ग्रामीणों ने कहा- हमें पीने को पानी नहीं, खदानों से व्यर्थ बहा रहे हैं, विरोध पर एसडीएम बोले- माइनिंग विभाग करेगा जांच

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खदानों में भरा पानी बहाने का मामला : महावा के लोगों ने दिया ज्ञापन, पानी का दुरुपयोग नहीं रुका तो आंदोलन

नीमकाथाना न्यूज़- यूं तो समूचा इलाका डार्क जोन में हैं, लेकिन खदानों में भरा पानी पाइप के जरिए बहाने पर नया विवाद खड़ा हो गया है। लोग खदानों में भरे पानी को पीने व सिंचाई के लिए उपयोग की लाने मांग कर रहे हैं। विरोध पर एसडीएम ने माइनिंग व जलबोर्ड से मामले की जांच कराने का भरोसा दिलाया है।

बीते तीन दिन से जीर की घाटी (महावा) में पाइप के जरिए खदान का पानी निकालने पर विवाद बना हुआ है। दर्जनों लोगों ने विरोध दर्ज कराते हुए एसडीएम जेपी गौड़ को ज्ञापन दिया। महेश सैनी ने कहा महावा-भराला में लोग पानी के संकट से परेशान है।

पिछले साल खदान में भरे पानी को बहाने पर विवाद हुआ था। इलाके में खदानें इतनी गहराई तक पहुंच गई हैं की कइयों में पानी आने लगा है। खनन कारोबारियों ने जीर की घाटी से निकलने वाले प्राकृतिक नाले को भी अवरुद्ध कर दिया है।

शुक्रवार को महावा-भराला के दर्जनों लोगों ने एसडीएम जेपी गौड़ को ज्ञापन दिया। लोगों ने जलदोहन रोकने, ब्लास्टिंग व इसी स्वीकृति को रद्द कराने की मांग रखी हैं। खदानों में भरे पानी को व्यर्थ बहाना नहीं रुकने पर आंदोलन की चेतावनी दी गई हैं।

खदानों में भरा पानी व्यर्थ बहाने पर पिछले दो साल से नीमकाथाना व पाटन में कई जगह विवाद हुए। विरोध के बाद खनन कारोबारियों ने काम रोक दिया। मामला शांत होने पर खदानों में पाइप के जरिए पानी निकालने की कार्रवाई होने पर ग्रामीणों में नाराजगी है। लोगों ने कहा जमीन में पानी नहीं हैं।

जल स्त्रोत सूख रहे हैं, प्रशासन ने रोक नहीं लगाई तो आंदोलन करेंगे

ज्ञापन देने वालों में सरपंच रामसिंह, उपसरपंच, महावीर सिंह, महेश सैनी, मालाराम, बाबूलाल सैनी, सुरेश खेरवा आदि लोग शामिल हुए। माइनिंग विभाग ने इलाके में ऐसी 25 खदानों को चिन्हित किया जो खतरनाक हैं। कइयों में गहराई तक पानी भरा हैं। ऐसी खतरनाक खदानों पर सुरक्षा इंतजाम तक नहीं हैं। अधिकांश खदानें बंद हैं। कइयों में खनन के लिए पाइप से पानी निकाला जाता है। इनको नोटिस दिया गया, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।

गर्मी में जमीन पर सूखे जल स्त्रोत, पहाड़ी पर दस फीट गहराई में पानी

नीमकाथाना- गर्मी बढ़ने के साथ ही जल संकट गहराने लगा है। अधिकांश जल स्त्रोत सूखने लगे हैं। हैंडपंप व ट्यूबवैल जवाब दे रहे हैं। दूसरी ओर गणेश्वर की पहाड़ी पर मात्र दस फीट की गहराई में पानी है। पहाड़ी पर पांच कुएं बने हुए हैं। ग्रामीण व महिलाएं यहां से पानी लाते हैं। दिनभर कुओं पर लोगों की भीड़ लगी रहती हैं।

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