स्पेशल कवर स्टोरी: सचिन खरवास
नीमकाथाना: घटना है वर्ष 1995 के सूर्यग्रहण के समय की जब भारतीय ताराभौतिकी संस्थान का कैम्प राजस्थान के एक छोटे से शहर नीम का थाना में लगाया गया। 24 अक्टूबर 1995 का दिन आज भी नीमकाथाना के लोगों को अच्छी तरह से याद है, जब भरे दिन में अंधेरा हो गया था। वह सूर्य ग्रहण 28 साल पहले यानी वर्ष 1995 में लगा था। यूं लगा था मानो रात हो गई है। पक्षी भी अपने घोंसलों की ओर लौट आए थे। चारों तरफ सर्द हवाएं बह रही थीं। उस ग्रहण की पहले से ही खूब चर्चा थी। जब ग्रहण आया तो उस जमाने के हिसाब से सीमित प्रचार माध्यमों ने उसे बहुत अच्छे ढंग से दिखाया था। स्कूली बच्चों को स्कूल की ओर से मैदान में ग्रहण दिखाने ले जाया था। आंखों पर काली फिल्म या चश्मा लगाकर सभी ने वह दुर्लभ दृश्य देखा था।
नीमकाथाना में घटी दुर्लभ खगोलीय घटना
यह नीमकाथाना में सूर्य ग्रहण एक दुर्लभ खगोलीय घटना थी, जिसे देखने व शौध करने के लिए वैज्ञानिक यहां आए। यह एक अविस्मरणीय पल था, जिसे नीमकाथाना के लोग कभी नहीं भूल पाएंगे। 24 अक्टूबर 1995 को नीमकाथाना में पूर्ण सूर्य ग्रहण दिखाई दिया। यह ग्रहण भारत में 1818 के बाद से सबसे लंबा सूर्य ग्रहण था। ग्रहण का केंद्र नीमकाथाना शहर में था, जहां सूर्य 1 मिनट और 15 सेकंड के लिए पूरी तरह से चंद्रमा द्वारा ढका हुआ था। जिसमें अधिकतम ग्रहण 2 मिनट 10 सैकंड का रहा।
यह सूर्य ग्रहण का भारत और दुनिया भर में लोगों द्वारा देखा गया था। पूर्ण सूर्य ग्रहण को देखने के लिए नीमकाथाना में हजारों लोग आए थे। उस समय ग्रहण को देखने के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए सुरक्षात्मक चश्मे और कांच भी बेचे गए थे। ग्रहण ने नीमकाथाना शहर को दुनियाभर में प्रसिद्ध कर दिया। कई प्रोफ़ेसर और वैज्ञानिकों ने बाद में अपनी पुस्तकों के इसका जिक्र किया।
पूर्ण ग्रहण का नजारा, खूबसूरत और यादगार
भारतीय ताराभौतिकी संस्थान के प्रोफेसर (सेनि) रमेश कपूर लिखते हैं कि जब हमने नीमकाथाना में पूर्ण ग्रहण का नजारा किया वह खूबसूरत और यादगार बन गया। खासकर 24 अक्टूबर 1995 का पूर्ण सूर्यग्रहण विशेष यादें छोड़ गया।
उन्होंने अपने अनुभव में बताया कि कैम्प लगते ही यहां हलचल तेज हो गई। हजारों लोग कैम्प में आए और हमसे ग्रहण से जुड़े बहुत सारे सवाल पूछने लगे। वे उपकरणों और हमें छू-कर देखते थे जैसे खुद को कुछ यकीन दिलाना चाहते हों।
उस दिन 'नीम का थाना' में हजारों की संख्या में पुरुष, महिलाएं, युवा, बच्चे, छात्र लगभग हर आयु के लोग वहां आए। खासकर ग्रहण के दिन बहुत बड़ी संख्या में लोग कैम्प में पहुंचे। संस्थान ने शोध कार्य पूरे किए जिसमें विदेशी वैज्ञानिक भी शामिल हुए, वह ग्रहण यादगार रहा।
24 अक्टूबर 1995 की वो दुर्लभ तस्वीरें जब वैज्ञानिको ने नीमकाथाना में शोध किया
उन्होंने अपने अनुभव में बताया कि कैम्प लगते ही यहां हलचल तेज हो गई। हजारों लोग कैम्प में आए और हमसे ग्रहण से जुड़े बहुत सारे सवाल पूछने लगे। वे उपकरणों और हमें छू-कर देखते थे जैसे खुद को कुछ यकीन दिलाना चाहते हों।
उस दिन 'नीम का थाना' में हजारों की संख्या में पुरुष, महिलाएं, युवा, बच्चे, छात्र लगभग हर आयु के लोग वहां आए। खासकर ग्रहण के दिन बहुत बड़ी संख्या में लोग कैम्प में पहुंचे। संस्थान ने शोध कार्य पूरे किए जिसमें विदेशी वैज्ञानिक भी शामिल हुए, वह ग्रहण यादगार रहा।
24 अक्टूबर 1995 की वो दुर्लभ तस्वीरें जब वैज्ञानिको ने नीमकाथाना में शोध किया
24 अक्टूबर 1995 को नीमकाथाना में पूर्ण सूर्य ग्रहण
शोध करते वैज्ञानिक
नीमकाथाना में वैज्ञानिको ने डाला अपना डेरा
प्रोफेसर यश पाल थे कैंप के स्टूडियो मास्टर
उस समय प्रोफेसर यश पाल स्टूडियो इस कैम्प के स्टूडियो मास्टर थे, और उन्होंने इस पूरे कार्यक्रम को "प्रत्यक्ष" कैमरे में उतारने की कोशिश की। उन्होंने राष्ट्रीय टीवी पर डीडी निर्माताओं से उत्साहित होते हुए कहा "अरे नीमकाथाना चलो, अभी जाओ नीमकाथाना"। उन्होंने सूरज की कैमरे पर उभरती धीमी छाया को फोटो में कैद कर लिया।
By- Martin Amis, (British Novelist) and Jay W. Richards |
प्रोफेसर यश पाल थे कैंप के स्टूडियो मास्टर
उस समय प्रोफेसर यश पाल स्टूडियो इस कैम्प के स्टूडियो मास्टर थे, और उन्होंने इस पूरे कार्यक्रम को "प्रत्यक्ष" कैमरे में उतारने की कोशिश की। उन्होंने राष्ट्रीय टीवी पर डीडी निर्माताओं से उत्साहित होते हुए कहा "अरे नीमकाथाना चलो, अभी जाओ नीमकाथाना"। उन्होंने सूरज की कैमरे पर उभरती धीमी छाया को फोटो में कैद कर लिया।