स्पेशल रिपोर्ट- Deepak Vashisth
नीमकाथाना न्यूज़- क्षेत्र की सबसे बड़ी गौशाला जिसका नाम है गोपाल गौशाला यहां करीब 500 के लगभग गाय हैं जिसमें 300 के लगभग दूध देने वाली गाय हैं। इस गौशाला में भामाशाह व राज्य सरकार द्वारा लाखों रुपए दान किए गए हैं।
कहने को तो यह गौशाला है लेकिन सच्चाई यह है कि यहां गायों के स्वास्थ्य पर व पोषण पर ध्यान नहीं दिया जाता है। गौशाला से महीने में हजारों रुपए की आमदनी होती है। राज्य सरकार भी इस तरह कि गौशाला को अनुदान प्रस्ताव पारित करती है, और करीब पूरे राजस्थान में 200 करोड रुपए गौशालाओं को दिए जाएंगे जिसमें एक गौशाला को 10 से 12 लाख रुपए अनुदान दीया जाएगा।
गत महीने पहले एक गाय जिसके गले में घाव हो रहा था उसको स्थानीय लोगों की मदद से गौशाला में पहुंचाया गया था। लेकिन कुछ दिन गाय गौशाला में रखने के बाद में उस गाय को गोपाल गौशाला का टैग व नंबर लगाकर बाजार में यूँ ही मरने के लिए छोड़ दिया गया।
स्थानीय लोगो के जहन में कुछ सवाल उठते है क्या गोपाल गौशाला के अध्यक्ष व जिम्मेदार अधिकारी जो गाय दूध नहीं देती है उसको नहीं रखते हैं ? क्या गौशाला में जाने के बाद भी गायों की दुर्दशा होती है ?
इन सभी सवालों का जवाब जानने के लिए गौशाला के एक कर्मचारी से बात करने पर कर्मचारी ने बताया कि यहां महीने में करीब 5 गायों की मौत हो जाती है।
इस मामले में जब गौशाला अध्यक्ष दौलतराम गोयल जी का क्या कहना है
इस मामले में जब गौशाला अध्यक्ष दौलतराम गोयल से बात की गई तो दौलतराम गोयल ने कहा की कोई गायों की मौत नहीं हो रही है गौशाला में सब ठीक है और जिस गाय के पैर में घाव हो रहा है इस गाय को आप गौशाला में पहुंचा दो हम इलाज कर देंग।
गौशाला अध्यक्ष से जब यह पूछा गया कि आपने बिना इलाज किए उस गाय को क्यों छोड़ दिया गौशाला अध्यक्ष ने कहा कि इसमें कर्मचारियों की कोई गलती हो सकती है तो आप उस गाय को गौशाला में दोबारा भिजवा दें।
पशु चिकित्सक डाक्टर त्यागी जी का इस मामले पर क्या कहना है
घायल गायों के इलाज की जानकारी के लिए जब पशु चिकित्सक डाक्टर त्यागी से बात की गई तो डॉक्टर त्यागी ने कहा की गोपाल गौशाला में गायों की मौत बीमारी व ज्यादा उम्र होने से हो जाती है और जिस गाय को गौशाला का टैग लगाकर बाजार में छोड़ा गया है उसका हमने इलाज किया था किंतु यह गौशाला की लापरवाही है उस गाय को बीच में ही टैग लगा कर बाजार में छोड़ दिया गया ।
क्षेत्र में न. 1 लेकिन सही मायनों में हालत खस्ता
दिखाने के नाम पर तो गोपाल गौशाला क्षेत्र में पहले नंबर पर है किंतु छोटे-छोटे बछड़ों वह गायों की मौत की मौत हो जाती है क्या गौशाला में इसका उचित समाधान नहीं है।
गोपाल गौशाला ने क्षेत्र में अनेक दुकानों पर अपने गोदान पेटी रख रखी है। व हर घर से रोजाना का ₹1 यानी प्रति महीना ₹30 के करीब गौशाला में दिया जाता है फिर भी गोपाल गौशाला में गायों की देखरेख नहीं होने के कारण इन बेसहारा गायों की कौन सुनेगा।
वहीं दूसरी ओर प्रसिद्ध बालेश्वर धाम में गोपाल गौशाला है वहां के सचिव सतीश शर्मा ने बताया कि यहां हमारे पास करीब 300 के पास गोवंश है जिसकी देखरेख गांव वाले वह हम चार पांच लोग मिलकर कर रहे हैं यहां पानी में छाया के अभाव में कई गायों की मौत हो चुकी है
इस समस्या को लेकर हम अधिकारियों को भी अवगत करा चुके हैं परंतु हमारी किसी ने नहीं सुनी क्या गाय की सेवा करना धर्म नहीं है।
सचिव ने बताया कि हमें प्रशासन की आज्ञा से निर्माण स्वीकृति मिल जाए और गोवंश के लिए छाया और पानी की व्यवस्था हो जाए तो इन गायों की मौत नहीं होगी और हम भी अपनी पूरी जिम्मेदारी सेवा भाव से निभा सकेंगे।
स्पेशल रिपोर्ट- Deepak Vashisth
नीमकाथाना न्यूज़- क्षेत्र की सबसे बड़ी गौशाला जिसका नाम है गोपाल गौशाला यहां करीब 500 के लगभग गाय हैं जिसमें 300 के लगभग दूध देने वाली गाय हैं। इस गौशाला में भामाशाह व राज्य सरकार द्वारा लाखों रुपए दान किए गए हैं।
कहने को तो यह गौशाला है लेकिन सच्चाई यह है कि यहां गायों के स्वास्थ्य पर व पोषण पर ध्यान नहीं दिया जाता है। गौशाला से महीने में हजारों रुपए की आमदनी होती है। राज्य सरकार भी इस तरह कि गौशाला को अनुदान प्रस्ताव पारित करती है, और करीब पूरे राजस्थान में 200 करोड रुपए गौशालाओं को दिए जाएंगे जिसमें एक गौशाला को 10 से 12 लाख रुपए अनुदान दीया जाएगा।
गत महीने पहले एक गाय जिसके गले में घाव हो रहा था उसको स्थानीय लोगों की मदद से गौशाला में पहुंचाया गया था। लेकिन कुछ दिन गाय गौशाला में रखने के बाद में उस गाय को गोपाल गौशाला का टैग व नंबर लगाकर बाजार में यूँ ही मरने के लिए छोड़ दिया गया।
स्थानीय लोगो के जहन में कुछ सवाल उठते है क्या गोपाल गौशाला के अध्यक्ष व जिम्मेदार अधिकारी जो गाय दूध नहीं देती है उसको नहीं रखते हैं ? क्या गौशाला में जाने के बाद भी गायों की दुर्दशा होती है ?
इन सभी सवालों का जवाब जानने के लिए गौशाला के एक कर्मचारी से बात करने पर कर्मचारी ने बताया कि यहां महीने में करीब 5 गायों की मौत हो जाती है।
इस मामले में जब गौशाला अध्यक्ष दौलतराम गोयल जी का क्या कहना है
इस मामले में जब गौशाला अध्यक्ष दौलतराम गोयल से बात की गई तो दौलतराम गोयल ने कहा की कोई गायों की मौत नहीं हो रही है गौशाला में सब ठीक है और जिस गाय के पैर में घाव हो रहा है इस गाय को आप गौशाला में पहुंचा दो हम इलाज कर देंग।
गौशाला अध्यक्ष से जब यह पूछा गया कि आपने बिना इलाज किए उस गाय को क्यों छोड़ दिया गौशाला अध्यक्ष ने कहा कि इसमें कर्मचारियों की कोई गलती हो सकती है तो आप उस गाय को गौशाला में दोबारा भिजवा दें।
पशु चिकित्सक डाक्टर त्यागी जी का इस मामले पर क्या कहना है
घायल गायों के इलाज की जानकारी के लिए जब पशु चिकित्सक डाक्टर त्यागी से बात की गई तो डॉक्टर त्यागी ने कहा की गोपाल गौशाला में गायों की मौत बीमारी व ज्यादा उम्र होने से हो जाती है और जिस गाय को गौशाला का टैग लगाकर बाजार में छोड़ा गया है उसका हमने इलाज किया था किंतु यह गौशाला की लापरवाही है उस गाय को बीच में ही टैग लगा कर बाजार में छोड़ दिया गया ।
क्षेत्र में न. 1 लेकिन सही मायनों में हालत खस्ता
दिखाने के नाम पर तो गोपाल गौशाला क्षेत्र में पहले नंबर पर है किंतु छोटे-छोटे बछड़ों वह गायों की मौत की मौत हो जाती है क्या गौशाला में इसका उचित समाधान नहीं है।
गोपाल गौशाला ने क्षेत्र में अनेक दुकानों पर अपने गोदान पेटी रख रखी है। व हर घर से रोजाना का ₹1 यानी प्रति महीना ₹30 के करीब गौशाला में दिया जाता है फिर भी गोपाल गौशाला में गायों की देखरेख नहीं होने के कारण इन बेसहारा गायों की कौन सुनेगा।
वहीं दूसरी ओर प्रसिद्ध बालेश्वर धाम में गोपाल गौशाला है वहां के सचिव सतीश शर्मा ने बताया कि यहां हमारे पास करीब 300 के पास गोवंश है जिसकी देखरेख गांव वाले वह हम चार पांच लोग मिलकर कर रहे हैं यहां पानी में छाया के अभाव में कई गायों की मौत हो चुकी है
इस समस्या को लेकर हम अधिकारियों को भी अवगत करा चुके हैं परंतु हमारी किसी ने नहीं सुनी क्या गाय की सेवा करना धर्म नहीं है।
सचिव ने बताया कि हमें प्रशासन की आज्ञा से निर्माण स्वीकृति मिल जाए और गोवंश के लिए छाया और पानी की व्यवस्था हो जाए तो इन गायों की मौत नहीं होगी और हम भी अपनी पूरी जिम्मेदारी सेवा भाव से निभा सकेंगे।
स्पेशल रिपोर्ट- Deepak Vashisth