आउटडोर में इलाज कराने के लिए पांच-छह घंटे इंतजार करना पड़ता है लोगों को
नीमकाथाना- कपिल अस्पताल के आउटडोर मरीजों को पांच-छह घंटे बाद इलाज मिलता है। यहां मरीज दिनभर भटकते हैं। इसके बावजूद अस्पताल प्रशासन आंख मूंदकर बैठा है। पंजीकरण पर्ची लेने से लेकर डॉक्टर को दिखाने एवं जांच करवाने तक मरीजों को कई घंटे कतार में लगना पड़ता है।
अस्पताल के बिगड़े हालात से लोगों में रोष है। यहां पर्याप्त डीडीसी भी नहीं है। निशुल्क दवा के लिए भी मरीजों को मशक्कत करनी पड़ती है। मामले में लोगों का कहना है कि अस्पताल का आउटडोर 1200 से ज्यादा का रहता है, लेकिन निशुल्क दवा काउंटर तीन ही खुलते हैं।
अस्पताल प्रशासन को एक और डीडीसी खोलनी चाहिए। साथ ही आउटडोर मरीजों की जांच दो चरणों में होनी चाहिए। इससे मरीज अस्पताल समय में डॉक्टर को जांच दिखाकर दवा ले सके। मामले में जिम्मेदार अधिकारियों को कहना है कि स्टाफ की कमी से परेशानी आ रही है।
सोनोग्राफी भी केवल 50 मरीजों की करते हैं, दूसरे दिन आती है बारी
कपिल अस्पताल में निशुल्क सोनोग्राफी जांच के लिएे मरीजों की लंबी कतार लगती है। महिलाएं सुबह ही सोनोग्राफी रूम के सामने बैठ जाती है यहां 50-55 से ज्यादा सोनोग्राफी जांच नहीं होती। महिला मरीजों को दूसरे दिन बुलाते हैं, जबकि कई बार अस्पताल समय से पहले ही जांच बंद कर देते है। मरीज बाहर से 700 रुपए देकर सोनोग्राफी करवाते है। एक्सरे जांच रिपोर्ट भी दोपहर बाद दी जाती है।
लैब की जांच समय पर नहीं मिलती, डॉक्टरों को फीस देनी पड़ती है
कपिल अस्पताल के आउटडोर मरीजों को रक्त सैंपल देने के कई घंटे बाद जांच रिपोर्ट दी जाती है। अस्पताल बंद हो जाता है। ऐसे में मरीज दवा लिखवाने शाम की पारी का इंतजार करते हैं। कई मरीज तो निजी लैब पर जांच करवाते हैं। जांच रिपोर्ट दिखाने के लिए फीस चुकानी पड़ती है।
साभार- दैनिक भास्कर
नीमकाथाना- कपिल अस्पताल के आउटडोर मरीजों को पांच-छह घंटे बाद इलाज मिलता है। यहां मरीज दिनभर भटकते हैं। इसके बावजूद अस्पताल प्रशासन आंख मूंदकर बैठा है। पंजीकरण पर्ची लेने से लेकर डॉक्टर को दिखाने एवं जांच करवाने तक मरीजों को कई घंटे कतार में लगना पड़ता है।
अस्पताल के बिगड़े हालात से लोगों में रोष है। यहां पर्याप्त डीडीसी भी नहीं है। निशुल्क दवा के लिए भी मरीजों को मशक्कत करनी पड़ती है। मामले में लोगों का कहना है कि अस्पताल का आउटडोर 1200 से ज्यादा का रहता है, लेकिन निशुल्क दवा काउंटर तीन ही खुलते हैं।
अस्पताल प्रशासन को एक और डीडीसी खोलनी चाहिए। साथ ही आउटडोर मरीजों की जांच दो चरणों में होनी चाहिए। इससे मरीज अस्पताल समय में डॉक्टर को जांच दिखाकर दवा ले सके। मामले में जिम्मेदार अधिकारियों को कहना है कि स्टाफ की कमी से परेशानी आ रही है।
सोनोग्राफी भी केवल 50 मरीजों की करते हैं, दूसरे दिन आती है बारी
कपिल अस्पताल में निशुल्क सोनोग्राफी जांच के लिएे मरीजों की लंबी कतार लगती है। महिलाएं सुबह ही सोनोग्राफी रूम के सामने बैठ जाती है यहां 50-55 से ज्यादा सोनोग्राफी जांच नहीं होती। महिला मरीजों को दूसरे दिन बुलाते हैं, जबकि कई बार अस्पताल समय से पहले ही जांच बंद कर देते है। मरीज बाहर से 700 रुपए देकर सोनोग्राफी करवाते है। एक्सरे जांच रिपोर्ट भी दोपहर बाद दी जाती है।
लैब की जांच समय पर नहीं मिलती, डॉक्टरों को फीस देनी पड़ती है
कपिल अस्पताल के आउटडोर मरीजों को रक्त सैंपल देने के कई घंटे बाद जांच रिपोर्ट दी जाती है। अस्पताल बंद हो जाता है। ऐसे में मरीज दवा लिखवाने शाम की पारी का इंतजार करते हैं। कई मरीज तो निजी लैब पर जांच करवाते हैं। जांच रिपोर्ट दिखाने के लिए फीस चुकानी पड़ती है।
साभार- दैनिक भास्कर