नीमकाथाना/पाटन@खनिज विभाग द्वारा रेला बांध के कैचमेंट एरिया में लगभग दो दर्जन खानो की स्वीकृति 2009 में की गई उसके बाद से ही रेला बांध में पानी की आवक कम हो गई। खानों की स्वीकृति के बाद ग्रामीणों ने इसका विरोध भी किया था परंतु प्रशासन ने ग्रामीणों के विरोध को भी दरकिनार कर दिया था और लगभग दो दर्जन खानों को स्वीकृति दे दी थी। वर्तमान में सभी खानों में खनन हो रहा है जबकि एम एल नंबर 760/09, 766//09 के पास पर्यावरण स्वीकृति नहीं होने के बाद भी खनन होने की सूचना मिली है। रेला बांध का बहाव क्षेत्र खनन माफियाओं ने खत्म कर दिया जिस कारण बारिश का पानी भी रेला बांध में नहीं पहुंच पाता है और हर मानसून के बाद रेला बांध खाली रह जाता हैं।
रेला गांव के पूर्व वार्ड पंच इंद्राज गुर्जर ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि रेला माइनिंग जोन में भारी ब्लास्टिंग की जाती है जबकि वर्तमान मे इन माइन्स मालिकों के पास हैवी ब्लास्टिंग करने का लाइसेंस भी नहीं है, उसके बावजूद भी ये लोग 60 फीट गहरे होल बना कर उन में विस्फोटक सामग्री डालकर ब्लास्टिंग करते हैं, जिससे क्षेत्र में आए दिन भूकंप जैसे झटके महसूस होते हैं। रेला माइनिंग जोन में पूरे दिन धूल के गुब्बारे उड़ते रहते हैं जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है।अगर स्वास्थ्य विभाग की टीम क्षेत्र के लोगों की स्वास्थ्य की जांच करें तो अधिकांश लोगों को अस्थमा एवं सिलिकोसिस जैसी भयंकर बीमारियों के मरीजों का भी पता चल सकता है। लोगों ने इस बारे में कई बार पर्यावरण एवं प्रदूषण विभाग के अधिकारियों को भी शिकायत की परंतु पर्यावरण एवं प्रदूषण विभाग के अधिकारियों द्वाराृ भी खनन माफियाओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर पाए। माइनिंग जॉन से महज 50 मीटर की दूरी पर बावरिया परिवार के लोग रहते हैं जिनकी भारी ब्लास्टिंग से मकानों की पट्टियां भी टूट गई है।भारी ब्लास्टिंग के चलते रेला बांध की दीवारों में भी दरारें आ गई है जिस कारण बारिश का पानी रिसाव के द्वारा बाहर चला जाता है। इंद्राज गुर्जर ने यह भी बताया कि अधिकांश खानों में पानी भरा हुआ है इस पानी को पाइपों के द्वारा बाहर निकाला जाता है परंतु यह जहरीला पानी जो भी पशु पी लेता है उन पशुओं की मौत तक हो जाती है । रेला बांध के पानी से रेला, फागनवास, घासीपुरा,रयाकाबास, उदय सिंह पुरा, बक्शी पुरा आदि गांव मै पानी की पूर्ति हो रही थी परंतु लीज स्वीकृति के बाद से खनन माफियाओं द्वारा की जा रही भारी ब्लास्टिंग से क्षेत्र का जलस्तर दिन प्रतिदिन गहराता जा रहा है जिस कारण पेयजल संकट भी मंडराने लगा है। रेला माइनिंग जॉन से सटे ही वन विभाग का एरिया शुरू हो जाता है जिसमें कई हिंसक जानवर भी वन क्षेत्र में विचरण करते हैं परंतु हैवी ब्लास्टिंग के चलते ये हिंसक जानवर भी अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भगते फिरते हैं तथा कई बार आबादी क्षेत्र में भी चले आते हैं जिससे ग्रामीण लोगों में भी दहशत का माहौल बना हुआ है।
सहायक खनिज अभियंता के अनुसार--- खनिज विभाग के सहायक खनिज अभियंता मनोज कुमार शर्मा से जब इस बारे में जानकारी चाही गई तो उन्होंने बताया कि एम एल नंबर 721 कि पर्यावरण स्वीकृति नहीं आई है परंतु वर्तमान में यह खान चालू नहीं है।हैवी ब्लास्टिंग लाइसेंस के बारे में जब पूछा गया तो उन्होंने बताया खान सुरक्षा निदेशालय अजमेर को पत्र लिखकर इस बारे में पूछा गया है कि किस खान के पास में हैवी ब्लास्टिंग लाइसेंस है या नहीं है। वहां से जबाब आने के बाद ही पता चल पाएगा कि कौन सी माइंस के पास हैवी ब्लास्टिंग का लाइसेंस है या नहीं है।