जांच केबाद हुआ खुलासा, बैंक मैनेजर यशवंत ने पत्नी प्रमिला, परिचित विनोद के खातों में जमा कराया पैसा
रींगस- केंद्रीय सहकारी बैंक रींगस ब्रांच के अधिकारी व कर्मचारियों ने मिलीभगत कर तीन साल में 8.53 करोड़ रुपए का फर्जीवाड़ा कर दिया। बैंक ने 3 लोगों को निलंबित कर दिया है। सात के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाई गई है।
डीएसपी मनस्वी चौधरी ने बताया कि बैंक के सीनियर मैनेजर मनोज बांगड़वा ने रिपोर्ट दी कि एक खाताधारक की शिकायत के बाद जांच करवाई गई। पता चला कि वर्तमान प्रबंधक यशवंत पारीक, लिपिक सोहनलाल बिराणिया, सहायक कर्मचारी रविप्रकाश मीणा, तत्कालीन लिपिक विकास मीणा, रिटायर्डशाखा प्रबंधक प्रकाश जैन, प्रमिला देवी व विनोद की मिलीभगत से 8.53 करोड़ रुपए घोटाला हुआ है।
इन्होंने ग्राम सेवा सहकारी समितियों व अन्य खाताधारकों की एफडी पर जमा होने वाले पैसे में फर्जीवाड़ा किया। यह पैसा बैंक मैनेजर यशवंत ने पत्नी प्रमिला व परिचित विनोद के खातों में जमा कराया। कुछ पैसा नकद भी उठाया।
15 ऑडिट रिपोर्ट में नहीं पकड़ा फर्जीवाड़ा, एफडी का भुगतान नहीं करने की शिकायत के बाद खुलासा
तीन साल सेएफडी केनाम पर फर्जीवाड़े का खेल चल रहा था। 15 बार ऑडिट रिपोर्टमेंफर्जीवाड़ा नहीं पकड़ा जा सका। मामले का खुलासा भी एक व्यापारी की एफडी पर बैंक द्वारा भुगतान नहीं करने पर हुआ।
व्यापारी नेबैंक उच्चाधिकारियों को शिकायत दी कि उन्हेंएफडी का पैसा नहीं दिया जा रहा है। सीकर मुख्यालय सेजांच टीम भेजी गई। टीम आनेकी सूचना केसाथ ही रींगस शाखा प्रबंधक यशवंत कुमार ने बैंक मेंआना छोड़ दिया। टीम ने संपर्क किया तो उसनेकोई सहयोग नहीं किया।
इससे टीम का शक गहरा गया। टीम ने बैंक के सभी एफडी खातों की जांच शुरू कर दी। एक महीने की जांच में दो तरह से फर्जीवाड़ा किया जाना सामने आया।
पहला जीएसएस द्वारा होने वाली एफडी पर व दूसरा व्यक्तिगत लोगों द्वारा करवाई जाने वाली एफडी पर हुआ। सूत्रों की मानें तो बैंक मेंहुए फर्जीवाड़े की मूल रकम करीब 6.5 करोड़ रुपए है। जबकि बाकी पैसा ब्याज से जुड़ा है।
पूरा खेल दो कड़ियाें में समझें
पहली कड़ी : बैंक मेंएफडी करवाने वाले लोगों को मैन्युअल एफडी के कागजात तैयार कर दिए जाते रहे। इस पैसेको बैंक के सिस्टम में दर्ज नहीं किया गया। यानी पैसा सीधे बैंक कर्मचारी अधिकारी जेब में डालते रहे। करीब 35 खाताधारकों से मिले डेढ़ करोड़ रुपए रजिस्टर मेंदर्ज नहीं किए, लेकिन इनकी काउंटर स्लिप बैंक रिकॉर्ड में है।
दूसरी कड़ी : कर्मचारी अधिकारियों नेग्राम सेवा सहकारी समिति (जीएसएस) की ओर सेकरवाई गई ऐसी एफडी की सूचना जुटाई, जिन पर जीएसएस नेएफडी के विरुद्ध लोन लेकर वापस चुका दिया।
कर्मचारी अधिकारियों ने जीएसएस की बिना सहमति के इन्हीं एफडी पर फर्जी तरीके से दोबारा लोन उठा लिया और ब्याज नहीं चुकाया। जीएसएस के 20 से ज्यादा खातों पर करीब पांच करोड़ रुपए उठाए गए।
इनमें माला काली, ठीकरिया, बावड़ी, तपीपल्या, सरगोठ, महरोली, पटवारी का बास, मलिकपुर आदि जीएसएस की एफडी शामिल हैं।
खाताधारकों का पैसा सुरक्षित
एमडी शर्मा बैंक एमडी मनोहरलाल शर्मा का कहना है कि केंद्रीय सहकारी बैंक की आर्थिक स्थिति मजबूत है। किसी भी खातेधारक को कोई नुकसान नहीं होगा। फर्जीवाड़ा करने वाले कर्मचारी-अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस साल बैंक नौ करोड़ रुपए लाभ में है।
काउंटर स्लिप से जुटाई घोटाले की जानकारी
जांच टीम नेएफडी के लिए जमा होने वाले पैसों का काउंटर स्लिप से मिलान किया है। पैसा जमा करवाने के दौरान स्लिप का एक हिस्सा खाताधारक अपने पास रखता है तो दूसरा बैंक केरिकॉर्ड में रखा जाता है। फर्जीवाड़े में शामिल रकम का हिसाब लगाया गया है।
रींगस- केंद्रीय सहकारी बैंक रींगस ब्रांच के अधिकारी व कर्मचारियों ने मिलीभगत कर तीन साल में 8.53 करोड़ रुपए का फर्जीवाड़ा कर दिया। बैंक ने 3 लोगों को निलंबित कर दिया है। सात के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाई गई है।
डीएसपी मनस्वी चौधरी ने बताया कि बैंक के सीनियर मैनेजर मनोज बांगड़वा ने रिपोर्ट दी कि एक खाताधारक की शिकायत के बाद जांच करवाई गई। पता चला कि वर्तमान प्रबंधक यशवंत पारीक, लिपिक सोहनलाल बिराणिया, सहायक कर्मचारी रविप्रकाश मीणा, तत्कालीन लिपिक विकास मीणा, रिटायर्डशाखा प्रबंधक प्रकाश जैन, प्रमिला देवी व विनोद की मिलीभगत से 8.53 करोड़ रुपए घोटाला हुआ है।
इन्होंने ग्राम सेवा सहकारी समितियों व अन्य खाताधारकों की एफडी पर जमा होने वाले पैसे में फर्जीवाड़ा किया। यह पैसा बैंक मैनेजर यशवंत ने पत्नी प्रमिला व परिचित विनोद के खातों में जमा कराया। कुछ पैसा नकद भी उठाया।
15 ऑडिट रिपोर्ट में नहीं पकड़ा फर्जीवाड़ा, एफडी का भुगतान नहीं करने की शिकायत के बाद खुलासा
तीन साल सेएफडी केनाम पर फर्जीवाड़े का खेल चल रहा था। 15 बार ऑडिट रिपोर्टमेंफर्जीवाड़ा नहीं पकड़ा जा सका। मामले का खुलासा भी एक व्यापारी की एफडी पर बैंक द्वारा भुगतान नहीं करने पर हुआ।
व्यापारी नेबैंक उच्चाधिकारियों को शिकायत दी कि उन्हेंएफडी का पैसा नहीं दिया जा रहा है। सीकर मुख्यालय सेजांच टीम भेजी गई। टीम आनेकी सूचना केसाथ ही रींगस शाखा प्रबंधक यशवंत कुमार ने बैंक मेंआना छोड़ दिया। टीम ने संपर्क किया तो उसनेकोई सहयोग नहीं किया।
इससे टीम का शक गहरा गया। टीम ने बैंक के सभी एफडी खातों की जांच शुरू कर दी। एक महीने की जांच में दो तरह से फर्जीवाड़ा किया जाना सामने आया।
पहला जीएसएस द्वारा होने वाली एफडी पर व दूसरा व्यक्तिगत लोगों द्वारा करवाई जाने वाली एफडी पर हुआ। सूत्रों की मानें तो बैंक मेंहुए फर्जीवाड़े की मूल रकम करीब 6.5 करोड़ रुपए है। जबकि बाकी पैसा ब्याज से जुड़ा है।
पूरा खेल दो कड़ियाें में समझें
पहली कड़ी : बैंक मेंएफडी करवाने वाले लोगों को मैन्युअल एफडी के कागजात तैयार कर दिए जाते रहे। इस पैसेको बैंक के सिस्टम में दर्ज नहीं किया गया। यानी पैसा सीधे बैंक कर्मचारी अधिकारी जेब में डालते रहे। करीब 35 खाताधारकों से मिले डेढ़ करोड़ रुपए रजिस्टर मेंदर्ज नहीं किए, लेकिन इनकी काउंटर स्लिप बैंक रिकॉर्ड में है।
कर्मचारी अधिकारियों ने जीएसएस की बिना सहमति के इन्हीं एफडी पर फर्जी तरीके से दोबारा लोन उठा लिया और ब्याज नहीं चुकाया। जीएसएस के 20 से ज्यादा खातों पर करीब पांच करोड़ रुपए उठाए गए।
इनमें माला काली, ठीकरिया, बावड़ी, तपीपल्या, सरगोठ, महरोली, पटवारी का बास, मलिकपुर आदि जीएसएस की एफडी शामिल हैं।
खाताधारकों का पैसा सुरक्षित
एमडी शर्मा बैंक एमडी मनोहरलाल शर्मा का कहना है कि केंद्रीय सहकारी बैंक की आर्थिक स्थिति मजबूत है। किसी भी खातेधारक को कोई नुकसान नहीं होगा। फर्जीवाड़ा करने वाले कर्मचारी-अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस साल बैंक नौ करोड़ रुपए लाभ में है।
काउंटर स्लिप से जुटाई घोटाले की जानकारी
जांच टीम नेएफडी के लिए जमा होने वाले पैसों का काउंटर स्लिप से मिलान किया है। पैसा जमा करवाने के दौरान स्लिप का एक हिस्सा खाताधारक अपने पास रखता है तो दूसरा बैंक केरिकॉर्ड में रखा जाता है। फर्जीवाड़े में शामिल रकम का हिसाब लगाया गया है।