वास्तु टिप्स: जल ही जीवन है, जल के बिना जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती। वास्तु के पांच तत्वों में से जल तत्व एक महत्वपूर्ण तत्व है। अतः इसके लिये घर या व्यावसायिक संस्थान में इस प्रकार व्यवस्था करनी चाहिये, जिससे ना तो जल की बर्बादी हो और साथ ही पर्याप्त मात्रा में जल की आपूर्ति होती रहे।
जल जीवन के लिये अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि जल को केवल बचाया जा सकता है बनाया नहीं जा सकता। प्रस्तुत हैं हैैंडपम्प-सबमर्सिबल के लिये कुछ महत्वपूर्ण वास्तु जानकारियां-
1- किसी भी घर या व्यावसायिक संस्थान में ईशान (NE) में हैंडपम्प, सबमर्सिबल, भूमिगत टैंक बनाना सबसे अधिक लाभकारी होता है।
2- पूर्वी आग्नेय (E-SE) में भूमिगत पानी टैंक, गड्डा (हैंडपम्प-सबमर्सिबल आदि) बीमाारी, अग्नि भय, चोरी आदि का कारक हो सकता है।
3-यदि घर के ईशान (NE) में हैंडपम्प, सबमर्सिबल, भूमिगत टैंक सम्भव न हो तो इसका निर्माण पूर्व (E) या उत्तर (N) में भी किया जा सकता है। यह ईशान दिशा का उचित विकल्प हो सकता है।
4-उत्तरी ईशान (N-NE) या पूर्वी ईशान (E-NE) में कुंआ, भूमिगत टैंक हो तो सुख सम्पन्नता, वंश वृद्धि व प्रसिद्धि देता है।
5-हैंडपम्प, सबमर्सिबल, भूमिगत टैंक घर की चारदीवारी के अन्दर ईशान में ही होना चाहिये।
लेखक-संजय कुमार गर्ग sanjay.garg2008@gmail.com (All rights reserved.)
6-पश्चिम (W) में कुंआ या गड्डा (हैंडपम्प-सबमर्सिबल आदि) घर के पुरूषों को अस्वथ व रोगी बनाता है।
7-दक्षिण (S) में भूमिगत टैंक या गड्डा (हैंडपम्प-सबमर्सिबल आदि) होने से घर की स्त्रियां अस्वस्थ रहती हैं यहां तक की उनकी अकाल मृत्यु तक हो सकती है।
8-पश्चिम-वायव्य (W-NW) व उत्तर-वायव्य (N-NW) में भूमिगत टैंक या गड्डा (हैंडपम्प-सबमर्सिबल आदि) हो तो, मुकदमेंबाजी, चोरी, पागलपन, आदि का संकट घर के सदस्यों पर उत्पन्न हो सकता है।
9-दक्षिणी-आग्नेय (S-SE) में भूमिगत टैंक, गड्डा, घर की स्त्रियों को बीमारू, बुरे व्यसन एवं भय का शिकार बनाता है।
10-पश्चिम नैरूत (W-SW) में भूमिगत टैंक, गड्डा (हैंडपम्प-सबमर्सिबल आदि) घर के पुरूषों को रोगी व चरित्रहीन बनाता है।
11-दक्षिणी-नैरूत (S-SW) में गड्डा, भूमिगत टैंक, भी घर की स्त्रियों को रोगी, चरित्रहीन व कर्जदार बनाता है।
12-घर के ब्रह्म स्थान (Centre) में गड्डा या भूमिगत टैंक घर के स्वामी की अकाल मृत्यु आदि का कारण बन सकता है।
भूमिगत टैंक, समरसेबिल, हैंडपम्प को ईशान (NE) में लगाना सर्वश्रेष्ठ है, यदि इस दिशा में इनकी व्यवस्था न हो सके तो उ0 ईशान (N-NE), पू0 ईशान (E-NE) या उत्तर (N) में कर सकते हैं। यदि इन स्थानों पर भी पानी की व्यवस्था नहीं हो पाती तो अंतिम विकल्प के रूप में पूर्व (E) दिशा का चयन कर सकते हैं।
जल जीवन के लिये अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि जल को केवल बचाया जा सकता है बनाया नहीं जा सकता। प्रस्तुत हैं हैैंडपम्प-सबमर्सिबल के लिये कुछ महत्वपूर्ण वास्तु जानकारियां-
1- किसी भी घर या व्यावसायिक संस्थान में ईशान (NE) में हैंडपम्प, सबमर्सिबल, भूमिगत टैंक बनाना सबसे अधिक लाभकारी होता है।
2- पूर्वी आग्नेय (E-SE) में भूमिगत पानी टैंक, गड्डा (हैंडपम्प-सबमर्सिबल आदि) बीमाारी, अग्नि भय, चोरी आदि का कारक हो सकता है।
3-यदि घर के ईशान (NE) में हैंडपम्प, सबमर्सिबल, भूमिगत टैंक सम्भव न हो तो इसका निर्माण पूर्व (E) या उत्तर (N) में भी किया जा सकता है। यह ईशान दिशा का उचित विकल्प हो सकता है।
4-उत्तरी ईशान (N-NE) या पूर्वी ईशान (E-NE) में कुंआ, भूमिगत टैंक हो तो सुख सम्पन्नता, वंश वृद्धि व प्रसिद्धि देता है।
5-हैंडपम्प, सबमर्सिबल, भूमिगत टैंक घर की चारदीवारी के अन्दर ईशान में ही होना चाहिये।
लेखक-संजय कुमार गर्ग sanjay.garg2008@gmail.com (All rights reserved.)
6-पश्चिम (W) में कुंआ या गड्डा (हैंडपम्प-सबमर्सिबल आदि) घर के पुरूषों को अस्वथ व रोगी बनाता है।
7-दक्षिण (S) में भूमिगत टैंक या गड्डा (हैंडपम्प-सबमर्सिबल आदि) होने से घर की स्त्रियां अस्वस्थ रहती हैं यहां तक की उनकी अकाल मृत्यु तक हो सकती है।
8-पश्चिम-वायव्य (W-NW) व उत्तर-वायव्य (N-NW) में भूमिगत टैंक या गड्डा (हैंडपम्प-सबमर्सिबल आदि) हो तो, मुकदमेंबाजी, चोरी, पागलपन, आदि का संकट घर के सदस्यों पर उत्पन्न हो सकता है।
9-दक्षिणी-आग्नेय (S-SE) में भूमिगत टैंक, गड्डा, घर की स्त्रियों को बीमारू, बुरे व्यसन एवं भय का शिकार बनाता है।
10-पश्चिम नैरूत (W-SW) में भूमिगत टैंक, गड्डा (हैंडपम्प-सबमर्सिबल आदि) घर के पुरूषों को रोगी व चरित्रहीन बनाता है।
11-दक्षिणी-नैरूत (S-SW) में गड्डा, भूमिगत टैंक, भी घर की स्त्रियों को रोगी, चरित्रहीन व कर्जदार बनाता है।
12-घर के ब्रह्म स्थान (Centre) में गड्डा या भूमिगत टैंक घर के स्वामी की अकाल मृत्यु आदि का कारण बन सकता है।
भूमिगत टैंक, समरसेबिल, हैंडपम्प को ईशान (NE) में लगाना सर्वश्रेष्ठ है, यदि इस दिशा में इनकी व्यवस्था न हो सके तो उ0 ईशान (N-NE), पू0 ईशान (E-NE) या उत्तर (N) में कर सकते हैं। यदि इन स्थानों पर भी पानी की व्यवस्था नहीं हो पाती तो अंतिम विकल्प के रूप में पूर्व (E) दिशा का चयन कर सकते हैं।