रोलसाहबसर हादसे में 11 लोगों की मौत के बाद भास्कर ने पड़ताल की तो सामने आया सच, इंटरसेप्टर खराब, 2 महीने में एक भी गाड़ी का स्पीड टेस्ट नहीं हुआ, 10 महीने में सिर्फ 77 चालान तेज रफ्तार के
नीमकाथाना न्यूज़- रोलसाबसर में लोक परिवहन और ट्रोला भिड़ंत में 11 लोगों की मौत की बड़ी वजह ओवर स्पीड थी। लोक परिवहन बस की स्पीड 100 किमी से ज्यादा थी। दैनिक भास्कर ने शुक्रवार को पुलिस की इंटरसेप्टर गाड़ी की मदद से लोक परिवहन बसों का स्पीड टेस्ट करना तय किया लेकिन, यहां हैरान करने वाला खुलासा हुआ।
पुलिस ने दो महीने से तेज स्पीड में दौड़ रही एक भी गाड़ी की जांच नहीं की। गाड़ियों की जांच ही नहीं कर रही। क्योंकि जिले की एकमात्र इंटरसेप्टर गाड़ी दो महीने से खराब है। नतीजा-गाड़ियां तेज रफ्तार में दौड़ रही है। साल 2017 में 857 सड़क हादसे हुए। इनमें 464 लाेगों की मौत हो गई और 849 लोग घायल हो गए।
चालान कार्रवाई की स्पीड इतनी धीमी है कि जनवरी से अक्टूबर तक 10 महीने में तय रफ्तार से तेज दौड़ने वाली 77 बसों के खिलाफ ही चालान कार्रवाई की गई है। यानी चार दिन के अंतराल पर एक बस का चालान।
मीडिया ने यातायात प्रभारी जगदीश यादव से पूछा कि इंटरसेप्टर क्यों खराब है? उनका दावा है कि उन्होंने दो महीने पहले ही दिल्ली में संबंधित कंपनी को अवगत करा दिया था, एसपी की ओर से पुलिस मुख्यालय को पत्र लिखा गया था।
पुलिस ने पत्र लिखने के बाद इसकी मॉनिटरिंग तक नहीं की और न ही दोबारा पत्र लिखा। दो महीने पहले स्पीड मीटर रिपेयर कराने के लिए दिल्ली में टर्बो कंपनी में भेजा गया।
तीन बातें, जो पुलिस के सिस्टम और उनकी मंशा पर सवाल उठाती है
1. लापरवाही : यातायात पुलिस इंटरसेप्टर गाड़ी को शहरी क्षेत्र में ही हर दिन 20-30 किलोमीटर दौड़ा रही है। सवाल : शहरी क्षेत्र में इंटरसेप्टर गाड़ी दौड़ाने का मतलब क्या है? इसका मतलब यह है कि पुलिस सिर्फ कागजी कार्रवाई और आंकड़ेदिखाकर अपनी साख बचाने की कोशिश कर रही है।
3. खानापूर्ति : यातायात विभाग ने इंटरसेप्टर को अन्य चालान कार्रवाई करने में लगा दिया जो अब रॉन्ग साइड, सीट बेल्ट, बगैर हेलमेट आदि के चालान कर रही है। सवाल : यह कार्रवाई तो रूटीन में ही पुलिस करती है। क्या पुलिस तेज रफ्तार गाड़ियों को रोकना नहीं चाहती? 11 लोगों की मौत के बाद भी गंभीरता फिल्ड में नजर नहीं आई।
2. गंभीरता : हाईवे पर तेज दौड़ रहे वाहनों को लेकर गंभीर नहीं। इंटरसेप्टर गाड़ी का स्पीड मीटर दो महीने से खराब होने के बाद भी मॉनिटरिंग नहीं की। सवाल : यातायात प्रभारी ने एसपी को मौखिक बता दिया। एसपी की ओर से कंपनी को पत्र कब लिखा, इसका जवाब भी उनके पास नहीं है।
पुरे मामलें पर राठौड़ विनीत कुमार, एसपी, सीकर की तरफ से क्या कहना है...
हमने जितना काम किया, किसी ने नहीं किया हादसों के लिए एक एजेंसी जिम्मेदार नहीं होती।
➧ 11 लोगों की मौत के बाद भी ओवरस्पीड वाहनों पर कार्रवाई क्यों नहीं, क्या इससे भी बड़े हादसे का इंतजार है?
-हमने हादसे रोकने के लिए जितना काम किया, उतना कभी नहीं किया गया। हादसाें के लिए एक एजेंसी जिम्मेदार नहीं होती।
➧ दो महीने से इंटरसेप्टर खराब है, क्यों लगातार मॉनिटरिंग करके इसे ठीक नहीं कराया गया?
- स्पीड मीटर दिसंबर में खराब हुआ है। दिल्ली में रिपेयर के लिए भेजा गया है। जिसे कई बार फोन किया जा चुका है। जल्द रिपेयर कराने का प्रयास कर रहे है।
➧ चालान जैसी कार्रवाई से पुलिस इमेज सुधारना चाहती है?
- ऐसा नहीं है, जिले में रोड लैंथ बहुत ज्यादा है। एक इंटरसेप्टर के जरिए तो वैसे भी जिलेभर में ओवर स्पीड के चालान नहीं किए जा सकते है। पिछले साल की तुलना में आेवर स्पीड की कार्रवाई पचास फीसदी ज्यादा की गई है।
source- Neemkathana bhaskar
नीमकाथाना न्यूज़- रोलसाबसर में लोक परिवहन और ट्रोला भिड़ंत में 11 लोगों की मौत की बड़ी वजह ओवर स्पीड थी। लोक परिवहन बस की स्पीड 100 किमी से ज्यादा थी। दैनिक भास्कर ने शुक्रवार को पुलिस की इंटरसेप्टर गाड़ी की मदद से लोक परिवहन बसों का स्पीड टेस्ट करना तय किया लेकिन, यहां हैरान करने वाला खुलासा हुआ।
पुलिस ने दो महीने से तेज स्पीड में दौड़ रही एक भी गाड़ी की जांच नहीं की। गाड़ियों की जांच ही नहीं कर रही। क्योंकि जिले की एकमात्र इंटरसेप्टर गाड़ी दो महीने से खराब है। नतीजा-गाड़ियां तेज रफ्तार में दौड़ रही है। साल 2017 में 857 सड़क हादसे हुए। इनमें 464 लाेगों की मौत हो गई और 849 लोग घायल हो गए।
चालान कार्रवाई की स्पीड इतनी धीमी है कि जनवरी से अक्टूबर तक 10 महीने में तय रफ्तार से तेज दौड़ने वाली 77 बसों के खिलाफ ही चालान कार्रवाई की गई है। यानी चार दिन के अंतराल पर एक बस का चालान।
मीडिया ने यातायात प्रभारी जगदीश यादव से पूछा कि इंटरसेप्टर क्यों खराब है? उनका दावा है कि उन्होंने दो महीने पहले ही दिल्ली में संबंधित कंपनी को अवगत करा दिया था, एसपी की ओर से पुलिस मुख्यालय को पत्र लिखा गया था।
पुलिस ने पत्र लिखने के बाद इसकी मॉनिटरिंग तक नहीं की और न ही दोबारा पत्र लिखा। दो महीने पहले स्पीड मीटर रिपेयर कराने के लिए दिल्ली में टर्बो कंपनी में भेजा गया।
तीन बातें, जो पुलिस के सिस्टम और उनकी मंशा पर सवाल उठाती है
1. लापरवाही : यातायात पुलिस इंटरसेप्टर गाड़ी को शहरी क्षेत्र में ही हर दिन 20-30 किलोमीटर दौड़ा रही है। सवाल : शहरी क्षेत्र में इंटरसेप्टर गाड़ी दौड़ाने का मतलब क्या है? इसका मतलब यह है कि पुलिस सिर्फ कागजी कार्रवाई और आंकड़ेदिखाकर अपनी साख बचाने की कोशिश कर रही है।
3. खानापूर्ति : यातायात विभाग ने इंटरसेप्टर को अन्य चालान कार्रवाई करने में लगा दिया जो अब रॉन्ग साइड, सीट बेल्ट, बगैर हेलमेट आदि के चालान कर रही है। सवाल : यह कार्रवाई तो रूटीन में ही पुलिस करती है। क्या पुलिस तेज रफ्तार गाड़ियों को रोकना नहीं चाहती? 11 लोगों की मौत के बाद भी गंभीरता फिल्ड में नजर नहीं आई।
2. गंभीरता : हाईवे पर तेज दौड़ रहे वाहनों को लेकर गंभीर नहीं। इंटरसेप्टर गाड़ी का स्पीड मीटर दो महीने से खराब होने के बाद भी मॉनिटरिंग नहीं की। सवाल : यातायात प्रभारी ने एसपी को मौखिक बता दिया। एसपी की ओर से कंपनी को पत्र कब लिखा, इसका जवाब भी उनके पास नहीं है।
पुरे मामलें पर राठौड़ विनीत कुमार, एसपी, सीकर की तरफ से क्या कहना है...
हमने जितना काम किया, किसी ने नहीं किया हादसों के लिए एक एजेंसी जिम्मेदार नहीं होती।
➧ 11 लोगों की मौत के बाद भी ओवरस्पीड वाहनों पर कार्रवाई क्यों नहीं, क्या इससे भी बड़े हादसे का इंतजार है?
-हमने हादसे रोकने के लिए जितना काम किया, उतना कभी नहीं किया गया। हादसाें के लिए एक एजेंसी जिम्मेदार नहीं होती।
➧ दो महीने से इंटरसेप्टर खराब है, क्यों लगातार मॉनिटरिंग करके इसे ठीक नहीं कराया गया?
- स्पीड मीटर दिसंबर में खराब हुआ है। दिल्ली में रिपेयर के लिए भेजा गया है। जिसे कई बार फोन किया जा चुका है। जल्द रिपेयर कराने का प्रयास कर रहे है।
➧ चालान जैसी कार्रवाई से पुलिस इमेज सुधारना चाहती है?
- ऐसा नहीं है, जिले में रोड लैंथ बहुत ज्यादा है। एक इंटरसेप्टर के जरिए तो वैसे भी जिलेभर में ओवर स्पीड के चालान नहीं किए जा सकते है। पिछले साल की तुलना में आेवर स्पीड की कार्रवाई पचास फीसदी ज्यादा की गई है।
source- Neemkathana bhaskar