हिन्दुओ को बदनाम करने की रची गई थी साजिश
जम्मू :जम्मू संभाग के कठुआ जिले के रसाना गांव में आठ साल की बच्ची से सामूहिक दुष्कर्म व हत्या की चार्जशीट में जो साक्ष्य और तथ्य पेश किए गए हैं उनमें कई कड़ियां ऐसी हैं, जो आपस में मेल नहीं खातीं। कठुआ जिला अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट ने स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम (एसआइटी) को जो बच्ची की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भेजी है, वह एक नहीं बल्कि दो हैं। अमूमन मृतका की एक ही पोस्टमार्टम रिपोर्ट अस्पताल से भेजी जाती है। दो डॉक्टरों की रिपोर्ट में भी अंतर है, जिससे यह मामला और पेचीदा हो गया है।
यह तथ्य तब सामने आए जब आरोपितों के वकील असीम साहनी को कठुआ अस्पताल से दो पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिली। चौंकाने वाला तथ्य यह है कि दोनों रिपोर्ट में कहीं पर भी बच्ची के साथ दुष्कर्म का कोई जिक्र तक नहीं है।
पहली रिपोर्ट : शरीर पर छह जख्म, खोपड़ी सलामत
पहली रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्ची के शरीर पर छह जख्म हैं, जबकि दूसरी रिपोर्ट में सात जख्म का जिक्र है। एक जख्म कान के पास लगभग दो सेंटीमीटर है। यह जख्म ऐसा होता है जो गिरने की वजह से भी आमतौर पर होता है। खोपड़ी में कोई फ्रेक्चर नहीं है। क्राइम ब्रांच की चार्जशीट में दावा किया गया है कि बच्ची का गला घोंटने के बाद उसके सिर पर पत्थर मारा गया। जानकारों के अनुसार अगर पत्थर मारा जाए तो जख्म की तीव्रता अधिक होती। बच्ची की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से यह थ्योरी भी मेल नहीं खा रही।
मौत का कारण सांस रुकने से हुए हार्ट अटैक बताया गया
पुलिस ने 17 जनवरी को रसाना के जिस स्थान से शव बरामद किया, वहां पर उसे पत्थर मारने का दावा क्राइम ब्रांच ने किया है, लेकिन उस पत्थर पर भी खून का निशान नहीं है। इससे यह संकेत मिलता है कि बच्ची की मौत पहले हो चुकी थी। अगर बच्ची की हत्या 17 जनवरी को होती तो पत्थर पर खून के निशान जरूर होते। इतना जरूर कहा गया है कि बच्ची की मौत का कारण सांस रुकने से हुए हार्ट अटैक से बताया गया है। हालांकि रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई है कि बच्ची के पेट में नशीली दवाई मिली है। जहां तक बच्ची के शरीर पर चोट के निशान की बात है तो उसके दाहिने बाजू, पेट और निचले हिस्सों पर खरोचें हैं।
दूसरी रिपोर्ट: जांघ पर खरोंचें और हाइमन था फटा
दूसरी पोस्टमार्टम रिपोर्ट में जांघ पर कुछ खरोंच पाई गई हैं, जो गिरने के कारण भी हो सकती हैं। रिपोर्ट में सबसे बड़ा खुलासा यह किया गया है कि बच्ची के साथ दुष्कर्म नहीं हुआ है। इतना जरूर है कि बच्ची का हाइमन फटा हुआ है। श्री महाराजा गुलाब सिंह (एसएमजीएस) अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ का कहना है कि हेमेन घुड़सवारी, तैराकी, साइक्लिंग, जोर का काम आदि करने से भी टूट सकता है। रिपोर्ट में बच्ची के गुप्तांग और एफएसएल भेजे गए कपड़ों में भी कोई वीर्य नहीं पाया गया है। हालांकि क्राइम ब्रांच ने चार्जशीट में यह दावा जरूर किया है कि जांच के लिए एफएसएल में भेजे गए कपड़े धो दिए गए थे।
हत्या कहीं और होने का अंदेशा
पुलिस की बड़ी चूक यह भी है कि उसने आरोपितों के अंडर गारमेंट्स भी एफएसएल में नहीं भेजे। अगर भेजे होते तो जांच में कुछ मदद मिल सकती थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्ची के गुप्तांग में हल्का खून का धब्बा जरूर है। यह चोट के कारण भी हो सकता है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बच्ची का शव जिस दिन मिला, उसकी मौत 36 से 72 घंटे पहले हुई है। इससे लगता है कि हत्या कहीं और की गई और शव रसाना में फेंका गया।
मिले बाल पर भी उठे सवाल
एक और उल्लेखनीय बात यह है कि बच्ची के बाल, जिन्हें देवस्थान से बरामद करने का दावा किया गया, वे मार्च में क्राइम ब्रांच ने दिल्ली एफएसएल को भेजे थे। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या देवस्थान की 17 जनवरी के बाद कोई सफाई नहीं हुई? ज्ञात हो कि इस देवस्थान पर लोग रोजाना नतमस्तक होते हैं।
जम्मू :जम्मू संभाग के कठुआ जिले के रसाना गांव में आठ साल की बच्ची से सामूहिक दुष्कर्म व हत्या की चार्जशीट में जो साक्ष्य और तथ्य पेश किए गए हैं उनमें कई कड़ियां ऐसी हैं, जो आपस में मेल नहीं खातीं। कठुआ जिला अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट ने स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम (एसआइटी) को जो बच्ची की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भेजी है, वह एक नहीं बल्कि दो हैं। अमूमन मृतका की एक ही पोस्टमार्टम रिपोर्ट अस्पताल से भेजी जाती है। दो डॉक्टरों की रिपोर्ट में भी अंतर है, जिससे यह मामला और पेचीदा हो गया है।
यह तथ्य तब सामने आए जब आरोपितों के वकील असीम साहनी को कठुआ अस्पताल से दो पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिली। चौंकाने वाला तथ्य यह है कि दोनों रिपोर्ट में कहीं पर भी बच्ची के साथ दुष्कर्म का कोई जिक्र तक नहीं है।
पहली रिपोर्ट : शरीर पर छह जख्म, खोपड़ी सलामत
पहली रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्ची के शरीर पर छह जख्म हैं, जबकि दूसरी रिपोर्ट में सात जख्म का जिक्र है। एक जख्म कान के पास लगभग दो सेंटीमीटर है। यह जख्म ऐसा होता है जो गिरने की वजह से भी आमतौर पर होता है। खोपड़ी में कोई फ्रेक्चर नहीं है। क्राइम ब्रांच की चार्जशीट में दावा किया गया है कि बच्ची का गला घोंटने के बाद उसके सिर पर पत्थर मारा गया। जानकारों के अनुसार अगर पत्थर मारा जाए तो जख्म की तीव्रता अधिक होती। बच्ची की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से यह थ्योरी भी मेल नहीं खा रही।
मौत का कारण सांस रुकने से हुए हार्ट अटैक बताया गया
पुलिस ने 17 जनवरी को रसाना के जिस स्थान से शव बरामद किया, वहां पर उसे पत्थर मारने का दावा क्राइम ब्रांच ने किया है, लेकिन उस पत्थर पर भी खून का निशान नहीं है। इससे यह संकेत मिलता है कि बच्ची की मौत पहले हो चुकी थी। अगर बच्ची की हत्या 17 जनवरी को होती तो पत्थर पर खून के निशान जरूर होते। इतना जरूर कहा गया है कि बच्ची की मौत का कारण सांस रुकने से हुए हार्ट अटैक से बताया गया है। हालांकि रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई है कि बच्ची के पेट में नशीली दवाई मिली है। जहां तक बच्ची के शरीर पर चोट के निशान की बात है तो उसके दाहिने बाजू, पेट और निचले हिस्सों पर खरोचें हैं।
दूसरी रिपोर्ट: जांघ पर खरोंचें और हाइमन था फटा
दूसरी पोस्टमार्टम रिपोर्ट में जांघ पर कुछ खरोंच पाई गई हैं, जो गिरने के कारण भी हो सकती हैं। रिपोर्ट में सबसे बड़ा खुलासा यह किया गया है कि बच्ची के साथ दुष्कर्म नहीं हुआ है। इतना जरूर है कि बच्ची का हाइमन फटा हुआ है। श्री महाराजा गुलाब सिंह (एसएमजीएस) अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ का कहना है कि हेमेन घुड़सवारी, तैराकी, साइक्लिंग, जोर का काम आदि करने से भी टूट सकता है। रिपोर्ट में बच्ची के गुप्तांग और एफएसएल भेजे गए कपड़ों में भी कोई वीर्य नहीं पाया गया है। हालांकि क्राइम ब्रांच ने चार्जशीट में यह दावा जरूर किया है कि जांच के लिए एफएसएल में भेजे गए कपड़े धो दिए गए थे।
हत्या कहीं और होने का अंदेशा
पुलिस की बड़ी चूक यह भी है कि उसने आरोपितों के अंडर गारमेंट्स भी एफएसएल में नहीं भेजे। अगर भेजे होते तो जांच में कुछ मदद मिल सकती थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्ची के गुप्तांग में हल्का खून का धब्बा जरूर है। यह चोट के कारण भी हो सकता है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बच्ची का शव जिस दिन मिला, उसकी मौत 36 से 72 घंटे पहले हुई है। इससे लगता है कि हत्या कहीं और की गई और शव रसाना में फेंका गया।
मिले बाल पर भी उठे सवाल
एक और उल्लेखनीय बात यह है कि बच्ची के बाल, जिन्हें देवस्थान से बरामद करने का दावा किया गया, वे मार्च में क्राइम ब्रांच ने दिल्ली एफएसएल को भेजे थे। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या देवस्थान की 17 जनवरी के बाद कोई सफाई नहीं हुई? ज्ञात हो कि इस देवस्थान पर लोग रोजाना नतमस्तक होते हैं।