नीमकाथाना/माकड़ी चारा घोटाला: 23 साल बाद न्यायालय ने सुनाया ये फैसला, साक्ष्यों का रहा अभाव, 36 गवाहों में से 16 ने दिए बयान...

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नीमकाथाना: माकड़ी में 23 साल पहले के चारा घोटाला मामले में 7 लोगों पर गबन करने के आरोप में कोर्ट ने फैसला सुनाया। एसीजेएम प्रथम की मजिस्ट्रेट सरिता यादव ने फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया। अधिवक्ता मनीराम जाखड़ ने जानकारी देते हुए बताया कि वर्ष 2000 में तत्कालीन एसडीओ आनंद नारायण बैराठी ने कोतवाली थे में मामला दर्ज करवाया था। जिसमें तत्कालीन सरपंच जगदीश प्रसाद यादव, तत्कालीन पटवारी जगदीश चौधरी, बद्रीप्रसाद, कुरडाराम, प्रह्लाद, ऋषिकेश व गोरख पर चारा घोटाला करने का आरोप लगाया गया था। मामले में 5 अगस्त 2008 को चालान पेश किया गया। साक्ष्य के अभाव व संदेह नहीं होने के कारण एसीजेएम प्रथम चार्ज एसीजेएम द्वितीय सरिता यादव ने फैसला सुनाया। सभी को दोष मुक्त किया गया। 

इन्होने की पैरवी
जानकारी के मुताबिक अधिवक्ता मनीराम जाखड़ ने तत्कालीन पटवारी जगदीश चौधरी, कुरड़ाराम, मृत बद्रीप्रसाद की पैरवी की। वहीं  अधिवक्ता सुरेश शर्मा ने तत्कालीन सरपंच जगदीश प्रसाद यादव, प्रह्लाद व ऋषिकेश व अधिवक्ता नत्थूसिंह तंवर ने गोरख की पैरवी की। वहीं अभियोजन पक्ष से कौशल सिंह राठौड़ ने पैरवी की थी।

23 साल बाद फैसला, 36 गवाह, 16 के हुए बयान
अधिवक्ता सुरेश शर्मा ने बताया कि वर्ष 2000 में हुए दर्ज मामले में 23 साल बाद फैसला आया। मामले में 36 गवाहों को शामिल किया गया था। जिसमें 16 लोगों के बयान हुए। जिनमें 2 गवाहों की मौत चुकी थी। बाकी 18 गवाह तलब करने के बाद भी नहीं आए। जिससे न्यायालय ने उनकी गवाही बंद कर दी। 

तत्कालीन एसडीओ ने ग्रामीणों की शिकायत पर करवाया था मामला दर्ज

जानकारी मुताबिक तत्कालीन एसडीओ आनंद नारायण बैराठी ने ग्रामीणों की शिकायत पर कोतवाली थाने में वर्ष 2000 में मामला दर्ज करवाया था। जिसमें बताया गया कि माकडी में 18 ट्रक चारे के आए थे लेकिन तत्कालीन सरपंच व अन्य के द्वारा वितरित नहीं करवाया गया। जिसपर एसडीओ ने मामला दर्ज करवाया था।

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