शेखावाटी विवि की बोम की बैठक में कई फैसले, कॉलेज संचालकों का आंदोलन खत्म

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सीकर-झुंझुनूं के 600 कॉलेजों का नहीं होगा निरीक्षण, जारी करेंगे एफिलिएशन

नीमकाथाना न्यूज़-  सीकर-झुंझुनूं के निजी कॉलेजों का आंदोलन शनिवार देर शाम को खत्म हो गया। शेखावाटी यूनिवर्सिटी की बोम मीटिंग में पांच अहम फैसले हुए। इसमें इस सत्र में कॉलेजों को फिर से बिना निरीक्षण के एफिलिएशन देने पर सहमति हो गई।


बोम सदस्य व श्रीमाधोपुर विधायक झाबरसिंह खर्रा ने हर्ष लांबा और अशोक व्यास को जूस पिलाकर अनशन भी तुड़वा दिया। सोमवार से दोनों जिलों के 600 निजी कॉलेज खुलेंगे। इससे पहले खर्रा और कॉलेज संचालकों के बीच जबरदस्त हंगामा हो गया था।

किसी ने विधानसभा चुनाव का हवाला दिए बिना खर्रा को यह कह दिया कि 10 महीने और बचे हैं। हम बड़े गुंडेहैं। इसके बाद विधायक खर्रा भड़क गए। उन्होंने कहा कि बकवास मत करो। 10 महीने की परवाह नहीं करता। इंसानियत से बात कर रहा हूं तो इसका मतलब यह नहीं है कि कोई कुछ भी कहेगा। अगर कोई वाहियात बातें करता है तो मैं डबल वाहियात हूं। मैं इस तरह नहीं करता। कोई गंदी बात करता है तो मैं महागुंडा हूं। कॉलेज संचालक माफी मांगते रहे।

कल से भरे जाएंगे परीक्षा फार्म

सोमवार से परीक्षा फार्म भर सकेंगे। 14 जनवरी अंतिम तिथि है। स्नातकोत्तर के नियमित, स्वयंपाठी और पूर्व छात्र भी 14 जनवरी तक परीक्षा फार्म भर सकेंगे। 20 से 23 जनवरी तक दोगुनी फीस, 24 से 27 तक तीन गुना फीस और 28 से 31 जनवरी तक चार गुना फीस देकर फार्म भरा जा सकेगा।

पांच बड़े फैसले, लेकिन क्यों लिए गए यह समझिए

  1. इस साल भी बिना निरीक्षण के ही एफिलिएशन जारी किया जाएगा। वहीं, पांच सदस्यों की एक कमेटी बनाई गई है। यह राज्य के सभी यूनिवर्सिटी के नियम देखेगी और उसके आधार पर नए नियम बनाए जाएंगे। यह नियम वेबसाइट पर अपलोड करके भी सुझाव मांगे जाएंगे।

    क्यों : इस साल विधानसभा चुनाव होने हैंं। इसलिए यहां पर भी राजनीतिक दबाव काम आया। पिछले साल की तरह फिर से कॉलेज संचालकों को छूट दे दी गई। पिछले साल भी छूट देते हुए, दावा किया गया था कि साल 2017 में निरीक्षण कराना ही होगा।
  2. जिन व्याख्याताओं का उत्तरपुस्तिकाओं की जांच का पैसा बकाया था, वह जल्द दिया जाएगा।

    क्यों : इस बार भी परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं की जांच करानी है। इसलिए यूनिवर्सिटी नहीं चाहती कि अगर टीचर्स ने मना किया तो रिजल्ट में देरी हो। इसलिए यूनिवर्सिटी ने व्याख्याताओं के पक्ष में फैसला लिया।
  3. जिन परीक्षा सेंटरों पर पिछले साल गड़बड़ी मिली थी, उन्हें इस बार सेंटर नहीं देंगे और सेंटर नजदीकी सरकारी कॉलेज में दिए जाएंगे।

    क्यों : यह स्थिति पिछले साल भी हुई थी। लेकिन, उन्हें छूट दे दी गई। इस बार भी ऐसा ही होगा, लेकिन यूनिवर्सिटी यह दिखाना नहीं चाहती है कि वह कॉलेज संचालकों के सामने झुक गई।
  4. पुनर्मूल्यांकन में काफी गड़बड़ी हुई है। स्टूडेंट्स ने आरोप लगाए थे। इसलिए जांच होगी। अगर किसी स्टूडेंट्स के अंकों में 20 फीसदी का अंतर आ रहा है तो उसकी भी जांच होगी।

    क्यों : दो साल से यूनिवर्सिटी रिजल्ट को लेकर विवादों में है। लगातार उठ रहे सवालों को लेकर यूनिवर्सिटी अब इस स्थिति को बदलना चाहती है।
  5. अगले सत्र से एफिलिएशन 31 मई तक जारी कर दिए जाएंगे। इसके अलावा इस बार 15 दिन पहले एग्जाम सेंटरों की सूची जारी की जाएगी।

    क्यों : सत्र जुलाई में शुरू होता है और कॉलेज संचालक कहते हैंकि यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स के भविष्य के साथ धोखा कर रही है। इसलिए सदस्यों ने मई का समय तय रखा।
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