नीमकाथाना। पर्यावरण को संतुलित बनाए रखने में वन्यजीवों का अहम योगदान है। वन क्षेत्र में वन्यजीव गणना आज बुद्ध पूर्णिमा की धवल चांदनी में शुरू हुई। वाटर पद्धति के माध्यम से वन्य जीवों की गणना की जाएगी। वन विभाग के कर्मचारी लगातार 24 घंटे मचान पर बैठकर वन्यजीवों की निगरानी कर गिनती करेंगे।
24 घंटे तक की जाएगी गणना
वन्य जीव गणना सोमवार सुबह 8 से शुरू होकर मंगलवार सुबह 8 बजे तक गणना की जाएगी। गणना के लिए वन विभाग द्वारा ऊंची जगहों पर मचान तैयार किए गए है। जहां से वन्य जीवों पर नजर रखी जा सके।
वाटर होल पद्धति के आधार पर होगी गणना
क्षेत्रीय वन अधिकारी श्रवण बाजिया ने बताया कि वन्यजीव गणना वाटर होल पद्धति के आधार पर की जाती है क्योंकि वन्यजीव गणना में मुख्य आधार सभी जल स्रोत होते हैं। वन क्षेत्रों में वन विभाग की ओर से वाटर पॉइंट बनाए जाते हैं, जहां पर वन्यजीव पानी पीने के लिए आते हैं। चांदनी रात में आने वाले वन्यजीवो की गिनती की जाती है। वन्यजीव की तादाद का एक अंदाजा लग जाता है। वन विभाग की ओर से वन्यजीव गणना की तैयारियां पूरी कर ली गई है। वन्य जीवों को चार श्रेणी में बांटा गया है। मांसाहारी, शाकाहारी, पक्षी, रेप्टाइल श्रेणी में वन्य जीवों को विभक्त किया गया है।
12 पॉइंटो व मचान से 24 कार्मिक रखेंगे नजर
वन्य गणना के लिए वन विभाग ने 12 पॉइंट चिन्हित किए है। चिन्हित पॉइंटों पर 24 कार्मिकों को तैनात किया गया है। जल स्रोतों के पास मचान तैयार किए गए है। 24 घंटे की वन्यजीव गणना के आंकड़े एकत्रित करके वन मुख्यालय भेजे जाएंगे। वन्यजीव गणना के बाद आंकड़ों की अधिकारियों की ओर से तुलना की जाएगी। वन्यजीवों की संख्या में बढ़ोतरी होती है तो वन विभाग के लिए खुशखबरी की बात होगी। अगर आंकड़ों में कमी आई तो वन विभाग के लिए चिंता का विषय होगा।
वन्यजीवों की विभिन्न प्रजातियों की होगी गणना
वनकर्मियों को वन्यजीव गणना का प्रशिक्षण दिया जा चुका है। वाटर पाइंट पर आने वाले दुर्लभ प्रजाति के वन्यजीवों की फोटोग्राफी की जाएगी। सियार, मरू बिल्ली, लोमड़ी, भेडिय़ा, नीलगाय, सेही,बंदर आदि शामिल हैं। अधरशिला, बालेश्वर, भीतरली गांवड़ी, कुईयां, सैदाला एनिकट पर फोटोग्राफी कैमरे लगाए गए हैं।