक्षा में निर्धारित होगी बच्चों की संख्या, ज्यादा बच्चे होने पर लॉटरी से मिलेगा दाखिला
सरकार प्रदेश के 300 सरकारी स्कूलों को पायलट प्रोजेक्ट पर अगले सत्र से पब्लिक प्राइवेट पार्टनशिप (पीपीपी) में चलाएगी। पीपीपी मोड में चयनित स्कूलों का पूरा स्टाफ बदलेगा। निजी कंपनियां ही अपनेस्तर पर भर्तियां करेंगी। निजी फर्म का जिम्मा इन स्कूलों के रखरखाव और नियमित संचालन का होगा जबकि मॉनिटरिंग शिक्षा विभाग की होगी।
राजस्थान माध्यमिक शिक्षा परिषद ने टेंडर जारी कर पंजीकृत फर्मों और कम्पनियों सेप्रस्ताव मांगे हैं। जनवरी में टेंडर प्रक्रिया पूरी होगी। इसके बाद मार्च में परीक्षाएं हैं, इसलिए अगले सत्र 2018-19 से इन स्कूलों का पीपीपी मोड पर संचालन किया जाना निर्धारित है।
स्कूलों में बच्चों की संख्या सीमित रहेगी
टेंडर प्रस्ताव के अनुसार इन स्कूलों में प्रति कक्षा बच्चों की संख्या निर्धारित होगी। ज्यादा बच्चे होने पर ग्राम पंचायत स्तर पर लॉटरी से प्रवेश दिया जाएगा। स्कूलों में बच्चों की संख्या सीमित होने पर शिक्षा के लेवल में सुधार सकता है। पीपीपी मोड पर चयनित 25 फीसदी स्कूल शहरी क्षेत्र के और बाकी 75 फीसदी ग्रामीण क्षेत्र के हैं।
स्कूलों में जर्जर भवनों की हालत सुधरेगी, सुविधा-संसाधन तथा बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित होगा। मोड वाले 300 स्कूलों के शिक्षकों को रिक्त पद वाले स्कूलों में लगाने से पद भरेंगे। गांव के स्कूलों में शिक्षा का स्तर बढ़ाने और ड्रॉप आउट बच्चेशिक्षा से जुड़ सकेंगे।
नीमकाथाना न्यूज़- सरकारी स्कूलों को पीपीपी मोड पर देने के विरोध में शिक्षक सड़क पर उतरने लगे हैं। राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत ने बुधवार को रैली निकालकर प्रदर्शन किया। डाक बंगले में हुई सभा में शिक्षकों ने सरकार के फैसले का विरोध किया। इसके बाद रैली निकालकर कलेक्ट्रेट पहुंचे और यहां प्रदर्शन कर विरोध जताया।
उपशाखा मंत्री सुभाष ढाका ने बताया कि वक्ताओं नेशिक्षा के निजीकरण से समाज में होने वाले भावी संकट से आगाह किया। शिक्षकों ने चेताया कि जब तक सरकार फैसला वापस नहीं लेती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। प्रदर्शन में किसान सभा, एसएफआई, पेंशनधारी संयुक्त कर्मचारी महासंघ ने समर्थन देने की घोषणा की।
राजस्थान शिक्षक संघ (शेखावत) उपशाखा नीमकाथाना ने उपखंड अधिकारी जेपी गौड़ को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। प्रवक्ता सुरेन्द्र सैनी ने बताया कि ज्ञापन देने वालो में बाबूलाल गुर्जर, बहादुरमल सैनी, मदनलाल, मुकेश कुमार, प्रेमचंद गुर्जर, प्रमोद कुमार, विकास मीणा, हरफूल आदि शामिल थे।
पीपीपी मोड वाले स्कूलों में हर कक्षा में निर्धारित होगी बच्चों की संख्या, ज्यादा बच्चे होने पर लॉटरी से मिलेगा दाखिला
सरकार प्रदेश के 300 सरकारी स्कूलों को पायलट प्रोजेक्ट पर अगले सत्र से पब्लिक प्राइवेट पार्टनशिप (पीपीपी) में चलाएगी। पीपीपी मोड में चयनित स्कूलों का पूरा स्टाफ बदलेगा। निजी कंपनियां ही अपनेस्तर पर भर्तियां करेंगी। निजी फर्म का जिम्मा इन स्कूलों के रखरखाव और नियमित संचालन का होगा जबकि मॉनिटरिंग शिक्षा विभाग की होगी।
राजस्थान माध्यमिक शिक्षा परिषद ने टेंडर जारी कर पंजीकृत फर्मों और कम्पनियों सेप्रस्ताव मांगे हैं। जनवरी में टेंडर प्रक्रिया पूरी होगी। इसके बाद मार्च में परीक्षाएं हैं, इसलिए अगले सत्र 2018-19 से इन स्कूलों का पीपीपी मोड पर संचालन किया जाना निर्धारित है।
स्कूलों में बच्चों की संख्या सीमित रहेगी
टेंडर प्रस्ताव के अनुसार इन स्कूलों में प्रति कक्षा बच्चों की संख्या निर्धारित होगी। ज्यादा बच्चे होने पर ग्राम पंचायत स्तर पर लॉटरी से प्रवेश दिया जाएगा। स्कूलों में बच्चों की संख्या सीमित होने पर शिक्षा के लेवल में सुधार सकता है। पीपीपी मोड पर चयनित 25 फीसदी स्कूल शहरी क्षेत्र के और बाकी 75 फीसदी ग्रामीण क्षेत्र के हैं।
स्कूलों में जर्जर भवनों की हालत सुधरेगी, सुविधा-संसाधन तथा बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित होगा। मोड वाले 300 स्कूलों के शिक्षकों को रिक्त पद वाले स्कूलों में लगाने से पद भरेंगे। गांव के स्कूलों में शिक्षा का स्तर बढ़ाने और ड्रॉप आउट बच्चेशिक्षा से जुड़ सकेंगे।