नीमकाथाना। देश में होली का दहन 17 मार्च को किया जाएगा। इस बार होलिका दहन के मुहूर्त को लेकर दुविधा की स्थिति बन गई है। भद्रा के कारण हर कोई अलग-अलग मुहूर्त बता रहा है। इस दौरान नीमकाथाना राजकीय संस्कृत महाविद्यालय के ज्योतिष शास्त्र के व्याख्याता पं. कौशल दत्त शर्मा ने बताया कि 17 मार्च पूर्णिमा गुरुवार को ढुण्ढा राक्षसी पूजा के साथ भद्रा के बाद रात को 1:10 बजे बाद होलिका दहन होगा।
होलिका दहन भद्रा पुच्छ काल में करना तभी शास्त्र सम्मत और श्रेयस्कर है, जब भद्रा का आरम्भ दिनार्ध से पूर्व हो रहा हो। विष्टि नाम के करण को ही भद्रा कहते हैं। जिसमें शुभ कार्य पूर्णतया वर्जित हैं। इस बार अपने-अपने क्षेत्र के मान्यता प्राप्त पंचांग के अनुसार 17 मार्च को रात एक बजे बाद जब भी भद्रा समाप्त हो जाये उसके बाद ही होलिका दहन करें।
पं. शर्मा ने बताया कि यदि अपने-अपने नगर में होलिका दहन के समय यदि पूरब की ओर हवा का प्रवाह अर्थात लौ पूर्वी हो तो उस नगर के राजा और प्रजा दोनों सुखी रहते हैं। दक्षिण की ओर रुख हो तो नगर में दुर्भिक्ष और पलायन है। पश्चिम की ओर रुख हो तो पशुओं के लिए अच्छा है। उत्तर की ओर हो तो अन्न धन की अधिकता है। ईशान कोण की ओर रुख हो तो अनावृष्टि है। अग्नि कोण की ओर रुख हो तो रोग फैलने की संभावना है।