नीमकाथाना के कपिल अस्पताल में स्टाफ की कमी से दो वार्ड बंद कर दिए गए
नीमकाथाना- जिले के दूसरेबड़े कपिल चिकित्सालय में स्टाफ की कमी बताकर महिला व बच्चा वार्ड को बंद कर दिया गया। यहां महिला-पुरुषों को एक ही वार्ड में भर्ती रखते हैं। इससे महिला मरीज शर्मसार होती हैं। अन्य मरीजों को असुविधा हो रही है। भर्ती मरीजों को टेबल पर लिटाकर इलाज किया जा रहा है। टेबल पर चद्दर भी नहीं बिछाते।
दरअसल अस्पताल के दो वार्डों में महिलाओं के लिए 35 बेड थे। वहीं बच्चों के वार्ड में 15 बेड रखेथे, लेकिन दोनों वार्ड बंद कर दिए गए। इससेबच्चों को तो यहां भर्ती ही नहीं करते। इनडोर महिला मरीजों की छत वाले वार्ड में भीड़ रहती है। मामले में कई बार लोगों ने अस्पताल प्रशासन से वार्ड फिर से शुरू करने को कहा, लेकिन मामले में अनदेखी की जा रही है। शिशु रोग विशेषज्ञों ने भी कई बार पीएमओ को बच्चा वार्ड चालू करने को कहा है, लेकिन स्टाफ की कमी आड़े आती है।
नर्स द्वितीय के सात पद समाप्त
100 बेड के चिकित्सालय में 2016 में नर्स द्वितीय के 34 पद स्वीकृत थे, लेकिन विभाग ने सात पद समाप्त कर दिए। यहां के दो नर्सिंगकर्मी लंबे समय से डेपुटेशन पर चल रहे हैं। बहादुरसिंह गुहाला सीएचसी एवं शीशराम गुर्जर पीएचसी हसामपुर में कार्यरत हं। नर्स के रिक्त पदों के चलते अस्पताल की व्यवस्था बिगड़ी हुई है। मंत्रालयिक कर्मचारियों के भी दो पद समाप्त कर दिए गए हैं। पहले यहां तीन कार्मिक थे, लेकिन अब केवल एक ही कार्यरत है।
बच्चों के लिए अस्पताल में 15 बेड स्वीकृत हैं
कपिल अस्पताल में अलग सेबच्चा वार्ड संचालित था। यहां 15 बेड स्वीकृत थे, लेकिन वार्ड बंद कर दिए गए। इससे बच्चों काे भर्ती नहीं किया जाता। उन्हें सीकर व जयपुर रैफर करते हंै। लोगों की माने तो गंभीर बच्चों को तो प्राथमिक उपचार के बाद तुरंत ही रैफर करते हैं। मामले में शिशु रोग विशेषज्ञ आरपी यादव का कहना है कि बच्चा वार्ड को जल्द चालू करना चाहिए।
ऑर्थो व ईएनटी चिकित्सक भी नहीं हैं अस्पताल में
कपिल अस्पताल में हड्डी रोग व ईएनटी के विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं हैं। यहां से हड्डी रोग विशेषज्ञ को डेपुटेशन पर उदयपुरवाटी सीएचसी पर लगा रखा है। यहां के मरीजों को जयपुर रैफर करते हैं, जबकि कपिल अस्पताल बड़ा है। हरियाणा तक के लोग यहां इलाज कराने के लिए आते हैं। ईएनटी डॉक्टर भी नहीं है।
3.74 लाख आउटडोर रहा
कपिल अस्पताल में हरियाणा तक के मरीज इलाज करवाने आते हैं। बीते वर्ष यहां का आउटडोर 3.74 लाख मरीजों का रहा है। जनवरी से अप्रैल, 2018 तक का आउटडोर 1.40 लाख रहा। जिलास्तरीय अस्पतालों के बराबर आउटडोर रहने पर भी मरीजों को सुविधाएं नहीं मिल रही हंै।
नीमकाथाना- जिले के दूसरेबड़े कपिल चिकित्सालय में स्टाफ की कमी बताकर महिला व बच्चा वार्ड को बंद कर दिया गया। यहां महिला-पुरुषों को एक ही वार्ड में भर्ती रखते हैं। इससे महिला मरीज शर्मसार होती हैं। अन्य मरीजों को असुविधा हो रही है। भर्ती मरीजों को टेबल पर लिटाकर इलाज किया जा रहा है। टेबल पर चद्दर भी नहीं बिछाते।
दरअसल अस्पताल के दो वार्डों में महिलाओं के लिए 35 बेड थे। वहीं बच्चों के वार्ड में 15 बेड रखेथे, लेकिन दोनों वार्ड बंद कर दिए गए। इससेबच्चों को तो यहां भर्ती ही नहीं करते। इनडोर महिला मरीजों की छत वाले वार्ड में भीड़ रहती है। मामले में कई बार लोगों ने अस्पताल प्रशासन से वार्ड फिर से शुरू करने को कहा, लेकिन मामले में अनदेखी की जा रही है। शिशु रोग विशेषज्ञों ने भी कई बार पीएमओ को बच्चा वार्ड चालू करने को कहा है, लेकिन स्टाफ की कमी आड़े आती है।
नर्स द्वितीय के सात पद समाप्त
100 बेड के चिकित्सालय में 2016 में नर्स द्वितीय के 34 पद स्वीकृत थे, लेकिन विभाग ने सात पद समाप्त कर दिए। यहां के दो नर्सिंगकर्मी लंबे समय से डेपुटेशन पर चल रहे हैं। बहादुरसिंह गुहाला सीएचसी एवं शीशराम गुर्जर पीएचसी हसामपुर में कार्यरत हं। नर्स के रिक्त पदों के चलते अस्पताल की व्यवस्था बिगड़ी हुई है। मंत्रालयिक कर्मचारियों के भी दो पद समाप्त कर दिए गए हैं। पहले यहां तीन कार्मिक थे, लेकिन अब केवल एक ही कार्यरत है।
बच्चों के लिए अस्पताल में 15 बेड स्वीकृत हैं
कपिल अस्पताल में अलग सेबच्चा वार्ड संचालित था। यहां 15 बेड स्वीकृत थे, लेकिन वार्ड बंद कर दिए गए। इससे बच्चों काे भर्ती नहीं किया जाता। उन्हें सीकर व जयपुर रैफर करते हंै। लोगों की माने तो गंभीर बच्चों को तो प्राथमिक उपचार के बाद तुरंत ही रैफर करते हैं। मामले में शिशु रोग विशेषज्ञ आरपी यादव का कहना है कि बच्चा वार्ड को जल्द चालू करना चाहिए।
ऑर्थो व ईएनटी चिकित्सक भी नहीं हैं अस्पताल में
कपिल अस्पताल में हड्डी रोग व ईएनटी के विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं हैं। यहां से हड्डी रोग विशेषज्ञ को डेपुटेशन पर उदयपुरवाटी सीएचसी पर लगा रखा है। यहां के मरीजों को जयपुर रैफर करते हैं, जबकि कपिल अस्पताल बड़ा है। हरियाणा तक के लोग यहां इलाज कराने के लिए आते हैं। ईएनटी डॉक्टर भी नहीं है।
3.74 लाख आउटडोर रहा
कपिल अस्पताल में हरियाणा तक के मरीज इलाज करवाने आते हैं। बीते वर्ष यहां का आउटडोर 3.74 लाख मरीजों का रहा है। जनवरी से अप्रैल, 2018 तक का आउटडोर 1.40 लाख रहा। जिलास्तरीय अस्पतालों के बराबर आउटडोर रहने पर भी मरीजों को सुविधाएं नहीं मिल रही हंै।