मिट्‌टी की गुफा बनाते समय मिट्‌टी धंसी, दो सगे भाइयों सहित चार मासूमों की मौत

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सीकर- शहर में रविवार दोपहर देव गैस एजेंसी के पास वन विभाग की भूमि में मिट्टी धंसने से चार बच्चों की मौत हो गई। चारों रिश्तेमें भाई थे, इनमें दो सगे भाई थे। उद्योग नगर थानाधिकारी राममनोहर ने बताया कि छह बच्चे करीब एक बजे मिट्टी खोदकर गुफा बना रहे थे। दो बच्चेमाहिर व महेंद्र खाना खाने चले गए। करीब दो बजे दोनों वापस लौटे तो देखा कि मिट्टी धंसी हुई थी और संजय, अभिषेक, राहुल व महेश मिट्टी के नीचे दबे हुए थे।

उनमें किसी का पैर तो किसी का हाथ मिट्टी के बाहर दिख रहा था। ये देख दोनों बच्चे घबरा गए और शोर मचाया। शोर सुनकर परिजन व पड़ोसी मौके पर अाए। लोगों ने मिट्टी हटाकर चारों मासूमों को बाहर निकाला। चारों को एसके अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने चारों को मृत घोषित कर दिया।

सूचना मिलने पर कलेक्टर नरेश ठकराल व एएसपी डॉ. तेजपाल, तहसीलदार जगदेव शर्मा ने घटनास्थल का मौका मुआयना किया। हरिजन बस्ती निवासी नरसीलाल ने रिपोर्ट दी है कि उनके पोते संजय, अभिषेक, राहुल व महेश वन विभाग की भूमि में खेल रहे थे। इस दौरान करीब पांच फीट ऊपर से मिट्टी ढहने से नीचे दब गए। जिससे चारों बच्चों की मौत हो गई।

परिजनों ने हादसे के लिए वन विभाग को जिम्मेदार ठहराया। उनका कहना था कि अफसरों को पहले ही चेता दिया था कि वन भूमि आबादी क्षेत्र के पास है, इसलिए दीवार बनाई जाए लेकिन अफसरों ने दीवार के बजाय फैंसिंग करा दी। फैंसिंग टूटी हुई थी, इस वजह से बच्चे वन विभाग की भूमि तक पहुंच गए।

तीन परिवारों में चार बेटे थे, हादसे में चारों खत्म हो गए 

महेश (8) पुत्र बनवारी लाल ढीकिया, संजय पुत्र रामावतार ढीकिया (10), अभिषेक (10) व राहुल (11) पुत्र वीरू ढीकिया है। दादा नरसी व गोपाल सगे भाई हैं। नरसी के बेटे बनवारी व रामवतार है, जिनका बेटा महेश व संजय हादसे का शिकार हुए।

गोपाल का बेटा वीरू है। वीरू के दो बेटे राहुल व अभिषेक हादसे का शिकार हुए। तीन बहनों ने अपने भाई खो दिए। 14 जनवरी को संजय का जन्मदिन था। घटनास्थल से नरसीलाल के मकान की दूरी करीब 100 फीट व गोपाल के मकान की दूरी करीब 200 फीट है।

पड़ताल में झूठ आया सामने उपवन संरक्षक बोले- वनकर्मी ड्यूटी पर था, घटना के बाद पहुंच गया था

वनकर्मी ने बताया-मुझे तो 3 घंटे बाद मालूम चला उपवन संरक्षक राजेंद्र हुड्डा का कहना था कि वनकर्मी मुकेश कुमार ड्यूटी कर रहा था। घटना के बाद वनकर्मी मौके पर पहुंचा। मिट्टी में दबे बच्चों को लोगों की मदद से बाहर निकलवाया।

फिर मीडिया ने वनकर्मी मुकेश से जानकारी ली तो मुकेश ने बताया कि उसने सुबह 8 बजे घटनास्थल की लोकेशन पर राउण्ड किया था। उसके बाद वह स्मृति वन में चला गया और वापस नहीं आया। शाम करीब पांच बजे हादसे का पता चला। वहीं, उपवन संरक्षक राजेंद्र हुड्डा का कहना है कि उन्होंने वन भूमि के चारों तरफ सात फीट ऊंची कंटीले तारों की फेंसिंग करा रखी है,जिसे किसी ने तोड़ दिया।

Source- Neem ka thana bhaskar
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