कोरोना की दूसरी लहर में कहां गुम हो गए जनप्रतिनिधि, भामाशाह, सामाजिक संस्थाए और संगठन........?

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त्रकार मनीष टांक की कलम से 

.........हर में एक तरफ कोरोना की दूसरी लहर अपना विकराल रूप धारण करती जा रही है जिससे सबकी सांसे अटकी हुई दिखाई दे रही है। जिसकी रोकथाम को लेकर स्थानीय शासन प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने दिन रात एक कर रखा है। 

त्रकार मनीष टांक

दूसरी तरफ खुद को आमजन का जनप्रतिनिधि, भामाशाह और सामाजिक संस्थाओं सहित संगठन बताने वाली करीब-करीब गायब दिखाई दे रहे है, जो बेहद सोचनीय विषय बना हुआ है। 

हैरानी की बात तो यह है कि इस समय कोरोना की वजह से काफी विकट और परेशान करने वाली स्थिति बनी हुई है। सैंकड़ों परिवारों के समक्ष रोजी संकट का पैदा हो गया है। चूंकि पिछले दो हफ्ते से सरकार के निर्देशों को कारण काम धंधे बंद पड़े है जिससे अनेक लोगों का रोजगार छीन गया। बावजूद इसके एक भी जनप्रतिनिधि और सामाजिक संस्थाए मदद के लिए आगे नहीं आ रही। 

यही नहीं कोरोना जैसी महामारी के संक्रमण को रोकने के लिए भी कोई प्रचार प्रसार नहीं किया जा रहा है, जो निश्चित तौर पर पीड़ादाई है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि शासन प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को इनसे अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पा रहा। जबकि इस बार पिछले साल की बजाय स्थिति ज्यादा गंभीर और चिंताजनक है। हर रोज कोरोना संक्रमण का ग्राफ बढ़ने के साथ साथ मृत्यु दर भी बढ़ी है। 

ऐसे में इन जनप्रतिनिधि और सामाजिक संस्थाओं सहित संगठनों को भी मोर्चा संभालना चाहिए। गरीब,
जरूरमंद और बेसहारा लोगों की मदद के लिए आना चाहिए साथ ही आमजन में कोरोना के प्रति चेतना अभियान भी चलाना चाहिए।

लेकिन विडम्बना ही कही जायेगी कि इन जनप्रतिनिधियों सहित एनजीओ, भामाशाह न तो जमीनी धरातल पर नजर आ रहे है और ना ही सोशल मीडिया में कोई प्रभावी भूमिका निभा रहे। हालांकि कुछ एक जनप्रतिनिधि सहित सामाजिक संस्थाएं और संगठन जरूर काम रहे है, लेकिन अधिकांश संगठन आपदा की इस घड़ी में नदारद है ।

इस तरह के सभी को अपनी जिम्मेदारी सुनिश्चित करनी चाहिए। साल में लोग दिखावे के नाम पर कार्यक्रम कर फोटो खिंचवाने तक अपनी भूमिका सीमित नहीं करे। विपदा की इस घड़ी में पीड़ित मानवता की सेवा से बढ़कर दूसरा बड़ा धर्म नहीं है। इसलिए इन सभी से विनम्रतापूर्वक आग्रह है कि मदद के लिए हाथ बढ़ाएं। 

जिन-जिन क्षेत्रों में खाने पीने की या कोई दूसरी समस्या है समाधान करने का प्रयास करे। महामारी भीषण रूप लेती जा रही है। बहरहाल, जिस तरह की सूचनाएं मिल रही है, उससे लगता है कि आने वाले भविष्य में संकट और ज्यादा बढ़ेगा। इसलिए शासन प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग का पूरा सहयोग करने के लिए तैयार रहे।

- संपादकीय  ले


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