नीमकाथाना न्यूज़- एमबीबीएस और बीडीएस में दाखिल के लिए आयोजित होने वाली परीक्षा नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (नीट) के पेपर एक जैसे होंगे। अब तक क्षेत्रीय भाषाओं में पेपर के अलग सेट होते थे लेकिन सीबीएसई ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अब सभी के लिए इस साल से एक ही सेट होगा। उसे ही अलग-अलग क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद किया जाएगा।
छात्रों का आरोप था कि नीट 2017 के लिए क्षेत्रीय भाषाओं के क्वेस्चन पेपर्स इंग्लिश और हिंदी के मुकाबले ज्यादा मुश्किल थे। एग्जाम को रद्द करने के लिए छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की थीं। छात्रों ने यह भी आरोप लगाया था कि क्षेत्रीय भाषाओं में कुछ सवाल गलत थे जिससे प्रवेश परीक्षा में उत्तीर्ण होने का उनका चांस कम हो गया। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाओं पर सुनवाई के बाद सीबीएसई के इस कदम को अतार्कित बताया जिसके बाद यह फैसला लेना पड़ा।
ओपन शिक्षण संस्थानों के स्टूडेंट्स दे सकेंगे नीट
राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय शिक्षा संस्थान के विद्यार्थी भी नीट में शामिल हाे सकेंगे। कुछ दिन पहले ही मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने एक आदेश जारी करके आेपन स्कूलिंग के स्टूडेंट्स पर नीट देने से रोक लगा दी थी। इसके पीछे एमसीआई का तर्क था कि ओपन स्कूलिंग के स्टूडेंट्स को प्रैक्टिकल नॉलेज नहीं होती और उनको लेवल 12वीं के रेगुलर स्टूडेंट्स से काफी कम होता है। इससे पहले एमसीआई ने इसको बोर्ड मानने से भी मना कर दिया था। मानव संसाधन मंत्रालय ने एमसीअाई के निर्णय को रद्द कर दिया।
सीबीएसई: अब छात्र कर सकते हैं प्रश्नपत्र की शिकायत
सीबीएसई बोर्ड ने छात्रों को प्रश्ननपत्र पर फीडबैक देने के लिए मौका देने का फैसला लिया है। इस साल से 10वीं और बारहवीं के बच्चे प्रश्नपत्र में किसी भी तरह की गड़बड़ी की शिकायत कर सकते हैं। इसके लिए बोर्ड ने स्कूल के प्रिंसिपल्स को निर्देश दिया है कि वे बच्चों से फीडबैक लेकर बोर्ड को जमा करें। स्कूलों को ये फीडबैक एग्जाम खत्म होने के 24 घंटे के अंदर बोर्ड को जमा कर देना होगा। फीडबैक मिलने के बाद एक्सपर्ट्स का एक ग्रुप उसका विश्लेषण करके मार्किंग स्कीम तैयार करेगा।
बोर्ड ने कॉपी चेक करने वाले टीचर्स से भी कहा है कि वे मार्किंग स्कीम के अनुसार ही कॉपी चेक करें। शिकायत करने के लिए कुछ कैटेगरी निर्धारित की गई हैं। छात्र सिलेबस से बाहर के सवाल’, ‘समझ के बाहर’, ‘गलत तरह से बनाए गए सवाल’, और ‘गलत अनुवाद’ के लिए शिकायत कर सकते हैं। गौरतलब है कि इस साल बोर्ड परीक्षा 5 मार्च से शुरू हो रही हैं।
छात्रों का आरोप था कि नीट 2017 के लिए क्षेत्रीय भाषाओं के क्वेस्चन पेपर्स इंग्लिश और हिंदी के मुकाबले ज्यादा मुश्किल थे। एग्जाम को रद्द करने के लिए छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की थीं। छात्रों ने यह भी आरोप लगाया था कि क्षेत्रीय भाषाओं में कुछ सवाल गलत थे जिससे प्रवेश परीक्षा में उत्तीर्ण होने का उनका चांस कम हो गया। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाओं पर सुनवाई के बाद सीबीएसई के इस कदम को अतार्कित बताया जिसके बाद यह फैसला लेना पड़ा।
ओपन शिक्षण संस्थानों के स्टूडेंट्स दे सकेंगे नीट
राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय शिक्षा संस्थान के विद्यार्थी भी नीट में शामिल हाे सकेंगे। कुछ दिन पहले ही मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने एक आदेश जारी करके आेपन स्कूलिंग के स्टूडेंट्स पर नीट देने से रोक लगा दी थी। इसके पीछे एमसीआई का तर्क था कि ओपन स्कूलिंग के स्टूडेंट्स को प्रैक्टिकल नॉलेज नहीं होती और उनको लेवल 12वीं के रेगुलर स्टूडेंट्स से काफी कम होता है। इससे पहले एमसीआई ने इसको बोर्ड मानने से भी मना कर दिया था। मानव संसाधन मंत्रालय ने एमसीअाई के निर्णय को रद्द कर दिया।
सीबीएसई: अब छात्र कर सकते हैं प्रश्नपत्र की शिकायत
सीबीएसई बोर्ड ने छात्रों को प्रश्ननपत्र पर फीडबैक देने के लिए मौका देने का फैसला लिया है। इस साल से 10वीं और बारहवीं के बच्चे प्रश्नपत्र में किसी भी तरह की गड़बड़ी की शिकायत कर सकते हैं। इसके लिए बोर्ड ने स्कूल के प्रिंसिपल्स को निर्देश दिया है कि वे बच्चों से फीडबैक लेकर बोर्ड को जमा करें। स्कूलों को ये फीडबैक एग्जाम खत्म होने के 24 घंटे के अंदर बोर्ड को जमा कर देना होगा। फीडबैक मिलने के बाद एक्सपर्ट्स का एक ग्रुप उसका विश्लेषण करके मार्किंग स्कीम तैयार करेगा।
बोर्ड ने कॉपी चेक करने वाले टीचर्स से भी कहा है कि वे मार्किंग स्कीम के अनुसार ही कॉपी चेक करें। शिकायत करने के लिए कुछ कैटेगरी निर्धारित की गई हैं। छात्र सिलेबस से बाहर के सवाल’, ‘समझ के बाहर’, ‘गलत तरह से बनाए गए सवाल’, और ‘गलत अनुवाद’ के लिए शिकायत कर सकते हैं। गौरतलब है कि इस साल बोर्ड परीक्षा 5 मार्च से शुरू हो रही हैं।