स्पेशल कवर स्टोरी: सचिन खरवास
नीमकाथाना: अयोध्या में बन रहा भव्य राम मंदिर हिंदुओं की आस्था का एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। राम मंदिर निर्माण का कार्य तेज गति से जारी है। मंदिर की छत का कार्य भी बड़ी तेजी से चल रहा है। मंदिर में लगने वाले मूर्तियों की बनावट व नक्काशी के कामों में लगभग सैकड़ों कारीगर लगे हुए हैं। ये कारीगर उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और ओडिशा के हैं, जो बारीकी से मूर्तियों की नक्काशी का काम कर रहे हैं।
इन कुशल कारीगरों में जिला नीमकाथाना से तकरीबन सत्रह किलोमीटर पर बसे छोटे से गांव हरजनपुरा में रहने वाले धर्मेंद्र कुमावत भी अपना अमूल्य सहयोग दे रहे हैं। धर्मेंद्र दिसंबर 2021 से राम मंदिर में स्कैचिंग और मॉडलिंग का काम संभाल रहे हैं। मंदिर में स्थापित अलग अलग मुद्रा में राम दरबार की मूर्तियों को पहले कागज पर कच्चा रूप दिया जा रहा है, फिर अप्रूवल मिलने पर मूर्त रूप देकर राममंदिर की शौभा बढ़ाने में जी जान से लगे हैं।
धर्मेंद्र बताते हैं कि राम मंदिर में प्रभु श्रीराम की शरण में काम करने का उन्हे सौभाग्य प्राप्त हुआ है। पिछले महीनों से लगातार काम में तेजी देखी जा रही हैं। मंदिर को तय समय में पूरा करने के लिए सभी लोग कठिन मेहनत कर रहे हैं।
ड्राइंग से लेकर क्ले मॉडलिंग तक का काम संभालते हैं
मंदिर निर्माण में तीन प्रमुख कंपनिया लगी हुई हैं, जिनमें धर्मेंद्र कुमावत त्रिवेदी मार्बल मेनुफेक्चर कंपनी के तहत कार्य कर रहे हैं। अहमदाबाद में सबसे पहले मंदिर में लगने वाली मूर्तियों की कच्ची ड्राइंग तैयार की जाती है, और स्टोन पर स्टेंडिंग फ़ाइल तैयार कर क्ले की मदद से अंतिम मूर्त रूप दिया जाता है।
खाने के लिए लगता है लंगर, नींद लेने का कोई समय नहीं
आर्टिस्ट धर्मेंद्र कुमावत बताते हैं, कि उनकी टीम के साथ के सभी सदस्य एक जगह बैठकर लंगर में खाना खाते है। ऐसा लगता है कि जैसे एक बड़ा परिवार प्रभु के सानिध्य में साथ में रह रहा हो। काम को लेकर इतनी ज्यादा व्यस्तता रहती है कि कभी कभी रात को सोने के समय में भी लेट तक प्रोजेक्ट पर लगे रहते हैं।
श्रीराम भक्तों ने दी सपर्पण राशि, वैदिक परंपरा से तैयार हो रहा 9 क्विंटल देशी घी
नींव से लेकर गुम्बद की चोटी तक मंदिर निर्माण में लगने वाली राशि भारत के अन्य अन्य राज्यों, शहरों, गावों से आमजन ने चंदे के रूप में अपने आराध्य प्रभु श्रीराम के घर के लिए भेंट की है। कई भामाशाहों ने करोड़ों रुपयों का गुप्तदान किया हैं। मंदिर निर्माण पर पांच फरवरी 2020 से 31 मार्च 2023 तक 900 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं और 3000 करोड़ रुपये से ज्यादा अभी भी ट्रस्ट के बैंक खातों में हैं।
राम मंदिर बनने के बाद होने वाली पहली पूजा और हवन के लिए पूरे देश में तैयारी हो रही है। राजस्थान के जोधपुर से अयोध्या के श्रीराम मंदिर में 6 क्विंटल घी पहुंचाया जाएगा। यह गाय का शु्द्ध देसी घी है जिसे पिछले 9 सालों वैदिक परंपरा के मुताबिक तैयार किया जा रहा है। इस घी का इस्तेमाल पहली आरती के साथ बड़े पैमाने पर हवन सामग्री में डालने के लिए भी किया जाएगा। शुद्ध देसी घी को अयोध्या पहुंचाने के लिए भी खास इंतजाम किए गए हैं 108 रथों में यह घी जोधपुर से अयोध्या रवाना किया जाएगा।
राम मंदिर का कुछ ऐसा होगा भव्य स्वरूप
पंद्रह से बीस मिनट में पूरी रामलीला का फ्लैश बैक
मंदिर में प्रवेश करने पर अनपढ़, बुजुर्ग लोगों के लिए राममलीला का ऐसा चित्रण किया गया है, जिसमें प्रभु श्रीराम के बाल स्वरुप ले लेकर लंका विजय तक की संपूर्ण रामलीला फ्लैश बैक के रूप में दिखाई पड़ेगी।
गर्भ गृह में होंगे रामलल्ला के बाल रूप के दर्शन
मंदिर के गर्भगृह में रामलल्ला के बाल रूप की प्रतिमा लगाई जाएंगी। एक दर्जन से अधिक दरवाजे होंगे। जिसमें भरत, लक्ष्मण, भगवान हनुमान, माता सीता सहित सभी के दर्शन भक्तजन एक साथ कर पाएंगे।
इंडियन आर्ट स्टाईल में मूर्तियों को मिलेगा अंतिम रूप
मंदिर परिसर में लगी मूर्तियों के चेहरे की भावभंगिमा इंडियन आर्ट स्टाइल में तैयार की जा रही है, जिससे भगवान प्रभु श्रीराम व अन्य प्रतिमा देखने पर जीवंत महसूस हों, साथ ही हुबहू प्रतीत हो।
राममंदिर निर्माण के लिए नींव व फाउंडेशन बनाये जाने के लिए लार्सन एंड टूब्रो कंपनी को जिम्मेदारी दी गई है, तो वहीं मंदिर निर्माण सोनपुरा एंड कंपनी करेगी साथ ही नींव बनाये जाने के लिए उपयोग में लाने वाले सामग्रियों की जांच और सामानों के सही प्रयोग किए जाने की जिम्मेदारी आईआईटी चेन्नई और सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टिट्यूट रुड़की के इंजीनियरों को सौंपी गई है। इन कार्यों का मैनेजमेंट टाटा इंजीनियरिंग कंसल्टिंग कंपनी के अधिकारी करेंगे।
मंदिर के निर्माण के बाद, यह भारत के सबसे महत्वपूर्ण हिंदू मंदिरों में से एक बन जाएगा। प्रभु श्रीराम का यह भव्य मंदिर हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल होगा। राम मंदिर निर्माण के लक्ष्य के मुताबिक, 2023 दिसंबर तक मंदिर का गर्भ गृह तैयार हो जाएगा। उम्मीद है कि जनवरी 2024 में मकर संक्रांति तक भगवान राम लला अपने गर्भ गृह में विराजमान हो जाएंगे।
कुमावत की ज़ुबानी
मैं बहुत खुश हूं, मुझे सौभाग्य मिला है मैं कंपनी के सहयोग से यहां पहुंचा। आज नया इतिहास बन रहा, जो भविष्य के पन्नो में सदा के लिए अंकित हो जायेगा।