ऊदोजी के तँवर (Udoji ke Tanwar)
ऊदोजी के तँवर - पाटन के राणा कंवल जी के पुत्र राव ऊदोजी के वंशज " ऊदोजी के तंवर " कहलाते हैं। राणा कंवल जी के बडी राणी से ऊदोजी का जन्म हुआ। ऐसा माना जाता है कि ऊदोजी की माता का देहांत हो जाने पर उनकी सौतेली माता ने अपने पुत्र को राजगद्दी पर बिठाने के लिए षडयंत्र करना प्रारंभ कर दिया था। उसने ऊदोजी को जहर देने का विफल प्रयास किया। जब ऊदोजी को इसका पता चला तो उन्होंने अपने सौतेले भाई को पाटन का राज्य देकर अन्यत्र चले गए। ओर ऊदोजी ने नीमकाथाना के आस-पास के कई गांवों पर अपना अधिकार कर लिया और वही से अपना राज्य करना प्रारंभ कर दिया।
उदोजी के तंवरों कि 2 मुख्य शाखाएं
लाखावत तंवर
सांगावत तंवर
ऊदोजी के तँवरो के ठिकाने
गांवडी-पाटन के राणा कंवलजी के बड़े पुत्र राव उदोजी ने गांवड़ी की स्थापना संवत् 1484(1427ई.) में की थी।
भागेगा
भगोट
बुचारा
प्रथमपुरी
मोही
गणेसर
मंडोली-गांवडी ठाकुर लाखाजी ने जाटों से मंडोली जीता और इन्दरपालजी को मांडोली दिया।
मांवडा-(12 गांव की जागीर) गांवडी से निकलकर दो भाई श्यामदासजी और सुन्दरदासजी ने मावंडा कलां बसाया।
नीमकाथाना
महावा
हीरावली
बलराम की ढाणी
राणासर
कोटडा
गोविन्दपुरा
भूदोली-गांवडी ठाकुर डूंगरसिंह के पुत्र महाराज उदयसिंहजी ने भूदोली गांव संवत् 1627(1570ई.) में बसाया।
चीपलाटा-गांवडी ठाकुर भीवराजजी के पुत्र भगवानदास जी ने चीपलाटा बसाया।
दांतिल-मावंडा से सुन्दरदासजी के पुत्र ने दांतिल बसाया।
परसराम जी के तँवर
परसराम जी के तँवर- पाटन राव बीकोजी के पुत्र परसरामजी हुए, जिनके वंशज "परसराम जी के तंवर" कहलाते हैं।
परसराम जी के तँवरो के ठिकाने
हसामपुर
सुदरपुरा
ढाढा
पवाना
कल्याणपुरा कलां
पुरूषोत्तमपुरा
नागल चौधरी
सुरा की ढाणी
आसलजी के तँवर (Asalji ke Tanwar)
आसलजी के तँवर- पाटन के राणा कंवल जी के पुत्र राणा आसलजी के वंशज आसलजी के तंवर कहलाते हैं। पाटन के राव भी आसलजी(आसोजी) की खाप के हैं।
आसलजी की खांप के बडे ठिकाने-
पाटन-पाटन राव
टोडा- 12 गाँव के ठाकुर
जीलो- 12 के ठाकुर
इमलोहा- 7 गाँव के ठाकुर
डोकन
रायपुर-पाटन
किशोरपुरा-(3 गांव और 13 ढाणी के ठाकुर), राव फतेहसिंह पाटन के दुसरे पुत्र ठाकुर पृथ्वीसिंह ने किशोरपुरा सन् 1688ई.(वि.स.1745) में बसाया, इनके चार पुत्र हुए-(1)ठा.बाघसिंह-पहला पाना (2)ठा.खडगसिंह-दुसरा पाना (3)ठा.दौलतसिंह और (4)ठा.करमसेन
सिहोड-पाटन राव बक्शीरामजी के पुत्र कंवर रणजीतसिंह तंवर को सिहोड की जांगीर मिली, इन्ही के वंशज राव उदयसिंह जी पाटन राव मुकुंद सिंह जी के गोद गये थे।
कंवर का नागल
डाबला
दरीबा
किशनपुरा
कचरेडा-राव फतेहसिंह पाटन के तीसरे पुत्र ठा.स्वरुपसिंह के वंशजो को कचरेडा मिला, इनके 2 गांव हैं।
कोला की नांगल
आसोजी की खांप के अन्य ठिकाने -
मण्डा, हिम्मत सिंह का दरीबा, छारावली, जयराम सिंह का टोडा, मण्डाका, रावतानी, जाटाला, बरियाली, दुबडा, रामचन्द्र सिंह का टोडा, उपलावाद, बिन्दाला, चान्दोली, तेलीवाला, रामल्यास, छेतराम का पलासवाला, टोडा साहबसिह का, दीपावास, बूजा, लुहारावास, दयाल की नागल, बिहारीदास की ढाणी, नाथा की नागल, बिहारीपुर, झालरा, श्यामपुरा, राम सिंह की ढाणी और चिमन सिंह की ढाणी, रायलो पगनवास, जाटवास-दोलतपुरा, नयाराणा
कैलोर जी के तँवर (बाईसी के तँवर)
कैलोरजी के तंवर (किलोर जी के तंवर)-पाटन के राव कंवलजी के तीसरे पुत्र किलोर जी हुए, जिनके वंशजो को किलोर जी के तंवर कहा गया। किलोर जी के पुत्रो के 22 गाँव थे जिसके कारण इन्हें बाईसी के तंवर भी कहा जाता है।
ये 22 गाँव इस प्रकार है।
1 कुजोता
2 महरपुर
3 जिणगोर
4 भालोजी
5 पाथरेडी
6 भैसलाना
7 पवाला
8 राजपूताना
9 बेरी
10 केशवाना
11 चेचिका
12 खडब
13 तिहाड
14 बनार
15 पंचाणी
16 खेडा
17 सरूण्ड
18 चान्दवास
19 भोजवास
20 किरपुरा
21 फतहपुरा
22 जगदीशपुरा
23 नारहेडा
24 बनेठी
25 महरीन
भालोजी के तंवर मुसलमान बन गए तथा फतहपुरा और जगदीशपुरा के तंवर अहीर बन गये।
नारहेडा-राव कंवल जी के पुत्र राव किलोड जी के पुत्र प्रभाऊ के पुत्र उदयराम के पुत्र सोढ के प्रपोत्र "नाहर सिंह तंवर" ने नारहेडा बसाया।
नाहर सिंह तंवर के वंशज बिशन सिंह तंवर ने नारहेडा में वि. स. 1775 में गूगामेडी बनवाई तथा गोपाल की पत्नी उमदा कंवर ने वि.स. 1594 मे शिवालय ओर धर्मशाला बनवाई।
नाहर सिंह तंवर के चौथे पुत्र धन सिंह जोगी बन गए ओर वि.स.1608 में समाधी ली।
बनेठी-राव कंवल जी के पुत्र राव किलोड जी के पुत्र प्रभाऊ के पुत्र उदयराम के पुत्र नागराज के वंशज "पृथु सिंह तंवर" ने वि.स. 1535 में बनेठी बसाया। पिथु सिंह तंवर ने यह गांव गुर्जरों से छीना था।
इनके वंशज दुरसाराम तंवर की छतरी वि.स. 1847 में बनेठी में बनवाई गयी। यही पर सालिम सिंह तंवर की छतरी भी वि.स. 1939 में बनवायी गयी।
बनेठी में मशहूर डाकू बख्तावर सिंह हुए जिनका स्मारक भी बना हुआ है। डाकू बख्तावर सिंह के सम्बन्ध में अनेक कवियों ने रचनाएँ की है कि वो गरीब विधवाओं ओर अनाथो के हमदर्द, सहायक ओर नाथ थे।
कर्णोजी के तँवर (चौबीसी के तँवर)
कर्णोजी के तँवर- पाटन के राजा पीपलराजजी के तीसरे पुत्र पालन सी(पजान जी) को जागीर में पानेडा मिला। पजानजी के वंशज कर्णोजी तंवर हुए, जो पानेडा से बडबार चले गये जिनके वंशज "कर्णोजी के तंवर" कहलाते हैं। इनके 24 गाँव थे, जिसके कारण इन्हें "चौबीसी के तंवर" भी कहते हैं।
ये 24 गाँव इस प्रकार थे।
1 बडबार
2 बुहाना
3 शिमला
4 नरान्त
5 आसलवास
6 धुलवा
7 रायली
8 ढाणी सम्मपतसिंह
9 गादली
10 नुन्हिया
11 निम्बास
12 बेरला
13 कासणी
14 लौटिया
15 फतेहपुर
16 काको चौराडी
17 अगवाणा
18 बालाजी
19 बुढनपुरा
20 ढोढवाल
21 लाम्बी
22 अडीचा
23 काजला
24 धिगडिया
इसमें शिमला के तंवर अहीर बन गये।
बत्तीसी के तँवर (Battisi Tanwar)
बत्तीसी तँवर - पाटन के राव बहादुर सिंह जी के 32 पुत्रों को 32 गाँव दिये गये जिसको बत्तीसी बोलते हैं, जो निम्न प्रकार है
पृथ्वीराज को "पाटन" गाँव
रणसी को "डोकन" गाँव
सोढजी को "जीलो" गाँव
भोमा, सुरजन और धानदेव को "माँवडा" गाँव
आरोडजी को "भादवाडी" गाँव
धीरसिंह को "बेलू" गाँव
सीहोजी को "गाँवडी" गाँव
झुझा को "भुदोली" गाँव
धीरसिंह को "टोडा, गणेश्वर एवम कोण्डला" गाँव
धागलजी को "चीपलाटा एवम घाटा" गाँव
मैलराज जी को "मेढ व बैराठ" गाँव
अगैराज को "जटवाडा" गाँव
आशादित को "नीमोद व हाथी" गाँव
नानकदास को "नानकवास" गाँव
मेढराज को "इमलोहा" गाँव
अंजन को "अजमेर व रामपुरिया" गाँव
गोविंद जी को "मौखता" गाँव
पीथोजी को "प्रीतमपुरी" गाँव
भीमसहाय को "बुचारा" गाँव
तेजसिंह को "इण्डोली" गाँव
दूदाजी को "सीरोही" गाँव
जडसी को "झाडली" गाँव
गजसिह को "खिरोटी" गाँव
हालो को "चुडला" गाँव
दरजन व बालोजी को "माण्डोली" गाँव मिले।
तोरावाटी के तँवरो की शाखाएं (खांप)
1.जाटू तंवर- राजा दोढ के पुत्र जैरथ जी के पुत्र जाटू हुए, जाटूजी के वंशज "जाटू तंवर" कहलाते हैं।
2. कर्णोजी के तंवर -पाटन के राजा पीपलराज के पुत्र पालनजी (पजान) के वंशज कर्णोजी हुए, जिनके वंशज कर्णोजी के तंवर कहलाते हैं। इन्हें चौबीसी के तंवर भी कहते हैं।
3. बत्तीसी के तंवर- पाटन के राणा बहादुर सिंह जी के 32 पुत्रों के वंशज "बत्तीसी के तंवर" कहलाते हैं।
4. ऊदोजी के तंवर (ऊदावत तंवर)- पाटन के राणा कंवलजी(कमल) के पुत्र राव ऊदोजी के वंशज "ऊदोजी के तंवर" कहलाते हैं।
5. लाखावत तंवर- राव ऊदोजी के पुत्र राव भंवरराज जी के पुत्र लाखाजी के वंशज "लाखावत तंवर" कहलाते हैं।
6. सांगावत तंवर- राव ऊदोजी के पुत्र भंवरराज जी के पुत्र सांगाजी के वंशज "सांगावत तंवर" कहलाते हैं।
7. आसल (आसोजी)जी के तंवर- पाटन के राणा कंवल जी के पुत्र राणा असलजी के वंशज "आसल जी के तंवर" कहलाते हैं।
8. केलोर (केलोड) जी के तंवर- पाटन के राणा कंवल जी के पुत्र केलोरजी के वंशज "केलोरजी के तंवर" कहलाते हैं। इन्हें बाईसी के तंवर भी कहते हैं।
9. फत्तुजी के तंवर- पाटन के राणा कंवलजी के पुत्र फत्तुजी के वंशज "फत्तुजी के तंवर" कहलाते हैं, जो जात बाहर कर दिए गए।
10. परसराम जी के तंवर- पाटन के राणा बीकोजी के पुत्र परसरामजी हुए, जिनके वंशज "परसराम जी के तंवर" कहलाते हैं।
11. पालनजी(पजानजी) के तंवर- पाटन के राजा पीपलराजजी के पुत्र पालन जी के वंशज "पालनजी के तंवर" कहलाते हैं।
ऊदोजी के तँवर - पाटन के राणा कंवल जी के पुत्र राव ऊदोजी के वंशज " ऊदोजी के तंवर " कहलाते हैं। राणा कंवल जी के बडी राणी से ऊदोजी का जन्म हुआ। ऐसा माना जाता है कि ऊदोजी की माता का देहांत हो जाने पर उनकी सौतेली माता ने अपने पुत्र को राजगद्दी पर बिठाने के लिए षडयंत्र करना प्रारंभ कर दिया था। उसने ऊदोजी को जहर देने का विफल प्रयास किया। जब ऊदोजी को इसका पता चला तो उन्होंने अपने सौतेले भाई को पाटन का राज्य देकर अन्यत्र चले गए। ओर ऊदोजी ने नीमकाथाना के आस-पास के कई गांवों पर अपना अधिकार कर लिया और वही से अपना राज्य करना प्रारंभ कर दिया।
उदोजी के तंवरों कि 2 मुख्य शाखाएं
लाखावत तंवर
सांगावत तंवर
ऊदोजी के तँवरो के ठिकाने
गांवडी-पाटन के राणा कंवलजी के बड़े पुत्र राव उदोजी ने गांवड़ी की स्थापना संवत् 1484(1427ई.) में की थी।
भागेगा
भगोट
बुचारा
प्रथमपुरी
मोही
गणेसर
मंडोली-गांवडी ठाकुर लाखाजी ने जाटों से मंडोली जीता और इन्दरपालजी को मांडोली दिया।
मांवडा-(12 गांव की जागीर) गांवडी से निकलकर दो भाई श्यामदासजी और सुन्दरदासजी ने मावंडा कलां बसाया।
नीमकाथाना
महावा
हीरावली
बलराम की ढाणी
राणासर
कोटडा
गोविन्दपुरा
भूदोली-गांवडी ठाकुर डूंगरसिंह के पुत्र महाराज उदयसिंहजी ने भूदोली गांव संवत् 1627(1570ई.) में बसाया।
चीपलाटा-गांवडी ठाकुर भीवराजजी के पुत्र भगवानदास जी ने चीपलाटा बसाया।
दांतिल-मावंडा से सुन्दरदासजी के पुत्र ने दांतिल बसाया।
परसराम जी के तँवर
परसराम जी के तँवर- पाटन राव बीकोजी के पुत्र परसरामजी हुए, जिनके वंशज "परसराम जी के तंवर" कहलाते हैं।
परसराम जी के तँवरो के ठिकाने
हसामपुर
सुदरपुरा
ढाढा
पवाना
कल्याणपुरा कलां
पुरूषोत्तमपुरा
नागल चौधरी
सुरा की ढाणी
आसलजी के तँवर (Asalji ke Tanwar)
आसलजी के तँवर- पाटन के राणा कंवल जी के पुत्र राणा आसलजी के वंशज आसलजी के तंवर कहलाते हैं। पाटन के राव भी आसलजी(आसोजी) की खाप के हैं।
आसलजी की खांप के बडे ठिकाने-
पाटन-पाटन राव
टोडा- 12 गाँव के ठाकुर
जीलो- 12 के ठाकुर
इमलोहा- 7 गाँव के ठाकुर
डोकन
रायपुर-पाटन
किशोरपुरा-(3 गांव और 13 ढाणी के ठाकुर), राव फतेहसिंह पाटन के दुसरे पुत्र ठाकुर पृथ्वीसिंह ने किशोरपुरा सन् 1688ई.(वि.स.1745) में बसाया, इनके चार पुत्र हुए-(1)ठा.बाघसिंह-पहला पाना (2)ठा.खडगसिंह-दुसरा पाना (3)ठा.दौलतसिंह और (4)ठा.करमसेन
सिहोड-पाटन राव बक्शीरामजी के पुत्र कंवर रणजीतसिंह तंवर को सिहोड की जांगीर मिली, इन्ही के वंशज राव उदयसिंह जी पाटन राव मुकुंद सिंह जी के गोद गये थे।
कंवर का नागल
डाबला
दरीबा
किशनपुरा
कचरेडा-राव फतेहसिंह पाटन के तीसरे पुत्र ठा.स्वरुपसिंह के वंशजो को कचरेडा मिला, इनके 2 गांव हैं।
कोला की नांगल
आसोजी की खांप के अन्य ठिकाने -
मण्डा, हिम्मत सिंह का दरीबा, छारावली, जयराम सिंह का टोडा, मण्डाका, रावतानी, जाटाला, बरियाली, दुबडा, रामचन्द्र सिंह का टोडा, उपलावाद, बिन्दाला, चान्दोली, तेलीवाला, रामल्यास, छेतराम का पलासवाला, टोडा साहबसिह का, दीपावास, बूजा, लुहारावास, दयाल की नागल, बिहारीदास की ढाणी, नाथा की नागल, बिहारीपुर, झालरा, श्यामपुरा, राम सिंह की ढाणी और चिमन सिंह की ढाणी, रायलो पगनवास, जाटवास-दोलतपुरा, नयाराणा
कैलोर जी के तँवर (बाईसी के तँवर)
कैलोरजी के तंवर (किलोर जी के तंवर)-पाटन के राव कंवलजी के तीसरे पुत्र किलोर जी हुए, जिनके वंशजो को किलोर जी के तंवर कहा गया। किलोर जी के पुत्रो के 22 गाँव थे जिसके कारण इन्हें बाईसी के तंवर भी कहा जाता है।
ये 22 गाँव इस प्रकार है।
1 कुजोता
2 महरपुर
3 जिणगोर
4 भालोजी
5 पाथरेडी
6 भैसलाना
7 पवाला
8 राजपूताना
9 बेरी
10 केशवाना
11 चेचिका
12 खडब
13 तिहाड
14 बनार
15 पंचाणी
16 खेडा
17 सरूण्ड
18 चान्दवास
19 भोजवास
20 किरपुरा
21 फतहपुरा
22 जगदीशपुरा
23 नारहेडा
24 बनेठी
25 महरीन
भालोजी के तंवर मुसलमान बन गए तथा फतहपुरा और जगदीशपुरा के तंवर अहीर बन गये।
नारहेडा-राव कंवल जी के पुत्र राव किलोड जी के पुत्र प्रभाऊ के पुत्र उदयराम के पुत्र सोढ के प्रपोत्र "नाहर सिंह तंवर" ने नारहेडा बसाया।
नाहर सिंह तंवर के वंशज बिशन सिंह तंवर ने नारहेडा में वि. स. 1775 में गूगामेडी बनवाई तथा गोपाल की पत्नी उमदा कंवर ने वि.स. 1594 मे शिवालय ओर धर्मशाला बनवाई।
नाहर सिंह तंवर के चौथे पुत्र धन सिंह जोगी बन गए ओर वि.स.1608 में समाधी ली।
बनेठी-राव कंवल जी के पुत्र राव किलोड जी के पुत्र प्रभाऊ के पुत्र उदयराम के पुत्र नागराज के वंशज "पृथु सिंह तंवर" ने वि.स. 1535 में बनेठी बसाया। पिथु सिंह तंवर ने यह गांव गुर्जरों से छीना था।
इनके वंशज दुरसाराम तंवर की छतरी वि.स. 1847 में बनेठी में बनवाई गयी। यही पर सालिम सिंह तंवर की छतरी भी वि.स. 1939 में बनवायी गयी।
बनेठी में मशहूर डाकू बख्तावर सिंह हुए जिनका स्मारक भी बना हुआ है। डाकू बख्तावर सिंह के सम्बन्ध में अनेक कवियों ने रचनाएँ की है कि वो गरीब विधवाओं ओर अनाथो के हमदर्द, सहायक ओर नाथ थे।
कर्णोजी के तँवर (चौबीसी के तँवर)
कर्णोजी के तँवर- पाटन के राजा पीपलराजजी के तीसरे पुत्र पालन सी(पजान जी) को जागीर में पानेडा मिला। पजानजी के वंशज कर्णोजी तंवर हुए, जो पानेडा से बडबार चले गये जिनके वंशज "कर्णोजी के तंवर" कहलाते हैं। इनके 24 गाँव थे, जिसके कारण इन्हें "चौबीसी के तंवर" भी कहते हैं।
ये 24 गाँव इस प्रकार थे।
1 बडबार
2 बुहाना
3 शिमला
4 नरान्त
5 आसलवास
6 धुलवा
7 रायली
8 ढाणी सम्मपतसिंह
9 गादली
10 नुन्हिया
11 निम्बास
12 बेरला
13 कासणी
14 लौटिया
15 फतेहपुर
16 काको चौराडी
17 अगवाणा
18 बालाजी
19 बुढनपुरा
20 ढोढवाल
21 लाम्बी
22 अडीचा
23 काजला
24 धिगडिया
इसमें शिमला के तंवर अहीर बन गये।
बत्तीसी के तँवर (Battisi Tanwar)
बत्तीसी तँवर - पाटन के राव बहादुर सिंह जी के 32 पुत्रों को 32 गाँव दिये गये जिसको बत्तीसी बोलते हैं, जो निम्न प्रकार है
पृथ्वीराज को "पाटन" गाँव
रणसी को "डोकन" गाँव
सोढजी को "जीलो" गाँव
भोमा, सुरजन और धानदेव को "माँवडा" गाँव
आरोडजी को "भादवाडी" गाँव
धीरसिंह को "बेलू" गाँव
सीहोजी को "गाँवडी" गाँव
झुझा को "भुदोली" गाँव
धीरसिंह को "टोडा, गणेश्वर एवम कोण्डला" गाँव
धागलजी को "चीपलाटा एवम घाटा" गाँव
मैलराज जी को "मेढ व बैराठ" गाँव
अगैराज को "जटवाडा" गाँव
आशादित को "नीमोद व हाथी" गाँव
नानकदास को "नानकवास" गाँव
मेढराज को "इमलोहा" गाँव
अंजन को "अजमेर व रामपुरिया" गाँव
गोविंद जी को "मौखता" गाँव
पीथोजी को "प्रीतमपुरी" गाँव
भीमसहाय को "बुचारा" गाँव
तेजसिंह को "इण्डोली" गाँव
दूदाजी को "सीरोही" गाँव
जडसी को "झाडली" गाँव
गजसिह को "खिरोटी" गाँव
हालो को "चुडला" गाँव
दरजन व बालोजी को "माण्डोली" गाँव मिले।
तोरावाटी के तँवरो की शाखाएं (खांप)
1.जाटू तंवर- राजा दोढ के पुत्र जैरथ जी के पुत्र जाटू हुए, जाटूजी के वंशज "जाटू तंवर" कहलाते हैं।
2. कर्णोजी के तंवर -पाटन के राजा पीपलराज के पुत्र पालनजी (पजान) के वंशज कर्णोजी हुए, जिनके वंशज कर्णोजी के तंवर कहलाते हैं। इन्हें चौबीसी के तंवर भी कहते हैं।
3. बत्तीसी के तंवर- पाटन के राणा बहादुर सिंह जी के 32 पुत्रों के वंशज "बत्तीसी के तंवर" कहलाते हैं।
4. ऊदोजी के तंवर (ऊदावत तंवर)- पाटन के राणा कंवलजी(कमल) के पुत्र राव ऊदोजी के वंशज "ऊदोजी के तंवर" कहलाते हैं।
5. लाखावत तंवर- राव ऊदोजी के पुत्र राव भंवरराज जी के पुत्र लाखाजी के वंशज "लाखावत तंवर" कहलाते हैं।
6. सांगावत तंवर- राव ऊदोजी के पुत्र भंवरराज जी के पुत्र सांगाजी के वंशज "सांगावत तंवर" कहलाते हैं।
7. आसल (आसोजी)जी के तंवर- पाटन के राणा कंवल जी के पुत्र राणा असलजी के वंशज "आसल जी के तंवर" कहलाते हैं।
8. केलोर (केलोड) जी के तंवर- पाटन के राणा कंवल जी के पुत्र केलोरजी के वंशज "केलोरजी के तंवर" कहलाते हैं। इन्हें बाईसी के तंवर भी कहते हैं।
9. फत्तुजी के तंवर- पाटन के राणा कंवलजी के पुत्र फत्तुजी के वंशज "फत्तुजी के तंवर" कहलाते हैं, जो जात बाहर कर दिए गए।
10. परसराम जी के तंवर- पाटन के राणा बीकोजी के पुत्र परसरामजी हुए, जिनके वंशज "परसराम जी के तंवर" कहलाते हैं।
11. पालनजी(पजानजी) के तंवर- पाटन के राजा पीपलराजजी के पुत्र पालन जी के वंशज "पालनजी के तंवर" कहलाते हैं।