सीकर- कॉमनवेल्थ में शूटिंग में कांस्य जीतने वाले निमड़ी गांव के आेमप्रकाश मिठारवाल का कहना हैकि यह पदक मैं देश के लोगों को समर्पित करता हूं। सीकर ने मुझे बहुत कुछ दिया है। अब मेरा पूरा फोकस 11 अप्रैल को होने वाले 50 मीटर एयर पिस्टल मैच पर है। हर हाल में गोल्ड जीतना है।
इसके लिए रोज छह घंटे प्रैक्टिस कर रहे हैं। ओमप्रकाश ने बताया कि फाइनल 8 में शॉट काफी अच्छे चल रहे थे, लेकिन एक अंतिम खराब शॉट ने मुझे पीछे कर दिया। 70 देशों के क्वालीफाई राउंड में मैं 584 पॉइंट के साथ एक नंबर पर था। लगातार अच्छा खेलने के बाद फाइनल में पीछे चला जाना, बेहद मायूसी वाला होता है,
लेकिन इसे मैंने चुनौती के तौर पर लिया है। 11 अप्रैल के मुकाबले में साेना जीतूंगा। पिता सज्जनसिंह किसान हैं। कांस्य जीतते ही सबसे पहले उन्हें फोन किया। उन्होंने कहा-कोई बात नहीं बेटा। अगली बार गोल्ड जरूर जीतेगा
4 साल पहलेशूटिंग गेम्स की एबीसीडी तक नहीं जानते थे
सीकर मेंसाल 2014 मेंसेना भर्ती हुई थी। इसमें ओमप्रकाश का सलेक्शन हुआ। सेना मेंहथियार चलाने की ट्रेनिंग में जल्द अच्छा करनेलगे थे। उस वक्त तक शूटिंग को लेकर ज्यादा जानकारी नहीं थी। इसकेबाद शूटिंग केबारेमें जानकारी जुटाई। सेना केअफसरों को बताया। धीरे-धीरे प्रैक्टिस शुरू की। अब तक का सफर बेहद अच्छा रहा है। चार इंटरनेशनल खेल चुकेहैं। इनमेंदो गोल्ड, एक कांस्य हासिल किया है। जबकि तीन नेशनल खेल में12 मैडल मिलेहैं।
ओमप्रकाश के कॉमनवेल्थ गेम्स में कांस्य पदक हासिल करने की पूरी कहानी
कॉमनवेल्थ में 50 मिनट के राउंड में60 गोलियां चलानी होती है। इस राउंड मेंओमप्रकाश को 584 पाइंट मिले थे। जबकि प्रतिद्द्वं वी जीतूराय के570 पाइंट थे। 70 देशों के खिलाड़ियों में ओमप्रकाश पहले नंबर पर थे।
भारत से जीतूराय व ओमप्रकाश फाइनल राउंड तक पहुंचे थे।इनमें अंतिम स्थान पर रहनेवाला बाहर हो जाता है। फिर एक और राउंड होता है। इसमें भी अंतिम स्थान वालेको बाहर कर दिया जाता है। फिर चार, तीन-तीन और दो-दो गोलियां का राउंड होता है।
फाइनल में ओमप्रकाश भारत के ही जीतू और आस्ट्रेलिया के केरीबेल से पिछड़ गए। मिठारवाल को 214.3 पॉइंट मिले। जीतूराय को 235.1 और केरीबेल को 233.5 अंक मिले।
लेकिन इसे मैंने चुनौती के तौर पर लिया है। 11 अप्रैल के मुकाबले में साेना जीतूंगा। पिता सज्जनसिंह किसान हैं। कांस्य जीतते ही सबसे पहले उन्हें फोन किया। उन्होंने कहा-कोई बात नहीं बेटा। अगली बार गोल्ड जरूर जीतेगा
4 साल पहलेशूटिंग गेम्स की एबीसीडी तक नहीं जानते थे
सीकर मेंसाल 2014 मेंसेना भर्ती हुई थी। इसमें ओमप्रकाश का सलेक्शन हुआ। सेना मेंहथियार चलाने की ट्रेनिंग में जल्द अच्छा करनेलगे थे। उस वक्त तक शूटिंग को लेकर ज्यादा जानकारी नहीं थी। इसकेबाद शूटिंग केबारेमें जानकारी जुटाई। सेना केअफसरों को बताया। धीरे-धीरे प्रैक्टिस शुरू की। अब तक का सफर बेहद अच्छा रहा है। चार इंटरनेशनल खेल चुकेहैं। इनमेंदो गोल्ड, एक कांस्य हासिल किया है। जबकि तीन नेशनल खेल में12 मैडल मिलेहैं।
ओमप्रकाश के कॉमनवेल्थ गेम्स में कांस्य पदक हासिल करने की पूरी कहानी
कॉमनवेल्थ में 50 मिनट के राउंड में60 गोलियां चलानी होती है। इस राउंड मेंओमप्रकाश को 584 पाइंट मिले थे। जबकि प्रतिद्द्वं वी जीतूराय के570 पाइंट थे। 70 देशों के खिलाड़ियों में ओमप्रकाश पहले नंबर पर थे।
भारत से जीतूराय व ओमप्रकाश फाइनल राउंड तक पहुंचे थे।इनमें अंतिम स्थान पर रहनेवाला बाहर हो जाता है। फिर एक और राउंड होता है। इसमें भी अंतिम स्थान वालेको बाहर कर दिया जाता है। फिर चार, तीन-तीन और दो-दो गोलियां का राउंड होता है।
फाइनल में ओमप्रकाश भारत के ही जीतू और आस्ट्रेलिया के केरीबेल से पिछड़ गए। मिठारवाल को 214.3 पॉइंट मिले। जीतूराय को 235.1 और केरीबेल को 233.5 अंक मिले।