कपिल अस्पताल में इलाज के लिए आई प्रसूताओं काे नहीं मिला इलाज तो दो घंटे बैठी रही...
कपिल अस्पताल के हालात इस कदर खराब हैं कि मरीजों को बाहर से दवा लानी पड़ रही है। इसमें दोष है सिस्टम का क्यूंकि डॉक्टर मरीजों को बाहरी दवा लिख रहे हैं। मरीज बेचारे निशुल्क दवा के लिए यहां डीडीसी पर चक्कर काटते रहते हैं।
एक रोगी के परिजनों ने मंगलवार को इस मामले पर जयपुर स्थित आरएमएससी विभाग में शिकायत दी है।परिजनों ने बताया कि मोहित (10 वर्षीय) को वे इलाज के लिए कपिल अस्पताल लेकर आए।
डॉक्टर ने ओपीडी में जांच की और पर्ची में दवा लिख दी। जब वे बाहर डीडीसी पर दवा लेने गए तो उनको केवल एक ही दवा मिली। फार्मासिस्ट ने शेष दवा बाहरी मेडिकल स्टोर से खरीदने को कहा।
इस बात पर रोगी के साथ आए परिवारजन लोग गुस्सा हो गए। उन्होंने बाहर से दवा लेने से साफ़ मना कर दिया। बातो बातो में वे फार्मासिस्ट से भी उलझ पड़े जिससे मामले को जानने के लिए वहाँ भीड़ लग गई।
जयपुर विभाग के निशुल्क दवा संबंधित शिकायत केंद्र इस मामले की शिकायत दी गई। शिकायत पर फ़ौरन एक्शन लेते हुए उच्चाधिकारियों ने सीकर व कपिल अस्पताल के स्टोर इंचार्ज से मामले में जानकारी ली।
निशुल्क दवा स्टोर इंचार्ज ने बताया कि सभी दवाएं स्टॉक में केवल पर्याप्त मात्रा में ही हैं। तो वहीं दूसरी और मंगलवार को इलाज के लिए आई प्रसूताएं काफी परेशान हुई। वह इलाज के लिए घंटों तक ओपीडी के बाहर बैठी रही, लेकिन एक ही डॉक्टर होने से उन्हें इलाज नहीं हो सका।
चार में से दो दवा केंद्र रहे बंद , मरीजों को करना पड़ा परेशानी का सामना
कपिल अस्पताल में कुल चार दवा केंद्र हैं, लेकिन मंगलवार को दो बंद रहे । इससे मरीजों को समस्या से दो-चार होना पड़ा। जानकारी के अनुसार एक कार्मिक छुट्टी पर चला गया और एक डीडीसी के फार्मासिस्ट की ड्यूटी बीपीएल काउंटर पर लगा दी।
केवल दो डीडीसी से मरीजों को दवा उपलब्ध हो पाई । इस अव्यवस्था में यहां लंबी कतारें लगी रही। वैसे नियम के मुताबिक 150 मरीजों पर एक दवा केंद्र जरूरी है। इस तरह से में अस्पताल को दो और डीडीसी खोलने की जरूरत है, लेकिन अस्पताल प्रशासन इसको लेकर गंभीर नहीं है।
दोपहर बाद प्रसूता को बिना इलाज के ही लौटना पड़ा। कपिल अस्पताल का ओपीडी प्रतिदिन करीब 1200 मरीजाें का रहता है। यहां हरियाणा तक लोग इलाज के लिए आते हैं।
कपिल अस्पताल के हालात इस कदर खराब हैं कि मरीजों को बाहर से दवा लानी पड़ रही है। इसमें दोष है सिस्टम का क्यूंकि डॉक्टर मरीजों को बाहरी दवा लिख रहे हैं। मरीज बेचारे निशुल्क दवा के लिए यहां डीडीसी पर चक्कर काटते रहते हैं।
एक रोगी के परिजनों ने मंगलवार को इस मामले पर जयपुर स्थित आरएमएससी विभाग में शिकायत दी है।परिजनों ने बताया कि मोहित (10 वर्षीय) को वे इलाज के लिए कपिल अस्पताल लेकर आए।
डॉक्टर ने ओपीडी में जांच की और पर्ची में दवा लिख दी। जब वे बाहर डीडीसी पर दवा लेने गए तो उनको केवल एक ही दवा मिली। फार्मासिस्ट ने शेष दवा बाहरी मेडिकल स्टोर से खरीदने को कहा।
इस बात पर रोगी के साथ आए परिवारजन लोग गुस्सा हो गए। उन्होंने बाहर से दवा लेने से साफ़ मना कर दिया। बातो बातो में वे फार्मासिस्ट से भी उलझ पड़े जिससे मामले को जानने के लिए वहाँ भीड़ लग गई।
जयपुर विभाग के निशुल्क दवा संबंधित शिकायत केंद्र इस मामले की शिकायत दी गई। शिकायत पर फ़ौरन एक्शन लेते हुए उच्चाधिकारियों ने सीकर व कपिल अस्पताल के स्टोर इंचार्ज से मामले में जानकारी ली।
निशुल्क दवा स्टोर इंचार्ज ने बताया कि सभी दवाएं स्टॉक में केवल पर्याप्त मात्रा में ही हैं। तो वहीं दूसरी और मंगलवार को इलाज के लिए आई प्रसूताएं काफी परेशान हुई। वह इलाज के लिए घंटों तक ओपीडी के बाहर बैठी रही, लेकिन एक ही डॉक्टर होने से उन्हें इलाज नहीं हो सका।
चार में से दो दवा केंद्र रहे बंद , मरीजों को करना पड़ा परेशानी का सामना
कपिल अस्पताल में कुल चार दवा केंद्र हैं, लेकिन मंगलवार को दो बंद रहे । इससे मरीजों को समस्या से दो-चार होना पड़ा। जानकारी के अनुसार एक कार्मिक छुट्टी पर चला गया और एक डीडीसी के फार्मासिस्ट की ड्यूटी बीपीएल काउंटर पर लगा दी।
केवल दो डीडीसी से मरीजों को दवा उपलब्ध हो पाई । इस अव्यवस्था में यहां लंबी कतारें लगी रही। वैसे नियम के मुताबिक 150 मरीजों पर एक दवा केंद्र जरूरी है। इस तरह से में अस्पताल को दो और डीडीसी खोलने की जरूरत है, लेकिन अस्पताल प्रशासन इसको लेकर गंभीर नहीं है।
दोपहर बाद प्रसूता को बिना इलाज के ही लौटना पड़ा। कपिल अस्पताल का ओपीडी प्रतिदिन करीब 1200 मरीजाें का रहता है। यहां हरियाणा तक लोग इलाज के लिए आते हैं।